Thursday, 18 January 2024

अवधपुरी दर्शन को जाऊँ

खुश हूँ मैं बहुत सुनो खुशी का तुमको राज बताऊँ

आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ


सुनो अवधपुरी में आज सभी है देव पधारे

शिव इंद्र यक्ष गंधर्व आये हैं राम के द्वारे 

मन मेरा हुआ बेकरार राम के दर्शन पाऊँ

आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ


सुनो संत महात्मा व्यास और सभी विप्र पधारे

होंगी कथा और यज्ञ आज फिर राम के द्वारे

मन की उठती उत्कंठा की मैं प्यास बुझाऊँ

आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ


उस अवधपुरी में पावन सरयू माँ बहती

कल कल करके वो राम की सारी कथा कहती

मन करता आज ही जाकर उसमें डुबकी लगाऊँ

आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ


सुनो अवधपुरी के राजा हनुमति लाल हैं

जो करते राम नाम से मालामाल हैं

हनुमान गढ़ी का भी आज फिर आशिष पाऊँ

आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ


सुनो अवधपुरी में सुंदर है एक भवन सुहाना

जहाँ होता बिहारी जी का रोज ही आना जाना

उस कनकभवन में जाकर के मैं शीश नवाऊँ

आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ


अब सुनो खुशी की बात, जो अब तक, बतायी ना

हट गए सारे ही टाट, ठाठ में सोहें ललना

हुई जन्मभूमि तैयार बिराजें रामलला

हर्षित होंगे सब देव देख के बाल कला

मन में छाई उमंग लला के दर्शन पाऊँ

आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ



Wednesday, 17 January 2024

मेरी पहली अयोध्या यात्रा

 मेरी पहली अयोध्या यात्रा-:

रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।

रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम:॥🙏

बात बचपन की है, जब टीवी पर सिर्फ दूरदर्शन यानी कि DD1 आता था,

औऱ रविवार के दिन हम सभी धारावाहिक जय श्री कृष्णा देखा करते थे।

अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद की रैली हजरत महल पार्क लखनऊ में होनी थी,

मेरे जीवन की ये पहली रैली थी जिसमें लगभग सभी वैश्य परिवारों ने भागीदारी की थी।

किशनी से 2बसें इस रैली में गयीं थी, और सभी ने ये तय किया हुआ था कि वापसी अयोध्या पुरी में रामलला के दर्शन करके ही होगी।


बचपन था,तो किसी बात की कोई फिक्र नहीं थी।

अयोध्या पहुंचने के बाद बिड़ला धर्मशाला में सभी के ठहरने की व्यवस्था की गई।

सबसे पहले सभी ने सरयू जी में स्नान किया, मेरी याद में किसी पवित्र नदी में वो मेरा पहला ही स्नान था।

उसके बाद हम सभी ने हनुमान गढ़ी में हनुमानजी के दर्शन किये, ततपश्चात कनकभवन बिहारी के,दशरथ महल, सीता रसोई, आदि के दर्शन किये।

यहीं कहीं मैंने और मेरी छोटी बहिन एक एक रील वाला कैमरा ख़रीद लिया। जेब में एक विक्स की डिब्बी भी थी।

अब हम सबकी अगली मंजिल थी रामजन्मभूमि के दर्शन।

हम सब जैसे ही परिसर में पहुंचे, तो वहां तलाशी बहुत ज्यादा चल रही थी।

एक लेडी कांस्टेबल ने मुझसे और मेरी बहिन से वो कैमरा जमा करने को कहा, मुझे आज भी याद है कि उसकी इस बात ने हमें कितना दुःखी कर दिया।

बचपन था, तब भगवान कम सामान ज्यादा प्रिय था,

हमने कहा हम जाएंगे ही नहीं अंदर,

ना जमा करेंगे।

फिर डैडी ने समझाया कि वापस आकर ले जाएंगे,अभी साथ चलो, यहां नहीं छोड़ सकते; फिर मन बस यही कहता रहा कि भगवान जी,कोई मेरा कैमरा ना ले जाये।

लोहे के जाल से पूरा गलियारा ऊपर और साइड से पूरी तरह बंद था, डैडी ने बताया कि करो दर्शन तो बल्ब की रोशनी में टैंट में प्रभु के दर्शन किये,



खुशी अब भी अधूरी ही थी क्योंकि मन कैमरे में रखा था।

वापस आकर जब कैमरा मिला तब खुशी  मिली।


समय काफी बदल गया आज कैमरा नहीं राम जी से मिलने की उत्कंठा होती है,


राम जी ने पीली अक्षत तो भेज दिए,अब बस यही इंतजार है कि रामलला जल्द अयोध्यापुरी में बुला लें🙏


जय श्री राम🚩

Wednesday, 20 October 2021

ऑनलाइन शॉपिग/ लोकल मार्केट

 दुनियाँ में आजकल ऐसा कुछ नहीं है,जिसकी जानकारी एक क्लिक पर ना मिल जाये,

ऐसा ना कोई ज्ञान है और ना कोई समान,जो आपको एक क्लिक पर उपलब्ध ना हो।।

हर छोटे से छोटे गांव में आजकल ऑनलाइन सामान जाता है,जाहिर सी बात है, इससे हमारे लोकल के मार्केट बहुत अधिक प्रभावित हुए हैं।


हम अधिकांश देखते हैं कि हमारे कुछ नेता,हमारे मार्गदर्शक;  आमजन से ये आग्रह करते हैं कि हम ऑनलाइन शॉपिंग करने के बजाय लोकल बाजारों से सामान खरीदें।

जबकि उनके स्वयं के परिवारों में भी लोग ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं; वैसे भी टेक्नोलॉजी के जमाने में ये आग्रह वैसा ही प्रतीत होता है,

"जैसे LPG गैस के बजाय मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाने की सलाह देना" या "मोबाइल के जमाने में लैंडलाइन की बात करना"

आखिर आप किसी को कितने दिनों तक टेक्नोलॉजी से बंचित रख सकते हैं?

किसी को कितने दिनों तक रोक सकते हैं?

बेहतर होगा, हम अपना तरीका बदलें,समाज के साथ चलें,

धीमें चले तो पीछे रह जाएंगे।

इसलिए हमें चाहिए कि हम अपने लोकल के दुकानदारों को ट्रेनिंग दिलवाएं,ताकि वो अपने व्यवसाय को ऑनलाइन जोड़ सकें,अपना चैनल बना सकें,अपने प्रोडक्ट को लोकल बाजार के साथ राष्ट्रीय बाजार में बेंच सकें।


स्वयं को आज के अनुरूप बनाइये,किसी अन्य को रुकने के लिए मत कहिए, आप स्वयं जमाने के साथ चलिए।।

- जागृति गुप्ता

Saturday, 16 October 2021

राजनीति में महिलाओं की भागीदारी


यूँ तो राजनीति में महिलाओं की भागीदारी पर हर छोटे-बड़े,सत्ता पक्ष-विपक्ष के नेता, अभिनेता काफी कुछ बोलते हैं,

पर जब क्रियान्वन का नंबर आता है, तो सब भूल जाते हैं🙏🏻

नमस्कार, मैं जागृति गुप्ता; बात करने जा रही हूँ मौजूदा दौर में राजनीति में महिलाओं की भागीदारी पर। आप सभी अपने अपने गांव, कस्बा,तहसील,जिला, प्रदेश आदि में देखते होंगे कि लोग राजनीति में महिलाओं की भागीदारी पर बड़े-बड़े वक्तव्य देते हैं,पर वही लोग जब पद की बात आती है, तो महिलाओं का नाम लेना तक भूल जाते हैं, इतना ही नहीं, "महिला दिवस के अवसर पर भी महिलाओं को पीछे छोड़ स्वयं फीता काटने पहुंच जाते हैं।

और तो और यदि मंच पर कोई महिला है, तो उसको भी आगे नहीं बैठने देना चाहते,बोलने नहीं देना चाहते।और यदि कोई महिला बोल भी दे,तो उसको धीमे से किनारे कर दिया जाता है; ये बात अधिकांशतः लोगों पर सटीक बैठती है।

अब आप लोग कहेंगे कि राजनीति में महिलाएं तो काफी हैं, सभी पार्टियों में भी हैं, फिर हम ऐसी बात क्यों बोल रहे,तो दोस्तों हमने ये बात इसलिए कही है, क्योंकि हम राजनीति को काफी करीब से देख रहे हैं।

दरअसल राजनीति में महिलाओं की भागीदारी नहीं अपितु भाग्यदारी चलती है, अब आप सोचेंगे वो कैसे; तो वो ऐसे कि अधिकांशतः वो महिलाएं राजनीति में हैं, जिनके पिता,पति,ससुर आदि पहले से राजनीति में हैं।उनको सभी पार्टियां सीधे ही या चुनाव के माध्यम से पदासीन कर देतीं हैं।

यही कारण है कि राजनीति में महिलाओं का आरक्षण होने के बावजूद अपना अलग से कोई बजूद नहीं बना पाया।

98% सीटों पर महिलाएं चुनाव तब लड़तीं हैं,जब महिला सीट हो, और उसमें भी टिकट वो ही लोग ले जाते हैं, जिनके पति,पिता या ससुर उस सीट पर चुनाव लड़ते,यदि वो जनरल होती।

यही कारण है कि जब कोई महिला चुनाव जीतती है, तो कहा जाता है कि ये तो बस हस्ताक्षर करेंगी,राजनीति तो इनके परिजन ही करेंगे।

इसके उलट जो महिलाएं स्वयं निर्णय ले सकतीं हैं, जो कुछ अच्छा कर सकतीं हैं, वो कभी परिवार के कारण,कभी धन के अभाव के कारण, और अधिकतर पार्टियों में कोई पद व टिकट न मिल पाने के कारण पीछे रह जातीं हैं।

राजनीति में महिलाओं के पद देखिए, 40 लोगों की लिस्ट में 4श्रीमती होतीं हैं, और कहीं 400 से अधिक में देखने पर,2 नाम के आगे सुश्री दिखेगा,मतलब लड़कियों को राजनीति में पद न के बराबर दिया जाता है, यही कारण है कि राजनीति में आजतक महिलाओं का प्रतिशत बहुत कम है।।

इंसान ईश्वर की पूजा अर्चना तो करता है, परन्तु ईश्वर से कुछ सीखना नहीं चाहता। ब्रह्मांड में सभी प्रमुख पदों की जिम्मेदारियां देवियां ही उठा रही हैं।

क्या कहीं कुछ गड़बड़ हुई?

