Saturday, 6 July 2019

Social Media, "A Platform Of Comments & Complements"

सोशल मीडिया,एक ऐसा मीडियम है जो आपको समाज के हर आयु वर्ग से एक साथ जोड़ता है,
यहां आपको हर तरह के लोग मिलते हैं,जिनमें कुछ अच्छे होते हैं, तो कुछ बहुत अच्छे।।
हम यहां किसी को खराब इसलिए नहीं कह रहे,क्योंकि जिसको आप खराब कहोगे,वो भी यहां किसी न किसी से अपनी तारीफ करवा ही रहा होगा।।

तो दोस्तों आज का विषय यही है,
सोशल मीडिया,"कमेंट और कॉम्प्लीमेंट" 

आज से 12-13 वर्ष पूर्व जब orkut का जमाना था,जब फेसबुक नया नया ही आया था,उस समय लोग सोशल मीडिया का उपयोग आपसी दोस्ती, रिश्ते, आदि के लिए ही करते थे।
Orkut को लोग चैटिंग,जन्मदिन की बधाई,टेस्टीमोनियल आदि भेजने के लिए ज्यादा उपयोग करते थे।।
फिर धीमे धीमे फेसबुक का विस्तार हुआ,
उसका व्यवसायीकरण शुरू हुआ,तो लोगों ने रिश्तों में भी वही सबकुछ शुरू कर दिया।।
यहाँ लोग मिलते तो बड़े ही अपनत्व के साथ हैं,पर धीमे धीमे "love in the Air" से "प्यार हवा हो गया" में परिवर्तित हो जाते हैं, हम ये कतई नहीं कह रहे कि हर कोई ऐसा ही होता है, पर 95% लोग ऐसे ही होते हैं।।
मेरा अपना तजुर्बा तो बहुत ज्यादा नहीं, क्योंकि मैंने फेसबुक से आजतक किसी को दोस्त भी नहीं बनाया।।इसका कारण कुछ ये भी है कि मेरा अपना एक्सपीरिएंस रियल लाइफ का ही कोई बहुत अच्छा नहीं रहा, जो मैं किसी से ऑनलाइन वाली दोस्ती करती।।

फेसबुक चल ही रहा था कि माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर आ गई, यहां शुरुआती दिनों में सेलेब्स ही छाये रहते थे,क्योंकि आम जन को इसकी जानकारी कम थी।
पर आज के समय में ये हर जगह,हर आयुवर्ग के बीच छाया हुआ है, इसके कई कारण हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण तुरत समस्या समाधान भी है।।
आजकल कोई भी ट्विटर से अंजान नहीं है।

सोशल मीडिया एक बेहद खूबसूरत माध्यम होता है, हर एक तक अपनी बात पहुंचाने का।कुछ लोग इसका उपयोग अच्छी बातों को साझा करने में करते हैं,
वहीं कुछ लोग यहां भी गंदगी ही परोसते हैं।।
गली,अपशब्द मानो फैशन बन गया है।
ना किसी को किसी से भय है,ना ही किसी तरह की रोकथाम
जिसकी जो मर्जी लिखता है, फिर वहां उस बात की जरूरत हो या ना हो।
धीमे-2 ये एक अभिशाप बनता जा रहा है।
हालांकि गलत शब्दों की रोकथाम के लिए ट्विटर व फेसबुक दोनों ने ही रिपोर्ट एकाउंट का ऑप्शन खोल रखा है, जहां जांच के बाद कार्यवाही भी की जाती है।
पर सोचने वाली बात ये है कि आखिर इतना पढ़-लिखकर भी हमारा समाज जा किस ओर रहा है🤔
कुछ शब्दों के अर्थ आप समझ भी नहीं सकते परन्तु उनका उपयोग होते अवश्य देखते होंगे।।
ऐसे ही कुछ शब्द हैं, जो मुझे अतिघटिया लगते हैं-

ले ली,
फट गई,
तेरी मां का,
तेरी बहन का,
विशेष लोग,
बुद्धिजीवी,
और तमाम गालियां,जिन्हें हम यहां लिख भी नहीं सकते।।
आखिर क्यों हम अपने बौद्धिक स्तर को इतना गिराते जा रहे हैं,
क्यों हम संयमित व मर्यादित भाषा का उपयोग नहीं करते,
क्यों हमें अपने माँ-बाप व भाई-बहन के लिए अलग से शब्दकोश खंगालना पड़ता है,
दोस्तों जिस प्रकार कही हुई बात अमर हो जाती है,उसी प्रकार लिखी हुई बात भी अमिट होती है।
इसलिये जितना संभव हो,शब्दों का चयन सोच समझकर करें।
क्योंकि शब्द अमर होते हैं।।
वैसे आजकल सोशल मीडिया सेल काफी एक्टिव हो चुकी है, इसलिए अच्छा ही लिखें,अन्यथा जेल जाने को भी तैयार रहें।।

अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंर बॉक्स में अवश्य दें।।
धन्यवाद🙏

6 comments:

  1. जी आप ने बिल्कुल सही बोला है लिखा है हर इंसान को अपनी भाषा का सोच समझ कर चयन करनी चाहिए और बोलना लिखना चाहिए

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  2. हां ये "बुद्धिजीवी" शब्द तो हमको भी बहुत घटिया लगता है 🤣 और सोशल मीडिया आने के बाद कुछ लोगों में खुद को बुद्धिजीवी कहलाने की इच्छा बढ़ी है। ये बुद्धिजीवी हमारे समाज में परजीवी की तरह हैं।
    Social Media को एक structure के जैसे हम देख सकते हैं जहाँ लोग variety of relationship को maintain करते हैं जैसे की friendly, working, commercial, informative इत्यादि।

    Very nice article 😊😊 Thanks for giving importance to my topic. 😊
    God bless you !!
    8/10 Marks.

    ... Kush

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    Replies
    1. I passed with good marks.
      Every single opinion matter to me,
      And of course Your's much more,bcz you are reading my blog since day one.
      आगे भी टॉपिक suggest करना,कोशिश रहेगी, उन पर अपने विचार व्यक्त करने की।।

      Delete
  3. Thanku so much for your appreciation.😊😊
    हां टॉपिक्स बतायेगे ☺️👍 आपकी लेखनी लिखवा लिखवा कर तुड़वानी है हमको। 😅🤣

    ReplyDelete

Thanks a-lot

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