Wednesday, 13 January 2021

MakarSankranti

मकर संक्रांति

कुछ दिन पहले ट्विटर पर राय मांगी थी कि मुझे किस विषय पर ब्लॉग और कविता लिखनी चाहिए,कई टॉपिक मिले,

उन पर आगे विस्तार से लिखेंगे,

पर फिलहाल हमारे एक मित्र ने सुझाव दिया था कि मुझे मेरी जिंदगी का कोई संस्मरण लिखना चाहिए,चूंकि आज संक्रांति है, तो मुझे मेरे जीवन से जुड़ा एक बाकया याद आ गया, सोचा आप सभी के साथ साझा करूँ।


बात उन दिनों की है, जब हम ग्रेजुएशन कर रहे थे,हमारे क्लास के सहपाठी बेहद सुलझे हुए थे,क्लास के दौरान हमारी आपस में बातचीत होती थी।

हम जो भी लंच में ले जाते थे, उसे बांटकर खाया करते थे।

बात संक्रांति की है,उस दिन हमारे टीचर्स की ट्रेन लेट थी,

हम सभी टीचर्स का इतंजार कर रहे थे,

सर्दी का समय,कड़कड़ाती ठंड,और आंवले का सीजन,

संक्रांति की बजह से सब लोग आपस में गजक,चिक्की, पट्टी,तिलकुट, इत्यादि चीजें शेयर कर रहे थे, तभी मेरी एक दोस्त ने मुझे कच्चा आँवला खाने को दिया,मैंने आँवला खाया और उसकी गुठली को टॉफी के रैपर में रैप कर लिया,

तभी मेरा एक बैचमेट आया,औऱ उसने मेरे हाथ से वो रैप की हुई गुठली टॉफी समझ के ले ली,

मैंने उससे वो वापस लेने का प्रयास किया,बोला वापस दे दो,पर उसने एक ना सुनी और टॉफी को डायरेक्ट मुंह के अंदर ही खोला,

बस फिर क्या था,वो आँवले की गुठली उसके मुँह में,

ये देख हम सबका का हँस हँस के बुरा हाल हो गया,

आज भी जब संक्रांति आती है, तो हमे वो वाकया याद आ ही जाता है।।



5 comments:

  1. Hahahahaha 🤣🤣🤣🤣
    दोबारा कभी चेक किए बिना टॉफी नहीं खाए होंगे वो भाईसाब 🤣🤣 मिठाई भी छोटे छोटे टुकड़ों में खाते होंगे कि अंदर कोई ठोस चीज ना निकल आए 😂😂
    अच्छा है मजेदार 🤣👌👌

    8/10 marks

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    Replies
    1. ये मेरा नाम क्यों नहीं आ रहा 🙄🙄🙄
      वो unknown हम हैं.. Kush Yadav ✊✊

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    2. तुम मार्क्स देते,तो हम समझ जाते कि ये तुम ही हो,
      वैसे दोवारा कभी मिलना नहीं हुआ,जो पूछ पाते।

      तुमने कोई और ईमेल ओपन कर रखी होगी,इसलिए शायद नाम नहीं आ रहा,ब्लॉगर किसी अन्य से signin होगा

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  2. Haan.. ab name aaya.. dusri email thi.

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Thanks a-lot

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