नहीं ना,

देवी लक्ष्मी हो,सरस्वती हों या देवी पार्वती, सभी अपने-अपने उत्तरदायित्व समान रूप बखूबी  निभा रहीं हैं। हर महिला अपने घर, परिवार, समाज आदि की जिम्मेदारी बखूबी निभाती है,

इसके बाबजूद जब उसकी उपेक्षा की जाती है, तो उसका दुःखी होना स्वाभाविक ही है

जिस भारत ने दुनियाँ को नारी शक्ति से परिचित कराया,उसी देश में नारी की उपेक्षा  की जाती है।जर्मनी जैसे विकासशील देश की चांसलर महिला है,बंग्लादेश जैसे कट्टर मुस्लिम देश की प्रधानमंत्री महिला है।

मौजूदा सरकार में भी महिलाएं अच्छे पदों पर है और नैतिकता के साथ अपनी जिम्मेदारी निभा रहीं हैं, इसलिए महिलाओं को कमतर मत समझिए,उनकी भागीदारी बढ़ाइए,उनके भाग्य विधाता मत बनिये।।

समय रहते सुधार कीजिये, ईश्वर आपका सहयोग करेंगे।।

-जागृति गुप्ता

प्रदेश सचिव(ABVEP)

Saturday, 29 May 2021

रोहित सरदाना "मेरे भाई जी"

 भाई जी

कहाँ से शुरू करूँ, कुछ समझ ही नहीं आ रहा😥सोचते थे आपकी बायोग्राफी हम लिख देंगे,आपके लिए कुछ लाइंस तो कई बार लिखीं,पर ब्लॉग पहली बार लिखेंगे😥

चैट पर एक बार किसी ने कहा था आपसे,कि जागृति जी बहुत अच्छा लिखतीं हैं; आपने पढ़ा क्या" तो आपने कहा था कि उसने कभी भेजा ही नहीं,"भेजेगी तो पढ़ लेंगे"

हम सोच रहे थे कुछ आपके लिए लिखेंगे,तो सब एक साथ भेज देंगे,पर नियती को कुछ और ही मंजूर था😭

आपको पहली बार जी न्यूज के "ताल ठोक के" प्रोग्राम में देखा था, धीमे धीमे उसे देखने की आदत बन गयी थी, फिर ट्विटर पर आपको फॉलो कर लिया,क्योंकि आपको देखना,सुनना दिनचर्या का अहम हिस्सा बन चुका था,

कुछ रोज आप "जी न्यूज पर नहीं दिखाई दिए,

आपके ट्वीट्स को स्वेता जी ने लाइक किया,तो मामला थोड़ा कम समझ आया,पहले लगा कि शायद अच्छे पत्रकार हैं आप,इसलिए आजतक के पत्रकार भी आपका ट्वीट लाइक कर रहे हैं।

फिर अगले ही दिन आपका ट्वीट आया

"अफवाहों का दौर था कल तक,अब देखिए आजतक"

इस ट्वीट से प्रथम दृष्टया ये लगा कि आपने जी न्यूज को अफवाह वाला बता दिया, पर फिर समझ आया कि आपके टीवी पर न दिखने पर लोग जो कयास लगा रहे थे,वो सब अफवाहें थी,

आपने "आजतक" ज्वाइन कर लिया है।

कार्यक्रम का नाम "दंगल" चूंकि हम चैनल के बजाय आपके फैन थे,इसलिए सीधा चैनल बदलकर आपको देखना शुरु कर दिया।हम हमेशा कहते थे कि डिबेट आपसे बेहतर, आपकी तरह बेबाक होकर,कोई नहीं करा सकता।

5बजे का अलार्म सेट था, दंगल के साथ शाम की चाय, ये रूटीन बन गया था मेरे परिवार का।

पहले लगा कि कहीं आप आजतक में आकर बदल ना जाओ,सच कहना ना बंद कर दो,पर कुछ एक एपिसोड से समझ आ गया,कि आप वो सूर्य हैं, जो अपनी स्थिति ग्रहण के समय भी नहीं बदलता।आपके प्रति प्यार और सम्मान समय के साथ बढ़ता गया।फिर आजतक ने आपसे हमारा सीधे बात चीत का रास्ता बनाया-लाइव चैट

ये वो माध्यम था, जहां अब आप हमसे सीधे जुड़े थे,औऱ हम आपके समक्ष अपनी बात रख सकते थे।

भारत तक:-

आजतक ने दर्शकों के सवाल जवाब के लिए एक यूट्यूब चैनल बनाया, जिसमें एंकर दर्शकों के सवालों का सीधे जवाब देते थे।ये मेरे लिए किसी जैकपॉट से कम नहीं था,

अपने चहेते पत्रकार से आखिर कौन नहीं जुड़ना चाहता है।

शुरुआत के दिनों में भारततक पर आप,स्वेता सिंह व गौरव सावंत जी आये,जिसमे आपकी टीम के कोई सदस्य आपको सवाल पढ़कर सुनाते,और फिर आप विस्तार से उसका जवाब देते। पर तब सवाल शामिल होना किसी लकी ड्रा जैसा होता था।

कुछ ही दिनों में आप मेरे नाम व मेरी विचारधारा से बाकिफ हो गए,

और आपने चैनल पर सभी को बोला, कि जागृति गुप्ता का तो मुझे नाम भी याद हो गया,ये हमारी पक्की वाली दर्शक है,जिस पर स्वेता जी ने भी हामी भरी।



कुछ दिन बाद "राष्ट्रहित विथ रोहित" आपके लिए व स्वेत पत्र स्वेता जी के लिए निर्धारित कर दिया गया।

अभी फिर कुछ समस्या आयी,चैनल ने भारत तक पर चैट को बंद कर दिया।उस समय परिवारिक कार्यक्रम में मेरी भी व्यस्तता रही,

जब फ्री हुए तो देखा कि लाइव चैट बंद हो गयी,पर कुछ ही दिनों बाद लाइव चैट का स्वरूप बदल गया,

यूपी तक-: 

अब लाइव चैट वेब चैट में परिवर्तित हो चुकी थी,और ये यूट्यूब के यूपीतक पर भी लाइव रहती थी,आपके कहने पर सभी ने बड़ी संख्या में यूपी तक को सब्सक्राइब किया,

और यूपीतक को गोल्डन बटन मिला,

इस पर जब मैंने इस जीत का श्रेय आपको दिया,तो आपने बड़ी सहजता से कहा कि इसमें पूरी टीम की मेहनत लगती है, सबके प्रयास से ये बटन मिला; आपकी ये सादगी ही तो आपको महान बनाती थी।कई बार लोगों ने मुझे मेरे सवालों को लेकर आपसे सवाल किये, पर आपने उन्हें भी अच्छे से ही समझाया


आपके ऐसे जवाब ही थे,जिन्होंने आपको मेरी जिंदगी का अहम हिस्सा बना दिया था।अब तक आप मेरे लिये कोई न्यूज एंकर या कोई सेलिब्रिटी ही नहीं थे,बल्कि मेरे भाई बन चुके थे।

मेरे भाई जी बोलते हुए जब एक वर्ष पूर्ण हुआ,तो मैंने बताया कि आज एक वर्ष पूर्ण हो गया आपको भाई जी बोलते हुए,

तो आपकी जो प्रतिक्रिया थी,उसे हम आजीवन नहीं भूल सकते


कुछ दिनों बाद यूपी तक भी चला गया,परंतु चैट चलती रही।

वेब चैट-:

अब न भारत तक न यूपीतक,

बस इतना ही नाम था, आजतक वेब चैट विथ रोहित सरदाना"

चैट निरंतर चलती रही, पुराने लोग गए,नए आये; इस दौरान यदि कोई नहीं बदला तो वो थे हम और रोहित भाई जी।

कितने बार लोगों ने कम्पेयर किया,कितने ही बार बोला कि जागृति बस करो, तुम्हारे सवाल बहुत हो गए,वहीं कुछ लोग ये भी कहने आते कि लाइव चैट में आपके सवालों का और रोहित जी के जवाबों का इंतजार रहता है।

चूंकि आपने ही सिखाया था कि टॉलरेंट होना बहुत जरूरी है, इसलिए कभी किसी से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं की चैट में।

बहुत खुशी होती थी,जब आप मेरे सवालों की सराहना करते,जब आप बताते कि आपने मेरा ट्वीट देखा था, आप मेरे वीडियो देखते हो,

पर ये खुशी इतने कम दिन चलेगी,ये स्वप्न में भी नहीं सोचा था।

मेरी माँ का निधन-: 

पिछले वर्ष कोरोना की बजह से जब लाइव चैट बंद चल रही थी,उसी दौरान 11 अगस्त 2020 को पूर्णतयः स्वस्थ मेरी माँ का अचानक ह्र्दयगति रुकने से निधन हो गया😥

हम पूरी तरह टूट चुके थे,पर जब आपको लाइक चैट के कुछ सदस्यों की मदद ये बात पता लगी,तो आपने मुझे ईमेल की,जिसमें आपने लिखा था,कि "इस दुःख की घड़ी में मुझे अपने साथ समझो" इन शब्दों ने बहुत हिम्मत दी थी मुझे।

कुछ दिन बाद ही प्रमिला जी का भी संदेश मिला,तो कभी ऐसा लगा ही नहीं कि हम को फैन या फॉलोवर हैं, क्योंकि इतना पारिवारिक स्नेह सिर्फ कोई अपना ही दे सकता है।

माँ के जाने के करीब 3माह बाद हम लाइव चैट से पुनः जुड़े,और वह क्रम निरंतर चल रहा था,कि तभी ध्यान गया कि आप चैनल पर नहीं आ रहे हो

20 अप्रैल 2021

जब आपको 3दिन लगातार चैनल पर नहीं देखा,तो पहले लगा कि शायद आप छुट्टी पर हैं, फिर चैट के ही हमारे एक साथी के ट्वीट से मन इतना विचलित हुआ कि मैंने मैसेज करके आपसे कुशल मंगल व चैनल पर न आने का कारण पूछा,

आपने बताया सब ठीक है, अगले हफ्ते से आएंगे।

मन को तसल्ली हो गयी कि सब ठीक है।

फिर 2-3दिन बाद आपने अपने स्वास्थ्य के बारे में ट्वीट किया कि आपके CT-SCAN में कोविड़ की पुष्टि हुई है।

मन फिर से घबरा गया,आपको फिर से मैसेज करके ठीक से खाने पीने आदि की सलाह दे डाली।

चूंकि आप उस समय भी कोविड़ पेसेंट की मदद के लिए ट्वीट करते रहते थे, तो लगता था कि आप जल्द हमारे बीच पूर्णतयः स्वस्थ होकर लौटेंगे।

28 अप्रैल 2021 को फिर से मैसेज करके आपके हाल चाल पूछे,आपने कहा "पहले से बेहतर"

मन में खुशी थी,निश्चिंत थे हम।

30 अप्रैल 2021-:

हम अस्पताल गए थे, वापस आकर पास ही मौसी के घर चले गए,फोन रख दिया था।

कुछ देर बाद मेरा कजिन बोला, दीदी "रोहित सरदाना नहीं रहे"ये सुनकर हमने उसपर गुस्सा किया,कहा फालतू बातें मत करो,वो बोला, दीदी मजाक नहीं कर रहे, आपके भाई की पोस्ट है,इतना सुनते ही दिमाग सुन्न हो गया,आँखों से बस आंसू आ रहे थे,फिर फोन देखा,तो ट्विटर,मैसेंजर,व्हाट्सएप सभी पर एक ही खबर,

कई लोग कंफर्म करने के लिए मैसेज कर रहे थे,पर होश कहाँ था कि किसी को ज्यादा कुछ बोलते।

एक सूर्य सा चमकता सितारा अस्त हो चुका था, पूरा भारत शोक में था, एक उभरते व्यक्तित्व ,बेहतरीन इंसान का इस तरह से जाना हर किसी को खल गया,

वो बुलंद आवाज,जो न जाने कितनों को न्याय दिला चुकी थी,न जाने कितनों के जीवन को रोशनी से भर चुकी थी,अब हमेशा के लिए खामोश हो गई

मेरे जीवन की ये अपूर्णीय क्षति है😥भाई जी जैसा कोई कभी नहीं हो सकता।

न जाने क्यों ईश्वर तूने ये दिन दिखाया,

मासूम से बच्चों का यूँ दिल दुखाया

रोता है परिवार संग सब यार दोस्त भी

क्या दोष था इनका,तूने कभी न बताया😭😥


हमेशा याद आओगे भाई जी🙏🏻😥


Wednesday, 10 February 2021

Life After Maa

                   6महीने बाद

कभी सोचा ही नहीं था,कि जिंदगी माँ के बिना कैसी होगी?कैसे रहेंगे उस घर में,जिसमें माँ ही नहीं होगी😢

आज 6महीने हो माँ को दुनियाँ से गए,पर ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात हो,जैसे अभी वो हमें आवाज देकर बुलायेंगी, जैसे अभी कहीं से आकर पूछेंगी,कि क्या कर रही,जैसे अभी आकर कहेंगी,तुमने तो आज सब काम कर लिया😢

पर ये मन के वहम से ज्यादा कुछ नहीं,दिल की चाहत से ज्यादा कुछ नहीं.!

