रामसेतु
जिसके बारे में हम सभी ने राम कथा या रामचरित मानस के माध्यम से सुना है।
दोस्तों ये वही सेतु है,जो नल-नील ने राम नाम के पत्थरों से बनाया था,जिसको पार करके प्रभु श्री राम लंका पहुंचे थे।
ऐसे बहुत से लोग हमारे समाज में मौजूद हैं,जो भगवान राम को सिर्फ एक काल्पनिक पात्र मानते हैं,
जिनको लगता है कि रामकथा एक कपोल कल्पित कथा है,
जबकि भारत ही नहीं बल्कि इंडोनेशिया,नेपाल जैसे देश आज भी राम को भगवान की तरह ही पूजते हैं।
कुछ वर्ष पूर्व कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में राम जी के अस्तित्व पर ही सवाल उठा दिए थे,
जबकि आज वही पार्टी लोगों को छलने के लिए चित्रकूट में राम वन गमन पथ पर रथ यात्रा निकाल रही है।
कांग्रेस पार्टी ने तो अपने "सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट" के तहत राम सेतु को तुड़वाने के लिए समुद्र तक RDX व मशीनें भी भेज दी थी,
पर डॉ सुब्रमण्यम स्वामी जी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाल कर इस पर रोक लगवा दी थी।
इस याचिका की कहानी भी काफी दिलचस्प है-
रामसेतु टूटने की सूचना जब डॉ स्वामी को मिली तो वो तुरन्त उस पर स्टे लेने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे,पर उस समय चीफ जस्टिस को विदेश जाना था,और वो चले गए।
इस पर डॉ स्वामी ने दूसरे जज से बात की और उनको पूरी समस्या से अवगत कराया,साथ ही उनसे ये भी कहा कि चीफ जस्टिस की गैर हाजिरी में सीनियर मोस्ट जज इस पर अपना निर्णय दे सकते हैं,
ये सीनियर जज कोई और नहीं बल्कि बी एन अग्रवाल जी ही थे,जिनसे डॉ स्वामी बात कर रहे थे।
तुरन्त सुनवाई हुई,और बी एन अग्रवाल जी ने राम सेतु पर स्टे ऑर्डर दे दिया,और इस तरह राम सेतु को बचा लिया गया।।
अभी डॉ स्वामी रामसेतु को नेशनल हेरिटेज घोषित करवाना चाहते हैं,जिस पर सुप्रीम कोर्ट जल्द ही अपना निर्णय देगा।
रामसेतु को ही एडम्स ब्रिज भी कहा जाता है।
नाशा द्वारा भी राम सेतु की पुष्टि हुई है, जिसका वीडियो आप देख सकते हैं👇





