Friday, 27 December 2019

Conversation b/w PEN & MIND

कलम और दिमाग का वार्तालाप

आज मैंने जब लिखना चाहा
कलम बोली कुछ ऐसा लिख दे
मिट जाए सरहदें नफरत की
प्यार का खत कुछ ऐसा लिख दे

बोला तभी दिमाग मेरा
कब तक सच को झुठलायेगी
गंगा जमुनी तहजीब नाम पर
कब तक झूठ लिखायेगी

बोली कलम सुनो भाई अब ये
मैं नफरत नहीं सिखाती हूँ
अरुंधति की तरह कभी ना
समाज को मैं भड़काती हूँ

मैं तो हूँ सीधी सच्ची सी
कोई चाल कभी ना चलती हूँ
लिखने वाला चाहे प्यार लिखे
मैं तो उस समय भी घिसती हूँ

बोला ये सुनकर दिमाग मेरा
ये बात सही तुम बोली हो
खुरापात दिमाग ही करता है
तुम तो बाकई में भोली हो

मैं वादा तुमसे करता हूँ
अब और ना कुछ होने दूंगा
चाहे जितना हो बैर भाव
मैं आग नहीं लगने दूंगा
   जागृति गुप्ता✍️

5 comments:

  1. बहुत खूबसूरत... मदन मोहन मालवीय जी ने कहा था कि जब हिन्दू मुस्लिम एक हो जायेंगे तो भारत अपने आप तरक्की की राह पर चल पड़ेगा।
    दोनों में आपस में कुछ मुद्दों पर विचार अलग अलग हैं.. लेकिन ऐसा तो सभी घरों में होता है फिर भी सदस्य एक साथ रहते हैं।
    कुछ विलेन (बुद्धिजीवी) भी होते हैं लेकिन अंत में बिगाड़ कुछ नहीं पाते।

    अच्छी कविता... एक अच्छे संदेश के साथ।

    9/10 Marks

    - Kush

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    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद🙏
      कुछ लोगों की आदत होती है स्वयं को सुर्खियों में रखने की,
      उसके लिए वो कुछ भी करते हैं,
      ऐसा ही भारत में है,वो कुछ लोग ही आग लगवाते हैं

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  2. Achi poetry hai..you have Different thinking.. wanna speak with you..

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  3. खूबसूरत लेखन शैली।👏👏

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Thanks a-lot

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