आज बताते हैं आपको कि आखिर माँ के बिना,ये 6महीने कैसे गुजरे

10 अगस्त की रात हमारी जिंदगी में ग्रहण बनकर आयी,प्रकृति भी रोयी माँ को अलविदा कहते समय; उस रात जैसी बारिस पूरे सीजन में कभी नहीं हुई।

11 अगस्त 2020 को माँ का अंतिम संस्कार हो गया और हमारी जिंदगी का बुरा समय शुरू हो गया,हम सब बीमार पड़ गए, किसी को वायरल,किसी को टायफाइड हो गया,थोड़ा संभल पाते कि उससे पहले ही एक बार फिर किस्मत ने अपना घटिया खेल खेला,मेरे डैडी को कोरोना हो गया☹️

हम सब अभी ना मन से स्वस्थ हुए थे और ना ही तन से🙄

डॉ के अनुसार डैडी को अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए था,पर हमारी मनोस्थिति ऐसी नहीं थी,जिसमें हमारे परिवार का एक भी सदस्य हमसे दूर रहता,डैडी की तबियत देख हम सब अंदर से इतने डरे हुए थे कि पचासों बार ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन रेट चेक करते,दवाई और खबाई सब करने में इतना व्यस्त हो गए जैसे कोई और काम ही नहीं हमारे पास,मेरा फीवर ठीक हुआ,फिर सिस्टर और भाई का।

दोवारा कोविड़ टेस्ट कराया गया सभी निगेटिव आ गए,पर भाई की तबियत थोड़ी बिगड़ी,उसको दिखाने लखनऊ चले गए, तो डॉ ने फिर से कोविड़ टेस्ट कराने को बोला,इस बार फिर भाई की रिपोर्ट निगेटिव पर डैडी की RT-PCR पॉजिटिव आ गयी,

आज माँ को गए ठीक एक महीना पूरा हुआ था,डॉक्टर ने कहा कि तुरंत भर्ती कराओ।

रात का वक्त,वही तारीख,वही समय,अंदर से इतना डर कि कहीं कुछ अनहोनी ना हो जाये,कहीं पिछले माह जैसा कुछ ना हो जाये,मैंने खुद को थोड़ा संभाला और अपने दोस्तों को कॉल की,जो कि डॉक्टर हैं, सभी ने कहा कि जब कोई लक्षण नहीं हैं, जब कोरोना का ट्रीटमेंट चल चुका,तो सावधानी रखो,और खाने पीने का ध्यान रखो,ऑक्सीजन रेट चेक करते रहो।।हमने ठीक वैसा ही किया,

उस रात सबसे ज्यादा हिम्मत बंधाई डॉ अरविंद जी ने,जिन्होंने कहा कि अगर रात में कोई दिक्कत होती है, तो उनके बताए अस्पताल में एडमिट किया जा सकता है, मुसीबत के वक्त अपनों का साथ और उनके शब्द ही ताकत देते हैं।

उसके बाद हमने हमारे कजिन से बात की,फिर हम लखनऊ से कानपुर भैया के पास आ गये,जहां डैडी के सभी टेस्ट दोवारा कराए,CT, ECG, ECHO और पूरा हिमोग्राफ।सभी रिपोर्ट्स नॉर्मल आईं,तब जाकर हमने कहीं खाना खाया।

9दिन बाद हम घर वापस आ गए और ऐसे करीब 2महीने बाद डैडी पूरी तरह स्वस्थ हुए, इन दो महीनों में हम सभी का बजन कम हो चुका था, 5KG WEIGHT टेंशन के चलते कम हो गया।

इस मुसीबत में मेरे कुछ दोस्तों ने और मेरे परिवार ने मेरा बहुत साथ निभाया,

मेरी दोस्त डॉक्टर वर्षा, डॉक्टर अरविंद,तरस,आदि ने मुझे बहुत हिम्मत दी।

मेरे चाचा डॉ लक्ष्मीकांत गुप्ता,मेरे कजिन भाई भावनात्मक रूप से मेरे साथ हर समय खड़े रहे।।

वक्त बीतता गया,हिम्मत आती गयी और अब आप सबके बीच हूँ। सोशल मीडिया पर कई ऐसे लोगों ने ट्वीट करके मेरे हालचाल पूछे,जिनका मैं नाम तक नहीं जानती थी,पर यकीन मानिए आपके शब्दों ने मुझे बहुत हिम्मत दी,आप सभी के इतना कहने और याद करने की बजह से ही हम 2महीने बाद सोशल मीडिया पर लौटे थे।

सोशल मीडिया से ही भाई रोहित सरदाना जी की ईमेल और उनकी पत्नी प्रमिला दीक्षित जी के संदेश ने भी एक अपनेपन का एहसास कराया,

सोशल मीडिया के कई साथी तो इस बजह से ये सब जान पाए क्योंकि उन्हें मेरा कोई पोस्ट नही दिखा था,फिर उन्होंने कारण जानने के लिए सारे प्लेटफॉर्म पर जाकर देखा,अन्ततः उन्हें जानकारी मिली,और उनके संदेश मुझे मिले।

जिंदगी में हर रिश्ते की अपनी जगह होती है, इसीलिए सभी को प्यार और सम्मान से पोषित करते रहो।

माँ की जगह जिंदगी में कभी कोई नहीं भर सकता,उनकी याद में जब आंसू निकलते हैं,तो भावनाओं का वो ज्वार आज भी संभाले नहीं संभलता।

अभी तो पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के साथ,आप सबसे भी जुड़ पाने का समय निकाल लेते हैं,

अपना प्यार और साथ यूँ ही बनाये रखिये🙏

Wednesday, 13 January 2021

MakarSankranti

मकर संक्रांति

कुछ दिन पहले ट्विटर पर राय मांगी थी कि मुझे किस विषय पर ब्लॉग और कविता लिखनी चाहिए,कई टॉपिक मिले,

उन पर आगे विस्तार से लिखेंगे,

पर फिलहाल हमारे एक मित्र ने सुझाव दिया था कि मुझे मेरी जिंदगी का कोई संस्मरण लिखना चाहिए,चूंकि आज संक्रांति है, तो मुझे मेरे जीवन से जुड़ा एक बाकया याद आ गया, सोचा आप सभी के साथ साझा करूँ।


बात उन दिनों की है, जब हम ग्रेजुएशन कर रहे थे,हमारे क्लास के सहपाठी बेहद सुलझे हुए थे,क्लास के दौरान हमारी आपस में बातचीत होती थी।

हम जो भी लंच में ले जाते थे, उसे बांटकर खाया करते थे।

बात संक्रांति की है,उस दिन हमारे टीचर्स की ट्रेन लेट थी,

हम सभी टीचर्स का इतंजार कर रहे थे,

सर्दी का समय,कड़कड़ाती ठंड,और आंवले का सीजन,

संक्रांति की बजह से सब लोग आपस में गजक,चिक्की, पट्टी,तिलकुट, इत्यादि चीजें शेयर कर रहे थे, तभी मेरी एक दोस्त ने मुझे कच्चा आँवला खाने को दिया,मैंने आँवला खाया और उसकी गुठली को टॉफी के रैपर में रैप कर लिया,

तभी मेरा एक बैचमेट आया,औऱ उसने मेरे हाथ से वो रैप की हुई गुठली टॉफी समझ के ले ली,

मैंने उससे वो वापस लेने का प्रयास किया,बोला वापस दे दो,पर उसने एक ना सुनी और टॉफी को डायरेक्ट मुंह के अंदर ही खोला,

बस फिर क्या था,वो आँवले की गुठली उसके मुँह में,

ये देख हम सबका का हँस हँस के बुरा हाल हो गया,

आज भी जब संक्रांति आती है, तो हमे वो वाकया याद आ ही जाता है।।



Saturday, 10 October 2020

Maa

मेरी माँ
जन्म लेने के बाद जिसने सबसे पहले अपने सीने से लगाया,वो थी मेरी माँ😍
एक बेटी होने के बावजूद मुझे प्यार और स्नेह भरपूर मिला,सब मुझे बेहद प्यार करते थे।
पर मैं सबसे अधिक प्यार अपनी माँ से ही करती थी।
मैं उनको कहती भी थी,कि दुनियाँ में आपसे अधिक प्यार मैं कभी किसी को नहीं कर सकती।
बचपन के 3साल तो मुझे याद नहीं,पर उसके बाद का सब कुछ याद है।
मेरी माँ ने अपने जीवन में कभी मुझे डांटा नहीं,मारा नहीं।
वो मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी,मुझसे जुड़ी,मेरे दोस्तों से जुड़ी सारी बातें मैं मेरी माँ से शेयर करती थी।।
मेरा मेरी माँ से कनेक्शन जुड़वा बहनों जैसा था,
अगर उनको कोई शारिरिक-मानसिक परेशानी होती थी,तो वो मुझे भी होती थी,
जैसे यदि माँ को सरदर्द है, तो मुझे भी होगा
मेरी माँ को पेट दर्द है, तो मुझे भी होगा
यदि वो कुछ करवाना चाहती थीं,तो मैं उनके बोलने से पहले कर चुकी होती थी।
मेरे दोस्त हमारे इस कनेक्शन से परिचित थे,वो कभी कभी मजाक में कहते भी,कि तुम्हारे जैसा कनेक्शन नहीं देखा।
मैं खुद भी मम्मी से कहती थी,कि तुम दवाई खा लो,
मैं अपने आप ही ठीक हो जाऊँगी।

जिंदगी इतनी अच्छी चल रही थी, कि मुझे कभी किसी चीज की चाहत ही ना थी,जो था मेरे पास,मैं उसी में बेहद खुश थी।
मेरी माँ धार्मिक प्रवत्ति की,अनुशासित व बेहद सुलझी हुई महिला थी।
मैं,मेरे भाई बहिन शुरू से बाहर ही पढ़े,पर ऐसा कभी कोई त्यौहार नहीं गया, जब हम घर पर ना आये हों।
मेरा परिवार पूरी खुशहाली के साथ जीवन को बेहतर ढंग से जी रहा था,साल बीतते देर नहीं लगती।
31 दिसम्बर 2019 को हम अपने घर से दिल्ली के लिए रवाना हुए और 15जनवरी को बैंगलोर,पहुंच गए।

आगमन हुआ साल 2020 का-:

साल की शुरुआत अच्छी थी,फरवरी 2020 में दीदी ने बेटे को जन्म दिया,और हमारे परिवार की खुशियां बढ़ा दी।
मार्च में घर वापसी के ठीक 2दिन पहले ही लॉक डाउन हो गया,फ्लाइट्स कैंसल हो गयीं,
और हम बैंगलोर में कैद हो गए।
लंबे अंतराल के बाद जब ये खुला तो 2जून को मेरी दिल्ली वापसी हुई,औऱ नियम के हिसाब से हम 14जून को घर वापस आये।
मेरी माँ मुझे देखकर बेहद खुश थीं,
हालांकि इन 6महीनों में ऐसा कोई दिन नहीं गया,जब हमने माँ से दिन में 3-4बार वीडियो कॉल ना की हो।

घर में बिल्कुल त्यौहार वाला माहौल रहता था,क्योंकि हम सब भाई-बहन लंबे समय बाद एक साथ थे; ऐसा अधिकांश त्यौहारों पर ही संभव होता था।

30 जुलाई को मेरा जन्मदिन था,
मेरी माँ ने मेरा केक कटवाया और मुझे तिलक करके 500₹ दिए,
पूरे परिवार के साथ हँसी-खुशी ये दिन गुजरा।

आगे भी सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था, हम सब पूरे टाइम हँसी-मजाक,खाने पीने में लगे रहते।
मम्मी जन्माष्टमी के लिए मेवे खरीद लायी थी,
उनको हर चीज करीने से और समय से करने की आदत जो थी।

9अगस्त को मेरे छोटे भाई का जन्मदिन था, मम्मी ने हम सभी को तैयार होने के लिए बोला,मेरी बहन और मुझसे कहा कि हम दोनों साड़ी पहनें, पर हम दोनों ने ही मना कर दिया,
और कहा कि साड़ी नहीं पहनेंगे,पर वैसे तैयार होंगे,कुछ और पहन लेंगे।
हमें नहीं पता था कि ये बात मम्मी जिंदगी में कभी दोवारा कहेंगी ही नहीं।
मम्मी ने जन्मदिन पर दही की गुजिया,पूरी,कचौरी,खीर,पनीर,पुआ सब बनाया।
शाम को हम सब को तैयार होने को कहा,तो हम सब तैयार हुए,पर मम्मी उस दिन कुछ ज्यादा ही तैयार हुई,ऐसे वो किसी के जन्मदिन पर तो पहले कभी तैयार ही नहीं हुई थी।
उनको उसदिन देखकर मेरे मन में कुछ सेकंड के लिए अंजान सा भय आ गया,और हमने मन में ही ये कहा,"भगवान अगले जन्मदिन पर भी मेरी मम्मी,मेरे भाई का इसी तरह से जन्मदिन मनाएं"

हालांकि इस डर को मैंने किसी के सामने कहा नहीं,क्योंकि ये मन का भय था,और फिर हम तिलक करने और फोटो आदि लेने में व्यस्त हो गए।
जन्मदिन के खूब सारे फोटो वीडियो हम सब ने लिए।
काफी सारी फोटो लेने के बाद मम्मी ने छोटे भाई से कहा,कि एक फोटो वो उनके साथ अलग से ले ले,कभी कहीं लगानी पड़े,उसके लिए।
उनकी ये बात सुनकर, मुझे और मेरे भाई, हम दोनों को ही लगा कि मम्मी ऐसे क्यों बोल रहीं।
जबकि वो बहुत खुश और स्वस्थ थी।।
फिर रात को डिनर करके,हम सब हँसी खुशी सो गए।

9अगस्त 2020 की रात-:
रात करीब 1 बजे मम्मी के रोने की आवाज से मैं और मेरा भाई जागे,हम मम्मी को बहुत चुप करा रहे थे,पर वो सिर्फ रोये जा रही थी,
इतनी तेज और इतना दुःखी होकर,वो हमारे सामने कभी नहीं रोयीं थीं।
हम सब भाई बहन व डैडी उनको चुपाने में लगे थे, पर वो चुप ही नहीं हो रहीं थीं,
फिर मैंने उनसे पूछा कि क्या कोई बुरा स्वप्न देख लिया,
तो बोलीं हाँ,
मैंने उनको समझाया,कि स्वप्न था,
अब चुप हो जाओ,
औऱ देखो सब तुम्हारे सामने ही बैठे हैं।
पर वो फिर भी चुप नहीं हुईं,
फिर मैंने पूछा कि आखिर क्या स्वप्न देखा?
स्वप्न-:
उन्होंने बताया कि मम्मी के साथ डैडी,दीदी व छोटा भाई है,
कोई महिला उन लोगों पर कोई पीले रंग का पदार्थ डालने के लिए दौड़ रही है,
वो उससे सभी को बचाना चाहती हैं, और सभी को तेज चलने को कहतीं हैं।
डैडी को वो वहां से पहले निकाल देतीं हैं, पर दीदी और भाई नहीं निकल पाते,तब तक वो महिला वो पीला पदार्थ डाल देती है।
इसके बाद एक गद्दा फोल्ड किया हुआ रखा है, जिसको वो सीधा करतीं हैं, तो उसमें डेड बॉडी रखीं हैं,
उनको वो खोलकर देखतीं हैं,
तो कोई भी घर का सदस्य नहीं होता है।
वो करीब 2बजे तक रोयीं,फिर उनको समझाकर, चुप कराकर सुला दिया।

10अगस्त 2020-:
सुबह सभी लोग जागे, अच्छे से पूजा पाठ किया।
सोमवार था,तो मेरा और मेरी सिस्टर का उपवास था,
उस दिन खाना मम्मी ने ही बनाया,हम दोनों से कहा कि हम भी कुछ व्रत वाला खा लें,
हम दोनों ने मना किया,तो वो नाशपाती काटकर ले आयीं,
केले मंगवाए,हम दोनों ने ही सबकुछ उनके कहने से खाया।
शाम को भी मम्मी ने हम दोनों को खाना नहीं बनाने दिया।
हमसे थाली लगवाई और रोटियां स्वयं ही बनाई।
सभी लोग खाना खाकर लेट गए।
हम सब इधर उधर की बातें करते रहे,
फिर मम्मी छोटे भाई के पास अंदर लेटने चलीं गयीं।

हम लोग डैडी के साथ लॉबी में लेट गए।
तब 10:30 पर मम्मी बाहर आयी औऱ बोली,खीर नहीं दी किसी को तुमने,
मैंने बोला नहीं,
तो माँ बोली कल जन्माष्ठमी का व्रत रहेगा,तो आज ही सभी को खिला दो।
हमने बोल दिया,अब तुम ही दे दो।
मम्मी ने सभी को खीर खिलाई,और खुद भी खाकर लेट गयीं।

करीब 11 बजे अचानक तेज बारिश आ गयी,
हम सब बिस्तर लेकर अंदर आ गए।
मम्मी ने अपने बेड की डायरेक्शन बदली और लेट गयीं।
हल लोग कमरे में सोने चले गए।
11:15 बज चुके थे कि तभी मेरी छोटी सिस्टर कमरे स्व बाहर निकली, तो देखा कि मम्मी बैठी हुई हैं,
उसने पूछा कि क्या हुआ,क्यों बैठ गयी,तो उन्होंने पानी देने के लिए इशारा किया।
तुरंत ही हम बाहर आ गए,मैंने देखा तो मम्मी के हाथ एकदम ठंडे हो चुके थे,फिर मैंने पूछा कि क्या हुआ है,
तो बोली,"लगता है खीर नुकसान कर गयी,
हमने उनसे कहा,क्या बात करती हो मम्मी,खीर नुकसान नहीं करेगी,
बताओ अब क्या लेकर आएं,
तो बोली कि चाय ले आओ।
हम चाय बनाने गए,तो बहन से बोली, वॉशरूम जाना है, वो लेकर गयी,तो वापस आते ही मम्मी को तेज दर्द शुरू हो गया।
वो बोली कि पेट में दर्द है,
तो हमने कहा,डॉक्टर को बुला लेते हैं, तब तक लो चाय पिओ,
उन्होंने मना किया,पर हमने 2शिप  चाय उनको पिला दी।
उस रात हमारे फैमिली डॉक्टर बाहर थे,तो हम दूसरे डॉक्टर के यहाँ गाड़ी से पहुंचे,
तब तक दर्द बहुत तेज और ऑक्सीजन रेट कम हो गया था,
ऐसी हालत में मम्मी सिर्फ "हे राम!" कह रहीं थी,
और फिर अचानक बोलीं कि "अब नहीं बचेंगे"
ये सुनते ही हम सब रोने लगे,
उस क्लीनिक में ऑक्सीजन खत्म थी,हम दूसरे अस्पताल पहुंचे,जहां ऑक्सीजन लगाकर,डॉक्टर ने सैफई के लिए रैफर कर दिया।
एम्बुलेंस आ चुकी थी,
हम सैफई के लिए निकले,तो भी मम्मी दर्द से तड़प रहीं थी,
40 मिनट में हम सैफई पहुंच गए।
सैफई में डॉक्टर्स को पहले ही इन्फॉर्म कर चुके थे, तो डॉक्टर की टीम तैयार खड़ी थी,
पर ऑक्सीजन का सिलेंडर वहां जो आया,वो खाली था,
फिर दूसरा सिलेंडर आया,
ये सब होने में 10मिनट लग चुके थे,
घड़ी की सुइयाँ 1बजा चुकी थी,कि हम इमरजेंसी के गेट पर पहुंचे,
हम अंदर जा पाते,डॉक्टर कुछ कर पाते कि तभी मम्मी ने तेज गहरी सांस के साथ शरीर छोड़ दिया।
पर कहते हैं ना कि जब अपना कोई होता है, तो उम्मीद बनी ही रहती है।
डॉक्टर ने सीपीआर दिया,EGC किया और सीवियर हार्ट अटैक बताकर, माँ को मृत घोषित कर दिया😢😭

अचानक ही मेरे हँसते खेलते परिवार में मातम छा गया,
अभी माँ के उस दुःस्वप्न्न को ठीक 24घण्टे हुए थे,
अब रोने की बारी हमारी थी,
वो जिंदगी में एक ऐसा खालीपन दे गयीं,जिसकी क्षति अपूर्णनीय है।

मेरी माँ का नाम राधा था,और जन्माष्टमी पर वो कृष्ण में विलय हो गईं।
जिंदगी में उनके दिए संस्कारों का आकार कोई बदल नहीं सकता🙏
उन्होंने कभी किसी से वैर भाव नहीं रखा, वो हर किसी से प्रेम भाव रखतीं थीं,
यही कारण है कि ऐसे कई मिलने वाले और रिश्तेदार ये कहते हैं कि उनके जाने से,उनका भी परिवार टूट गया।
ईश्वर से बस यही शिकायत है कि उन्हें असमय मेरी माँ को अपने पास नहीं बुलाना चाहिए था😭
वो अब जहां भी रहें,सकुशल रहें😍
नमन आपको🙏
अश्रुपूरित श्रद्धांजलि😥💐

Wednesday, 15 July 2020

विधवा/Widow


अभी कल ही विदा होकर ससुराल पहुंचीं थी,हाथों की मेहंदी का सुर्ख रंग सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रहा था।
लोग नव बधू की मुँह दिखाई करने आ रहे थे,आशीर्वाद दिए जा रहे थे,सभी शुभ कार्य नई नवेली दुल्हन से ही कराए जा रहे थे,
कि तभी कुछ अनहोनी घटी और लड़के का देहांत हो गया😢

हँसी-खुशी का माहौल मातम में बदल गया।
वो लड़की जिसके हाथों की मेंहदी भी ना छूटी थी,
जिसे सदा सुहागन रहने के आशीर्वाद मिल रहे थे,पलक झपकते ही सब झूठे साबित हो गए; सुहागन का टाइटल बदलकर विधवा का ठप्पा लग गया😢
अनेकों रीति रिवाज शुरू कर दिए गए,
बिंदी,बिछुआ, मंगलसूत्र सब उतरवा लिया गया,
चूड़ियां तोड़ दी गयी,
सिंदूर धो दिया गया,
ये सब कार्य होते रहे,बिना लड़की की मनोस्थिति जाने।।
पहाड़ जैसा दुःख जिस पर अचानक ही पड़ गया,
आगे की पूरी जिंदगी पड़ी थी
दुनियाँ रीति रिवाजों के नाम पर,सब धोने पर अड़ी थी।।
जिस समय उसे सबसे अधिक सहारे की जरूरत थी,
उस समय लोग उसे देखना भी अपशगुन मान रहे थे।
धीमे-धीमे समय बीतने लगा,लोग शुभ-अशुभ कदम की चर्चा करने लगे,कुछ एक ताने भी मार देते,
कभी कभी तो उसे ऐसा लगता मानो हत्यारिन वो खुद ही हो।
अब कपड़ो के रंग निश्चित कर दिए गए,श्रृंगार से जुड़ी हर चीज के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई।

आखिर ये सब क्यों?
क्यों समाज रीति रिवाज के नाम पर फैलाये ढोंग के चलते किसी का दुःख, उसकी मनोस्थिति भी नहीं समझता😠
जब एक लड़की शादी से पहले चूड़ी,बिंदी,पायल,हर रंग के कपड़े पहन सकती है,
तो विधवा होने के बाद क्यों नहीं?
क्यों उसको एक लड़की मान कर ट्रीट नहीं कर सकते?
क्यों उसके दुःख को बांट नहीं सकते,

सिर्फ सिंदूर ही है,जिसे शादी के बाद ही मांग में भरते हैं, उसके अलावा ऐसा कुछ नहीं, जिसे शादी से पहले नहीं पहन सकते।।
कुछ लोग बिछुआ की कहेंगे, तो आपको बता दें, गुजरात में अनमैरिड लड़कियां भी पहनती हैं।

हालांकि समाज मे काफी कुछ बदलाव होने लगे हैं,विधवा पुनर्विवाह भी होने लगे हैं,
परन्तु लड़के की मृत्यु के बाद,उसकी पत्नी साथ होने वाले क्रिया कर्म अब तक नहीं बदले।
ये बदलाव हम आप ही ला सकते हैं,
हमें खुले मन से सोचने की आवश्यकता है,
स्वयं को उसके स्थान पर रखकर सोचने की आवश्यकता है,
किसी का सहारा छूटा है,उसे सहारा देने की आवश्यकता है।
समान दृष्टि से देखिये,सब सहज हो जाएगा।

रीति रिवाज वही अच्छे हैं, जिनसे प्रीत बढ़े।।

कृपया अपने विचार व सुझाव कमेंट बॉक्स में अवश्य दें🙏
धन्यवाद😊


Saturday, 11 July 2020

एक रिश्ता ऐसा भी

सोशल मीडिया के दिखावटी रिश्ते
कुछ ही दिन पहले बात हुई थी उससे; कि ऐसा लगने लगा था मानो जन्म जन्मांतर का रिश्ता हो।।
पहले ही दिन दीदी कहा था उसने,उसके ये शब्द मेरे जीवन में इस तरह समाए कि लगा मानों मेरा कोई बिछड़ा हुआ छोटा भाई मिल गया हो।।
चूंकि मुझे चैटिंग की बहुत आदत नहीं थी,इसलिए मैं अपनी तरफ से कभी मैसेज ना करती,पर जब भी उसका कोई मैसेज आता तो बिना एक पल की देर किए मैं रिप्लाई कर दिया करती थी।।

मैं बात कर रही थी उसकी,जिससे कुछ समय पहले ही फेसबुक पर मिली थी,चूँकि पहले ही दिन से रिश्ता भाई-बहिन का जुड़ा तो भरोसा करना स्वाभाविक था।।
एक दिन भाई ने मेरा नम्बर मांगा तो मैंने बिना किसी देरी के नम्बर दे दिया; अब तक जो बात फेसबुक पर होती थी,वो फोनकॉल व व्हाट्सएप पर होने लगी।
इसी बीच भाई ने 4-6बार मिलने के लिए बोला,हालांकि ऑनलाइन रिश्तों पर भरोसा करना मेरे स्वभाव के विपरीत था,फिरभी 1महीने बाद मैंने मिलने की हाँ कर दी।
हम मिले तो ऐसा लगा ही नहीं कि पहली बार मिले हों,
मन में बार-2 एक ही बात कचोट रही थी कि क्यों पहले ही नहीं मिल लिए।
मिलने मिलाने का शिलशिला चालू हुआ,तो मुझे भी भाई के खाने-पीने आने जाने की फिक्र होने लगी।
अब वो मैसेज करे,उससे पहले ही हम उसके खाने पीने का पूछ लेते थे।।
हमारा रिश्ता किसी सगे भाई बहन से कम नहीं था,भाई किसी से मिलने जाते तो खुद ही बताते, मेरे खाने पीने का पूछते और दिन में कम से कम 2बार कॉल करते।
सब बहुत अच्छा चल रहा था,हम लगभग हर जगह साथ ही जाते,
इसी बीच भाई ने एक दो बार अपनी एक दोस्त(जिससे कुछ महीने पहले ही उनकी दोस्ती हुई थी) से बात करवाई।
फिर कुछ समय बाद उनकी एक और दोस्त(जिससे कई सालों से दोस्ती चल रही रही थी) उनसे मिलने आयी, जिससे भाई ने हमें भी 2 बार मिलवाया।
सब बढ़िया चल रहा था,कि तभी भाई की दोनों दोस्तों का आपस में झगड़ा हो गया,
इस झगड़े ने मानों हर रिश्ते को हिलाकर रख दिया।
आरोप प्रत्यारोप चले,अंत में कुछ महीने पुरानी दोस्ती ने 6साल पुरानी दोस्ती को ग्रहण लगा दिया,

मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए,गलती किसकी ये भी समझ नहीं आ रहा था।
कि भाई की उस नई दोस्त ने हमारे रिश्ते में भी टांग अडानी शुरू कर दी।
व्हाट्सएप स्टेटस पर भी चर्चा करती,
भाई जो कभी स्टेटस नहीं देखते थे,उनके कहने पर स्टेटस देख लिया करते।
अब भाई को बहन के ना किसी मैसेज के रिप्लाई से मतलब था न कॉल से,
मन होता तो मैसेज/कॉल करते,
नहीं तो सिर्फ अपनी नई दोस्त को ही पूरा समय देते।।
एक दिन उनकी दोस्त का मेरे पास कॉल आया कि आपके भाई से मेरा झगड़ा हुआ है, उनको आप अपने यहाँ बुला लो।
झगड़े की बात सुनते ही मेरा दिमाग खराब हो गया।
वो इंसान जिसकी बजह से भाई ने सबसे रिश्ते लगभग खत्म कर दिए,वो अपने झगड़े की बात कर रही थी।
इसी गुस्से में मैंने उनको मैसेज करके बोल दिया कि अपनी समस्याओं को अपने तक रखो, हर समय भाई को इनवॉल्व मत किया करो।
भाई की कुछ दिनों से तबियत भी खराब चल रही थी।
मेरा इतना कहना था कि मेरे इंटेंशन को समझे बिना,भाई ने मुझे ही 4बातें सुना डाली,जबकि उनकी दोस्त पहले ही मुझे सुना चुकी थी।।
उस दिन के बात 8-10 दिनों तक मेरी भाई से कोई बात नहीं हुई।
फिर एक दिन भाई की कॉल आयी,तो सोचा गुस्से में बोल गए होंगे,सब नॉर्मल कर देते हैं।
हर भाई बहन में झगड़ा होता है।
15दिन बाद मेरा जन्मदिन था, भाई की रात को कॉल आयी; हम काफी खुश थे,सोचा जन्मदिन भाई के साथ ही सेलेब्रेट करेंगे.,
पर जैसा सोचो,वैसा होता कहां है।
मेरे कहने पर भाई उस दिन एक प्रोग्राम में आये पर मुझसे ठीक से बात तक नहीं की,
मेरी किसी बात का कोई सीधा जबाव तक नहीं दिया।
उस दिन लगा मानों जिस रिश्ते को हम सहेजने की कोशिश कर रहे थे,वो शायद उस दिन पूरी तरह बिखर चुका था।
रोते गाते हम घर पहुंच गए,पर आज ना कोई मैसेज था,
ना कॉल।।
पहले जो कमरे तक छोड़ने आते थे,आज बीच रास्ते छोड़ चुके थे।
कुछ मैसेज हमने कर दिए तो कुछ उनके आ गए,
लिखित में तो वो लास्ट मैसेज थे।
अगले दिन भाई की छोटी फेसबुक बहन ने मुझे और भाई को मिलने बुलाया,सोचा शायद ये रिश्ता बच जाए,इस उम्मीद से वहाँ पहुँचे।
पर हम वहां भी गलत साबित हुए।
इस बार भाई ने उस छोटी बहन का लिहाज किये बिना,
उसके सामने ही हमारे रिश्ते की बैंड बजा दी।
रिश्ता तोड़ने का कारण,मेरा खाने पीने के लिए पूछना,
उनका समय से घर आना जाना,इत्यादि बताया।
उस दिन ना मेरी कसम की कोई कीमत थी,ना मां की कसम की।
न रिश्ते की कोई मर्यादा।
वो बातें जिनकी बजह से रिश्ता जुड़ा था,
वही केयर आज रिश्ता टूटने की बजह बनी थी...

Note- ये कोई कहानी नहीं, बल्कि वो सच है,जिसे लोग आजकल जी रहे हैं।।
और इससे मुझे या मेरे किसी रिश्ते को ना जोड़कर ना देखें।
एक और सच्ची कहानी के साथ फिर हाजिर होंगे🙏
अपनी प्रतिक्रिया इस विषय पर अवश्य दें।।

To be continued...

Saturday, 6 June 2020

Lock Down

ज़िन्दगी हमेशा की तरह चली जा रही थी,
वही रास्ते,
वही रोज के काम,
वही सोना
वही जगना
कि अचानक कोरोना नामक वायरस ने चीन में दस्तक दे दी।
देश-दुनियाँ की खबरों के माध्यम से हम सभी चीन में इस वायरस के फैलने और उससे होने वाली मौतों के बारे में सुन रहे थे।
इस भय से अंजान कि आखिर हमारे देश की सीमा भी चीन से मिलती है,हम बिना किसी चिंता-आशंका के अपने जीवन में व्यस्त थे।।
कि तभी देश की तरफ तेजी से आते कोरोना नामक खतरे को हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने भांपा और सभी एयरपोर्ट पर थर्मल स्क्रीनिंग शुरू कर दी।
पर कहते हैं ना कि किस्मत चार पैर आगे चलती है, जिसको हम एयरपोर्ट पर ही रोकने का प्रयास कर रहे थे,वो तो पहले ही देश के अंदर आ चुके थे।
जी हाँ, जब तक प्रधानमंत्री जी ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक लगाई,तब तक कोरोना देश की वित्तीय राजधानी में दस्तक दे चुका था।
अब बारी थी इसे घर में ही रोकने की,
इसलिए सबसे पहली बार जनता कर्फ्यू का आवाहन किया गया; जिसे हँसी खुशी हम सभी ने माना और सांय 6बजे ताली थाली घण्टा, शंख आदि से अपने देश के वीर सैनिकों,डॉक्टरों व अन्य सेवा कर्मियों का धन्यवाद किया।।

अभी आमजन इसकी भयाभयता से अंजान ही थे,
कोरोना के मामले बढ़ते देख माननीय प्रधानमंत्री जी ने देश मे पहले लॉक डाउन वन की घोषणा कर दी।।
लॉकडाउन होते ही राज्यों ने अपनी सीमाएं लॉक कर दी,
रेलवे,एयरवेज, सब बन्द कर दिए गए,
जो जहां था वहीं फंसा, लॉक डाउन खुलने का इंतजार कर रहा था।।

Sunday, 19 January 2020

30Years Of KashmiriPandit Exodus

कश्मीरी पंडित
दोस्तों आज कश्मीर से कश्मीरी पंडितों को निकले 30 साल पूरे हो गए,पर अफसोस कि उन्हें उनका घर आजतक वापस ना मिला,
उनको न्याय नहीं मिला।।
इसके पीछे राजनैतिक कारण ही रहे।
पर दोस्तो क्या अपने कभी सोचा कि क्यों भारत में हिंदू ही सताया गया,कैसे हम गुलाम बने।
यदि नहीं सोचा तो अब सोचिए

1990 में कश्मीर की मस्जिदों से ये एलान किया गया कि या तो कश्मीरी पंडित अपना धर्म बदल लें,या घर छोड़ दें।।
उस समय जम्मू कश्मीर में फारुख अब्दुल्ला मुख्यमंत्री थे,
और देश में कांग्रेस की सरकार थी,सत्ताधारी पार्टी के किसी नेता ने इसका विरोध नहीं किया।
नतीजा ये निकला कि तमाम कश्मीरी पंडितों का कत्ल कर दिया गया,महिलाओं का बलात्कार किया गया,
किसी को जिंदा ही तेजाब में डाल दिया गया।
पर अफसोस इतने वर्षों तक सरकारों ने कुछ ना किया
अफसोस हिन्दू सब देखकर सोता रहा।।

1992 में जब आपने बाबरी विध्वंस किया,तभी यदि कश्मीर की तरफ भी कूच कर जाते,
तो आज देश को CAA की जरूरत ना रह जाती,
आज सब अपने घरों में होते,
और किसी भी इस्लामिल संगठन की हिम्मत ना होती हम पर गुर्राने की।
उस समय इंटरनेट की सुविधा नहीं थी,
सोशल मीडिया नहीं था,
अखबार में वो आता,जो सरकार या मालिक चाहता
और चैनल का भी वही हाल था।

हमारे देश के गुलाम होने के पीछे भी यही कारण था,
अलग अलग राज्य मुगलों से लड़ते रहे,
संगठित होकर नहीं लड़े,
यदि हम संगठित होकर लड़ते,तो कोई भी देश समुद्री सीमा पार करके हमारे देश पर आक्रमण ही नहीं कर पाते।।

हम अपने अपनों को बचाते रहे,और एक दिन अपनों को भी गंवा बैठे।

इतिहास फिर से दोहरा रहा है,
हम पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को जो 31/दिसंबर/2014 के पहले भारत में आ गए,भारत उन्हें नागरिकता दे रहा है
यहां हम सब एक ही तरह के लोग अपनी जान बचाने के खातिर एक ही जगह(भारत) एकत्र हो जाएंगे,
फिर एक दिन या तो आक्रमण हो जाएगा,
या उड़ा दिए जाएंगे।
बेहतर होगा यदि हम संगठित रहें,किसी भी देश में क्यों ना हो,हम अपनों की मदद करें,क्योंकि हिंदुओं का कोई देश नहीं बचा विश्व में,क्योंकि भारत भी सेक्युलर है।
सच पूछो तो विश्व पटल पर हिंदू ही अल्पसंख्यक है।।

हमें सीखना होगा त्रेतायुग से,
राम जी ने सुग्रीव की मदद करके पंपापुर को बाली से मुक्त कराया और सुग्रीव को वहां का राजा बना दिया।
यही लंका में किया,रावण को मारकर शांति स्थापित की और विभीषण को वहां का राजा बनाया।
वही आज की सरकार करे,
बेशक 2014 से पहले आये लोगों को नागरिकता दे;
पर साथ ही पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश पर ऐसी कार्यवाही भी करे,ताकि वहां के किसी अल्पसंख्यक को फिर भारत में शरण लेने के लिए ना सोचना पड़े।
वो जहां रहें,ससम्मान रहें,हक से रहें।।

मोदी जी ने इस तरफ सुधार का कदम बढ़ाया है,पर कांग्रेस जैसी पार्टियों ने विरोध शुरू कर दिया।
कश्मीरी पंडितों को उनका घर दिलवाए,उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे।।

अपनी राय कमेंट बॉक्स में अवश्य दें।।

Friday, 27 December 2019

Conversation b/w PEN & MIND

कलम और दिमाग का वार्तालाप

आज मैंने जब लिखना चाहा
कलम बोली कुछ ऐसा लिख दे
मिट जाए सरहदें नफरत की
प्यार का खत कुछ ऐसा लिख दे

बोला तभी दिमाग मेरा
कब तक सच को झुठलायेगी
गंगा जमुनी तहजीब नाम पर
कब तक झूठ लिखायेगी

बोली कलम सुनो भाई अब ये
मैं नफरत नहीं सिखाती हूँ
अरुंधति की तरह कभी ना
समाज को मैं भड़काती हूँ

मैं तो हूँ सीधी सच्ची सी
कोई चाल कभी ना चलती हूँ
लिखने वाला चाहे प्यार लिखे
मैं तो उस समय भी घिसती हूँ

बोला ये सुनकर दिमाग मेरा
ये बात सही तुम बोली हो
खुरापात दिमाग ही करता है
तुम तो बाकई में भोली हो

मैं वादा तुमसे करता हूँ
अब और ना कुछ होने दूंगा
चाहे जितना हो बैर भाव
मैं आग नहीं लगने दूंगा
   जागृति गुप्ता✍️

Sunday, 8 December 2019

Rape,"A Heinous Crime

बलात्कार

यूँ तो काफी समय से व्यस्तता के चलते कुछ लिखा नहीं,
कभी अपनी समस्याएं कभी अपनों की।
चाहकर भी कुछ नहीं लिख पाए,उसके लिए आप सभी से माफ़ी चाहते हैं।।
पिछले दिनों मेरे कई जानने वालों ने कहा,कि मुझे #प्रियंका_रेड्डी के विषय पर कुछ अवश्य लिखना चाहिए,
कुछ ने कहा कि रेप पर भी आप कुछ लिखिए।
कुछ ये भी कह रहे थे कि प्रधानमंत्री जी आपको फ़ॉलो करते हैं, आप लिखिए तो आपकी बात उन तक पहुँचेगी,तो समाधान भी निकलेगा।।
दोस्तों मेरी बात आप तक पहुंचे,आप समझो,लोगों को समझाओ, मेरे लिए यही काफी है।।


मुझे लगता है कि रेप शब्द की परिभाषा बताने की कोई जरूरत नहीं,क्योंकि हर रोज कोई ना कोई इसका शिकार बनता है,और फिर वही परिभाषा दोहराई जाती है।
साधारण बोलचाल में,किसी के साथ उसकी सहमति के बिना,
ज़बरदस्ती शारिरिक संबंध बनाना,बलात्कार कहलाता है।
ये ऐसा शब्द है,जो कानों में पड़ता है तो एक अजीब सी सिहरन दौड़ जाती है शरीर में।
पिछले कुछ वर्षों से जितना टेक्नोलॉजिकल विकास हुआ,नेट पैक सस्ता हुआ,उसी दर से अपराध में भी इजाफा हुआ।।
जिन्हें ढंग से कपड़े पहनने नहीं आते,वो भी इस दुष्कर्म को अंजाम दे देते हैं।
डॉ दिशा रेड्डी,जो कि जानवरों की डॉ थी...अपनी स्कूटी से घर से निकलीं,और टोल प्लाजा के पास अपनी स्कूटी पार्क करके कैब से चलीं गयीं।
ये सब वो चार दरिंदे देख रहे थे,जिन्होंने उसी समय ये बलात्कार को अंजाम देने की साजिस रच डाली।
उनके जाने के बाद उनकी स्कूटी की हवा निकाल दी,जब डॉ वापस आयी,तो उन्होनें देखा कि उनकी स्कूटी पंचर है;वहीं पास खड़े उन दरिंदों ने मदद की पेशकश की।
जिसके लिए डॉ दिशा ने मना कर दिया।
रात के 9बज रहे थे,दिशा ने अपनी बहन को कॉल करके इसकी जानकारी दी; उन्होंने ये भी बताया कि कुछ लड़के मदद के लिए बोल रहे हैं, पर उन्हें डर लग रहा है।
इसके बाद वो फोन कट करती हैं,
कुछ मिनट बाद दिशा की बहन उन्हें कॉल करती हैं, पर फोन नहीं लगता।
इसके बाद कि घटना से आप सभी बाक़िफ़ हैं।
वो चारो दरिंदे गैंगरेप करके,उनकी बॉडी को जलाकर फेंक देते हैं।

क्या हो गया है समाज को😡
क्यों लड़कियों को ऐसी यातनाएं झेलनी पड़ती हैं,
क्यों इन राक्षसों का वध शीघ्र नहीं किया जाता,
क्यों कानून का कोई खौफ नहीं है दरिंदों में,
इन सभी के लिए जिम्म्मेदार कौन????

क्या करना चहिये समाज को-: 

शायद ही कोई ऐसा होगा,जिसके अपने क्षेत्र के छिछोरों और मनचलों केे बारे में जानकारी ना हो।
ऐसे लोगों के घरवालों को इनकी हरकतों से अवगत कराएं।
देर रात तक सड़क पर घूमने वाले लोगों पर भी समय सीमा का निर्धारण कराएं,
समाज में एक दूसरे की बेइज्जती करने के अवसर ढूंढ़ने के बजाय,समाज को जोड़ने के लिए प्रयासरत रहें।
जब आप इस तरह से करेंगे,तो समाज एक परिवार भी भांति लगेगा,और फिर अपराधों पर लगाम अपने आप लगने लग जाएगी।।

क्या करना चाहिए पुलिस को-:

पुलिस भी ऐसे लोगों को समय-समय पर ऐसे अपराध के दुष्परिणामों से अवगत कराए।
जैसे चुनाव से पूर्व कुछ लोग चिन्हित कर लिए जाते हैं, फिर उनको वार्निंग दे दी जाती है; उसी तरह से समय समय पर ऐसे मनचलों को चेतावनी दें।।
और एक निश्चित समय अंतराल पर इनकी परीक्षा भी ले लें।
महिला अधिकारी को साथ लेकर मॉक ड्रिल करें,
इससे मनचलों की हरकतें सामने आ जाएंगी।

क्या करना चाहिए लड़कियों को-:

बदलते परिवेश के हिसाब से लड़कियों को चाहिए, वो किसी भी कार्य के लिए किसी अन्य पर निर्भर ना हों,
आप घर से दूर रहती हो,घर पर ही रहती हो; दोनों परिस्थितियों में आप कहीं भी जाओ,घर बालों को बताकर ही जाओ,
अंधेरा होने से पहले घर आ जाओ।
यदि कहीं ज्यादा समय लगता है, तो घर के किसी सदस्य के साथ जाओ या वहां से किसी को घर तक साथ लेकर आओ।
कितना ही घनिष्ठ मित्र क्यों ना हो,कभी किसी एकांत वाली जगह पर ना मिलो,
पब्लिक प्लेस पर ही मिलो।
जैसे-जैसे माहौल बदल रहा है, उसके हिसाब से ही चलो,
अपनी लोकेशन घर के किसी सदस्य,किसी मित्र से शेयर करें।
आँख बंद करके किसी पर भरोसा ना करें,
आपकी सतर्कता ही आपको आज के परिवेश में इंसानी भेड़ियों से बचा सकती है।।

क्या करना चाहिए लड़को को-:

मैं नहीं कहती कि लड़कों के साथ कभी गलत नहीं होता,
पर इतना जरूर कहेंगे कि लड़कियों की अपेक्षा ये नगण्य है।।
भगवान ने आपको मानव बनाकर भेजा है,तो मानवता ही सीखो,
दानव ना बनो।
कई बार ऐसा होता है कि लड़के-लड़कियों के अफेयर में लड़की, लड़के को छोड़ देती है; ऐसे में आप पागलपन में ऐसा कुछ कर जाते हैं, जो आपकी ही नहीं बल्कि आपके परिवार की भी जिंदगी नर्क बना देता है।
जिसने छोड़ दिया,उसको जाने दो।।

कई बार लड़के दूसरे दोस्तों की बातों में आकर लड़कियों पर कमेंट करते हैं,उनके कपड़ों पर कमेंट करते हैं, ये भी ना करें।।

कई बार आप प्यार में सारी सीमाएं लांघ जाते हो,वो भी ना करो।
यदि बाकई किसी से प्यार करते हो,तो एक सामाजिक बंधन में बंधो, रीति रिवाज के साथ अपनाओ,
मर्यादा का हनन कभी भी ना करो,
क्योंकि 2लोगों की गलतियां 2खानदानों को भुगतनी पड़तीं हैं।।

सबसे महत्वपूर्ण बात,"आप बहुत शरीफ हो और आपके सामने कोई अन्य लड़का किसी लड़की को छेड़ रहा है, तो ऐसे में आप आवाज उठाओ,चुप चाप अन्याय होते ना देखो।

वैसे रेप जैसी बारदात को अंजाम देने वाले मानसिक विक्षिप्त ही होते हैं, जो सामने वाले कि चीख पुकार भी नहीं सुनते,
सुनते हैं तो सिर्फ अपने दिमाग की हवस😡

मर्द हो तो मर्द बनकर रहो,
किसी महिला को दर्द तो ना दो।।


दोस्तों कभी किसी लड़की को बदनीयती से छूने से पहले ये सोचो कि उसको कैसा लगा होगा, उसकी मानसिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा होगा, कितनी बद्दुआएं दी होंगीं उसने,बस नहीं चलता वरना ऐसी हरकत के बाद ऐसे लड़को के हाथ धड़ से अलग ही कर दें लड़कियां।।

एक महिला ही पुरूष को जन्म देती है, पर इसलिए कतई नहीं कि वो किसी अन्य महिला की अस्मत लूटे।

क्या करना चाहिए सरकार को-: 

सरकार को चाहिए,वो न्यायायिक प्रक्रिया को सरल बनाये,
पीड़ित पक्ष को सुरक्षा प्रदान करे,
वकील दे,
पर धनराशि कदापि ना दे।
क्योंकि इस तरह से लोग गलत आरोप लगाकर फंसा भी सकते हैं।
सरकार को चाहिए,
आरोपी/आरोपियों का नार्कोटेस्ट,पॉलीग्राफ,ब्रेनमेपिंग अवश्य कराए,ताकि किसी निर्दोष को ऐसे जघन्य अपराध की सजा ना मिले।।
यदि कोई आरोपी इन टेस्ट में निर्दोष पाया जाता है, तो पीड़िता के भी यही टेस्ट कराए,ताकि पता चल सके,कि आरोप निराधार तो नहीं हैं, और सच सामने लाया जा सके।।


नोट-:हैदराबाद केस के चारो आरोपियों की पुलिस एनकाउंटर में मृत्यु हो चुकी है।।

यदि आपके पास कोई अन्य सुझाव है, तो कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें।
इस लेख से यदि किसी को कोई कष्ट पहुंचा हो,तो क्षमा प्रार्थी हूँ🙏
कृपया अपनी राय कमेंट बॉक्स में अवश्य दें।।
धन्यवाद🙏

Saturday, 6 July 2019

Social Media, "A Platform Of Comments & Complements"

सोशल मीडिया,एक ऐसा मीडियम है जो आपको समाज के हर आयु वर्ग से एक साथ जोड़ता है,
यहां आपको हर तरह के लोग मिलते हैं,जिनमें कुछ अच्छे होते हैं, तो कुछ बहुत अच्छे।।
हम यहां किसी को खराब इसलिए नहीं कह रहे,क्योंकि जिसको आप खराब कहोगे,वो भी यहां किसी न किसी से अपनी तारीफ करवा ही रहा होगा।।

तो दोस्तों आज का विषय यही है,
सोशल मीडिया,"कमेंट और कॉम्प्लीमेंट" 

आज से 12-13 वर्ष पूर्व जब orkut का जमाना था,जब फेसबुक नया नया ही आया था,उस समय लोग सोशल मीडिया का उपयोग आपसी दोस्ती, रिश्ते, आदि के लिए ही करते थे।
Orkut को लोग चैटिंग,जन्मदिन की बधाई,टेस्टीमोनियल आदि भेजने के लिए ज्यादा उपयोग करते थे।।
फिर धीमे धीमे फेसबुक का विस्तार हुआ,
उसका व्यवसायीकरण शुरू हुआ,तो लोगों ने रिश्तों में भी वही सबकुछ शुरू कर दिया।।
यहाँ लोग मिलते तो बड़े ही अपनत्व के साथ हैं,पर धीमे धीमे "love in the Air" से "प्यार हवा हो गया" में परिवर्तित हो जाते हैं, हम ये कतई नहीं कह रहे कि हर कोई ऐसा ही होता है, पर 95% लोग ऐसे ही होते हैं।।
मेरा अपना तजुर्बा तो बहुत ज्यादा नहीं, क्योंकि मैंने फेसबुक से आजतक किसी को दोस्त भी नहीं बनाया।।इसका कारण कुछ ये भी है कि मेरा अपना एक्सपीरिएंस रियल लाइफ का ही कोई बहुत अच्छा नहीं रहा, जो मैं किसी से ऑनलाइन वाली दोस्ती करती।।

फेसबुक चल ही रहा था कि माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर आ गई, यहां शुरुआती दिनों में सेलेब्स ही छाये रहते थे,क्योंकि आम जन को इसकी जानकारी कम थी।
पर आज के समय में ये हर जगह,हर आयुवर्ग के बीच छाया हुआ है, इसके कई कारण हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण तुरत समस्या समाधान भी है।।
आजकल कोई भी ट्विटर से अंजान नहीं है।

सोशल मीडिया एक बेहद खूबसूरत माध्यम होता है, हर एक तक अपनी बात पहुंचाने का।कुछ लोग इसका उपयोग अच्छी बातों को साझा करने में करते हैं,
वहीं कुछ लोग यहां भी गंदगी ही परोसते हैं।।
गली,अपशब्द मानो फैशन बन गया है।
ना किसी को किसी से भय है,ना ही किसी तरह की रोकथाम
जिसकी जो मर्जी लिखता है, फिर वहां उस बात की जरूरत हो या ना हो।
धीमे-2 ये एक अभिशाप बनता जा रहा है।
हालांकि गलत शब्दों की रोकथाम के लिए ट्विटर व फेसबुक दोनों ने ही रिपोर्ट एकाउंट का ऑप्शन खोल रखा है, जहां जांच के बाद कार्यवाही भी की जाती है।
पर सोचने वाली बात ये है कि आखिर इतना पढ़-लिखकर भी हमारा समाज जा किस ओर रहा है🤔
कुछ शब्दों के अर्थ आप समझ भी नहीं सकते परन्तु उनका उपयोग होते अवश्य देखते होंगे।।
ऐसे ही कुछ शब्द हैं, जो मुझे अतिघटिया लगते हैं-

ले ली,
फट गई,
तेरी मां का,
तेरी बहन का,
विशेष लोग,
बुद्धिजीवी,
और तमाम गालियां,जिन्हें हम यहां लिख भी नहीं सकते।।
आखिर क्यों हम अपने बौद्धिक स्तर को इतना गिराते जा रहे हैं,
क्यों हम संयमित व मर्यादित भाषा का उपयोग नहीं करते,
क्यों हमें अपने माँ-बाप व भाई-बहन के लिए अलग से शब्दकोश खंगालना पड़ता है,
दोस्तों जिस प्रकार कही हुई बात अमर हो जाती है,उसी प्रकार लिखी हुई बात भी अमिट होती है।
इसलिये जितना संभव हो,शब्दों का चयन सोच समझकर करें।
क्योंकि शब्द अमर होते हैं।।
वैसे आजकल सोशल मीडिया सेल काफी एक्टिव हो चुकी है, इसलिए अच्छा ही लिखें,अन्यथा जेल जाने को भी तैयार रहें।।

अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंर बॉक्स में अवश्य दें।।
धन्यवाद🙏

Monday, 3 June 2019

6Part "The Feeling Of Heart "

Love,"The Feeling Of Heart"

दोस्तों प्यार पर तक 5 ब्लॉग लिखे,जिनमें लगभग हर रिश्ते के बारे में बताया।
हर रिश्ते को रामायण के दृष्टांत से समझाने की कोशिश की।
पर अब बात करेंगे,आधुनिक समय के प्यार की।
अमूमन जिसे लोग प्यार कहते हैं,क्योंकि आजकल के माहौल को देखते हुए लोगों की सोच भी बदल चुकी है,
आज हम किसी लड़का-लड़की को एक साथ देखकर,सिर्फ यही अनुमान लगाते हैं,कि ये चक्कर चला रहे।
फिर भले ही वो दोनों सिर्फ दोस्त हों,या भाई-बहिन।।
तो कुछ ऐसे ही चक्कर/प्यार की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं।।

कॉलेज में एडमिशन हुए कुछ ही समय हुआ था,सब एक दूसरे के बारे ज्यादा से ज्यादा जानने को उत्सुक रहते थे।
कुछ ही समय हुआ था कि सभी के अपने-2 दोस्त बन गए,ग्रुप बन गए,फेसबुक पर भी दोस्त बन गए।
ये सिलसिला चलता जा रहा था,कुछ की दोस्ती और प्रगाढ़ हो रही थी,तो वही कुछ की दोस्ती प्यार में बदलने लगी थी।।
कॉलेज से हॉस्टल तक सबका अपना-अपना रंग ढंग नजर आने लगा था।
सब आपस में अपनी-अपनी बातें शेयर करने लगे थे,
इसी बीच मुझे पता चला कि मेरी दोस्त भी किसी को पसंद करती है,हालांकि वो जिसको पसंद करती थी,वो हमारे कॉलेज का विद्यार्थी नहीं था।फिर भी उनके प्यार के चर्चे जब कभी सुनने को मिल ही जाते थे,पर इधर उधर की बातों पर हम कभी प्रतिक्रिया नहीं देते थे।।
दोनों अलग-अलग शहरों में होने के कारण मिल तो नहीं पाते थे,पर फोन पर लम्बी बात किया करते थे।
एक दिन मैंने अपनी दोस्त से उसके तथाकथित दोस्त के बारे में पूछ लिया,पूछने पर उसने बताया कि पिछले कुछ सालों से वो एक दूसरे को चाहते हैं,पढ़ाई खत्म करते ही शादी कर लेंगे।
सुनकर अच्छा लगा कि रिश्ता टाइमपास के लिए नहीं बल्कि एक-दूसरे के साथ के लिए बना है।
समय बीतता गया,2 सेमेस्टर खत्म हो चुके थे,तीसरा चल रहा था,
और अब उनके बीच बातें होना थोड़ी कम हो गयी थी,
मेरी दोस्त इसको लेकर काफी परेशान रहने लगी थी,पर सामने से रिस्पांस कम होता जा रहा था।
अब तक मेरी दोस्त मुझसे अपनी हर बात शेयर करने लगी थी।।
तीसरे सेमेस्टर के एग्जाम शुरू हुए,उसी बीच पता चला कि वो श्रीमान जी,जिनसे मेरी दोस्त बात करती थी;वो आने वाले हैं।।
दोनों मिलने का प्लान कर रहे थे,जब मुझे पता चला।।
मैंने अपनी दोस्त को समझाया कि परीक्षा खत्म होने के बाद मिले,
पर कहते हैं ना,"इश्क का पागलपन सिर्फ एक ही चीज से उतरता है,-:धोखा।।
वो मेरी बात समझी नहीं,या समझकर भी नासमझ बन गयी।।
अंततः वो दिन आ गया,जब उनको मिलना था।
आज शाम मिलने का निश्च्य किया,जबकि कल सुबह को एग्जाम था।
दोनों कॉलेज कैंटीन में मिले,7:30बजने को थे,पर मेरी दोस्त अब तक हॉस्टल नहीं आयी थी,
मैंने बॉर्डन को झूठ बोलकर उसकी परमिशन टाइम बढवाई।
अभी वो लौटकर वापस आ चुकी थी,
पर जो खुशी उसके चेहरे पर,जाने से पहले थी,वो आने के बाद नहीं दिखी।।
मैंने अभी उससे इस बारे में कुछ नहीं पूछा था।
अगले दिन सुबह एग्जाम देकर वापस आये,तो मेरी दोस्त ने रोना शुरू कर दिया,
काफी पूछने के बाद उसने बताया कि उसका वो दोस्त उससे ब्रेकअप करने के लिए आया था,
क्योंकि उसको कोई और पसंद आ गयी थी।।
एग्जाम के समय इतना डिस्टर्बेंस,समझ नहीं आ रहा था कि पढ़ाई की जाए,या उस तथाकथित दोस्त से लड़ाई की जाए,
जो पिछले काफी समय से किसी की फीलिंग्स के साथ खेल रहा था।।
रोने के चक्कर में मेरी दोस्त को फीवर हो गया,
डिप्रेशन में खाना नहीं खा पा रही थी,
और उसकी ये दशा मुझसे देखी नहीं जा रही थी।।
किसी तरह उसको समझाया कि जो अभी छोड़ गया, उसके लिए क्या रोना,और क्यों रोना।।
खुद को कमजोर कभी मत होने दो,और किसी से प्यार की भीख तो कभी मत मांगों।
कुछ दिन मेडिटेशन कराया,धीमे-धीमे सब नॉर्मल हो गया
आज उन बातों को सोचकर,मेरी दोस्त बहुत हंसती है,
पर उस समय वो किसी मेंटल ट्रॉमा से कम नहीं था।।

दोस्तो दुनियां में बहुत से गेम हैं, उनसे खेलो पर कभी किसी के दिल से ना खेलो।।क्योंकि जरूरी नहीं होता कि सामने वाले के पास कोई समझाने वाला हो।।
हो सकता है कि वो इंसान अपनी पूरी जिंदगी संभल ही न पाए।।
आज मेरी दोस्त की शादी हो चुकी है,
और वो अपने हसबैंड के साथ काफी खुश है।।क्योंकि अतीत की बुरी यादों के अलावा बुरे इंसान का साथ भी काफी पीछे छूट चुका था।।
ये एक रियल लाइफ की रियल कहानी है,
इसलिए इसमें किसी का नाम नहीं लिख सकते थे।।
आपको ये कहानी कैसी लगी,ये तो नहीं पूछेंगे,
पर आप ऐसा किसी के साथ नहीं करेंगे,ये अपेक्षा जरूर करते हैं।।
धन्यवाद🙏
यदि आप इस ब्लॉग को पढ़े,तो कमेंट बॉक्स में अपना नाम,व अपनी राय अवश्य दें।।

Sunday, 10 February 2019

5(2) Love,"The Feeling Of Heart"

Love,"The Feeling Of Heart

लव द फीलिंग ऑफ हार्ट का ये पाँचवां पोस्ट है,
जैसा कि प्रत्येक अंक में बताया कि प्यार कोई ढाई अक्षर का लिखा,पढ़ा या कहा गया शब्द नहीं है,
ये वो फीलिंग है जिसे बेजुबान जता सकता है,अंधा व्यक्ति भी महसूस कर सकता है,
यहां तक कि जानवर भी इंसान के प्यार को समझते हैं,जताते हैं,
हले व दूसरे भाग में आपने क्रमशः माता के प्यार व पिता के प्यार के बारे में जाना।जहां माता की तुलना धरती व पिता की तुलना आकाश से की गई है।माँ-बाप अपनी पूरी जिंदगी अपनी औलाद को पढाने औऱ काबिल बनाने में लगा देते हैं।तीसरे भाग में आपने भाई-भाई/बहिन-बहिन/भाई-बहिन के प्यार के बारे में पढ़ा।
वहीं चौथे भाग में आपने पति-पत्नी के प्यार के बारे पढ़ा,जाना,समझा।।
दोस्तों आपने मेरे सभी पोस्ट्स को भरपूर प्यार दिया,इसके लिए हम आपके आभारी हैं।
आज के ब्लॉग में हम आपको उस प्यार के बारे में बताएंगे,जिसको आम बोलचाल की भाषा में कहा तो प्यार ही जाता है,
पर समझा गलत जाता है
जी हां,आज हम बात करेंगे एक लड़का और लड़की के प्यार के बारे में-:

ये वो विषय है,जिस पर जितना लिखा जाए कम है,क्योंकि हर किसी को इसके बारे कुछ न कुछ अवश्य पता होता है,

फिर वो कहीं से पढ़कर पता चला हो या सुनकर

स्वयं अनुभव किया हो या दोस्तों से जाना हो।।

चूंकि कई लोगों ने ट्विटर पर व कमेंट बॉक्स में इस विषय पर लिखने को कहा था,
इस पर एक ब्लॉग पहले भी लिख चुकी हूं,
जिसमें पहली नजर के प्यार के बारे में बताया गया है,
पहली नजर में प्यार का पहला उदाहरण रामायण से ही लिया,
राम-सीता का पुष्प वाटिका में मिलन।।
दूसरे भाग को हम आज के परिवेश पर लिखते,
पर मेरे एक मित्र व भाई ने चुनौती दे दी,कि दूसरे भाग के लिए आपको रामायण में उदाहरण नहीं मिल सकता।
उनकी चुनौती स्वीकार की।।
प्रस्तुत है एक तरफा प्यार की पहली कहानी


सूपनखा रावन कै बहिनी।
दुष्ट हृदय दारुन जस अहिनी॥
पंचबटी सो गइ एक बारा।
देखि बिकल भइ जुगल कुमारा॥
रावण की बहिन थी सुपर्णखा, जो नागिन के समान विषैली व दुष्ट हृदय की स्वामिनी थी।
एक बार जब वो पंचवटी में गयी,तो राम-लक्ष्मण को देखकर मोहित हो गई।
उसने मन ही मन विचार किया,कि ये इतने सुंदर सुशील युवराज हैं क्यों न इनसे शादी कर ली जाए।
सुपर्णखा ने इसके लिए विधिवत योजना तैयार की,
और फिर
रुचिर रूप धरि प्रभु पहिं जाई।
बोली बचन बहुत मुसुकाई॥
तुम्ह सम पुरुष न मो सम नारी।
यह सँजोग बिधि रचा बिचारी॥
सुपर्णखा ने सुंदर रूप बनाया और मुस्कुराते हुए प्रभु श्री राम से बोली,
तुम्हारे समान पुरुष और मेरे समान नारी इस सम्पूर्ण श्रष्टि में नहीं है,
और यह संयोग विधि ने बहुत सोच विचार कर रचा है।
इसके बाद वो कहती है अब तक इस श्रष्टि में मेरे समान कोई पुरुष नहीं था,इसलिए मेरी अबतक शादी नहीं हुई,
पर अब मैं तुमसे शादी कर लूंगी।
यह सुनते ही प्रभु श्रीराम ने माता जानकी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि हे देवी मैं पहले से ही शादीशुदा हूँ
व मैंने एक पत्नी का व्रत लिया हुआ है।
पर आप चाहें तो मेरे अनुज लक्ष्मण से शादी कर सकती हैं।
चूंकि सुपर्णखा को दोनों ही मोहक लगे थे,
तो वो अब लक्ष्मण जी की तरफ गयी और शादी का प्रस्ताव लक्ष्मण जी के सामने रखा।
लक्ष्मण जी,जो स्वयं प्रभु राम की सेवा करने का वचन ले चुके थे,
जो अपनी पत्नी को भी साथ नही लाये थे,कहने लगे
कि मैं तो बस एक सेवक मात्र हूं,
आप प्रभु राम से ही शादी करें,वो कौशलपुर के राजा हैं।
सुपर्णखा पुनः राम जी के पास गई,
राम जी ने सीता माता की तरफ इशारा करके पुनः अपनी प्रतिज्ञा का स्मरण कराया,
इस पर सुपर्णखा क्रोधित होकर अपने असली रूप में आ गई।
और माता सीता को मारने के लिए दौड़ी,
लक्ष्मण जी ने इस पर उसके नाक कान काट दिए,
दोस्तो लक्ष्मण जी उसको खत्म भी कर सकते थे,पर उन्होंने ऐसा नहीं किया,क्योंकि वो सिर्फ उसे सबक सिखाना चाहते थे।
कई बार विवाहित पुरुष व महिलाएं
अविवाहित पुरुष व महिलाएं भी इस तरह के एक तरफा प्यार में पड़ जाते हैं,
औऱ फिर उसे पाने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं,
उन्हें रामायण के इस दृष्टांत से शिक्षा लेनी चाहिए।
आपका प्रपोजल मंजूर न होना,नाक कान कटने से कम नहीं।
पर उसके लिए राक्षस बन जाना, स्वयं व परिवार के अंत का कारण भी बन जाता है।
राम-रावण के युद्ध की सूत्रधार सुपर्णखा ही थी।।

दोस्तो आपको ये कहानी कैसी लगी,
कृपया कमेंट बॉक्स में अपने नाम के साथ प्रतिक्रिया अवश्य दें।
धन्यवाद।।

Thursday, 17 January 2019

5th Part The Feeling Of Heart

Love,"The Feeling Of Heart"

लव द फीलिंग ऑफ हार्ट का ये पाँचवां पोस्ट है,
जैसा कि प्रत्येक अंक में बताया कि प्यार कोई ढाई अक्षर का लिखा,पढ़ा या कहा गया शब्द नहीं है,
ये वो फीलिंग है जिसे बेजुबान जता सकता है,अंधा व्यक्ति भी महसूस कर सकता है,
यहां तक कि जानवर भी इंसान के प्यार को समझते हैं,जताते हैं,
हले व दूसरे भाग में आपने क्रमशः माता के प्यार व पिता के प्यार के बारे में जाना।जहां माता की तुलना धरती व पिता की तुलना आकाश से की गई है।माँ-बाप अपनी पूरी जिंदगी अपनी औलाद को पढाने औऱ काबिल बनाने में लगा देते हैं।तीसरे भाग में आपने भाई-भाई/बहिन-बहिन/भाई-बहिन के प्यार के बारे में पढ़ा।
वहीं चौथे भाग में आपने पति-पत्नी के प्यार के बारे पढ़ा,जाना,समझा।।
दोस्तों आपने मेरे सभी पोस्ट्स को भरपूर प्यार दिया,इसके लिए हम आपके आभारी हैं।
आज के ब्लॉग में हम आपको उस प्यार के बारे में बताएंगे,जिसको आम बोलचाल की भाषा में कहा तो प्यार ही जाता है,
पर समझा गलत जाता है।
जी हां,आज हम बात करेंगे एक लड़का और लड़की के प्यार के बारे में-:
ये वो विषय है,जिस पर जितना लिखा जाए कम है,क्योंकि हर किसी को इसके बारे कुछ न कुछ अवश्य पता होता है,
फिर वो कहीं से पढ़कर पता चला हो या सुनकर
स्वयं अनुभव किया हो या दोस्तों से जाना हो।।
चूंकि कई लोगों ने ट्विटर पर व कमेंट बॉक्स में इस विषय पर लिखने को कहा,तो कोशिश कर रही हूँ-

देखन मिस मृग बिहग तरु,फिरइ बहोरि बहोरि।
निरखि निरखि रघुबीर छबि,बाढ़इ प्रीति न थोरि॥I
इसका अर्थ है-
मृग,पक्षी और वृक्षों को देखने के बहाने सीताजी बार-बार घूम जाती हैं और श्री रामजी की छबि देख-देखकर उनका प्रेम कम नहीं,बढ़ रहा है। (अर्थात्‌ बहुत ही बढ़ता जाता है)॥
तभी राम जी को कंकन,करधनी व नूपुर की आवाज सुनाई देती है, वो लक्ष्मण जी से उस बारे में पूछते हैं कि क्या उन्होंने वो ध्वनि सुनी,लक्ष्मण जी कहते हैं;उन्होंने कुछ नहीं सुना
अस कहि फिरि चितए तेहि ओरा,सिय मुख ससि भए नयन चकोरा।।भए बिलोचन चारु अचंचल। मनहुँ सकुचि निमि तजे दिगंचल॥ 
राम जी फिर पलटते हैं और सीता जी के मुख की तरफ देखते हैं
राम-सीता की नजरें मिलती हैं,
और वो एक टक एक-दूसरे को देखते रह जाते हैं,
यहां तक कि उनकी पलकें भी नहीं झपकती।
दोनों को ही एक-दूसरे से प्यार हो गया,
इसके बाद जानकी माता ने गौरी जी की पूजा की,उनसे अपने मन की बात कही,उनसे कहा कि जो छवि उनके मन में बस गयी है,वही उन्हें पति के रूप में मिलें,
पर राम जी ने अपने मन की बात भी किसी से नहीं कही।
ये होता है पहली नजर का प्यार।।
यहाँ दोनों ने ही एक-दूसरे को पूरी शिद्दत से चाहा,और पूरी कायनात उन्हें मिलाने में लग गयी।।
दोस्तों आजकल जो बॉलीबुड में दिखाते हैं,सिर्फ तरीका बदलते हैं,
सीखते यहीं से हैं।।6

To Be Continued-
दोस्तों इस भाग का अभी आध्यात्मिक स्वरूप वर्णित किया है,
आज के परिवेश के बारे में चर्चा,इसके अगले भाग में होगी।।
आप अपने विचार कमेंट बॉक्स में अपने नाम के साथ अवश्य रखें।।
धन्यवाद🙏

अवधपुरी दर्शन को जाऊँ

खुश हूँ मैं बहुत सुनो खुशी का तुमको राज बताऊँ आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ सुनो अवधपुरी में आज सभी है देव पधारे शिव इंद्र यक्ष गंधर्व...