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Wednesday, 10 February 2021

Life After Maa

                   6महीने बाद

कभी सोचा ही नहीं था,कि जिंदगी माँ के बिना कैसी होगी?कैसे रहेंगे उस घर में,जिसमें माँ ही नहीं होगी😢

आज 6महीने हो माँ को दुनियाँ से गए,पर ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात हो,जैसे अभी वो हमें आवाज देकर बुलायेंगी, जैसे अभी कहीं से आकर पूछेंगी,कि क्या कर रही,जैसे अभी आकर कहेंगी,तुमने तो आज सब काम कर लिया😢

पर ये मन के वहम से ज्यादा कुछ नहीं,दिल की चाहत से ज्यादा कुछ नहीं.!

आज बताते हैं आपको कि आखिर माँ के बिना,ये 6महीने कैसे गुजरे

10 अगस्त की रात हमारी जिंदगी में ग्रहण बनकर आयी,प्रकृति भी रोयी माँ को अलविदा कहते समय; उस रात जैसी बारिस पूरे सीजन में कभी नहीं हुई।

11 अगस्त 2020 को माँ का अंतिम संस्कार हो गया और हमारी जिंदगी का बुरा समय शुरू हो गया,हम सब बीमार पड़ गए, किसी को वायरल,किसी को टायफाइड हो गया,थोड़ा संभल पाते कि उससे पहले ही एक बार फिर किस्मत ने अपना घटिया खेल खेला,मेरे डैडी को कोरोना हो गया☹️

हम सब अभी ना मन से स्वस्थ हुए थे और ना ही तन से🙄

डॉ के अनुसार डैडी को अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए था,पर हमारी मनोस्थिति ऐसी नहीं थी,जिसमें हमारे परिवार का एक भी सदस्य हमसे दूर रहता,डैडी की तबियत देख हम सब अंदर से इतने डरे हुए थे कि पचासों बार ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन रेट चेक करते,दवाई और खबाई सब करने में इतना व्यस्त हो गए जैसे कोई और काम ही नहीं हमारे पास,मेरा फीवर ठीक हुआ,फिर सिस्टर और भाई का।

दोवारा कोविड़ टेस्ट कराया गया सभी निगेटिव आ गए,पर भाई की तबियत थोड़ी बिगड़ी,उसको दिखाने लखनऊ चले गए, तो डॉ ने फिर से कोविड़ टेस्ट कराने को बोला,इस बार फिर भाई की रिपोर्ट निगेटिव पर डैडी की RT-PCR पॉजिटिव आ गयी,

आज माँ को गए ठीक एक महीना पूरा हुआ था,डॉक्टर ने कहा कि तुरंत भर्ती कराओ।

रात का वक्त,वही तारीख,वही समय,अंदर से इतना डर कि कहीं कुछ अनहोनी ना हो जाये,कहीं पिछले माह जैसा कुछ ना हो जाये,मैंने खुद को थोड़ा संभाला और अपने दोस्तों को कॉल की,जो कि डॉक्टर हैं, सभी ने कहा कि जब कोई लक्षण नहीं हैं, जब कोरोना का ट्रीटमेंट चल चुका,तो सावधानी रखो,और खाने पीने का ध्यान रखो,ऑक्सीजन रेट चेक करते रहो।।हमने ठीक वैसा ही किया,

उस रात सबसे ज्यादा हिम्मत बंधाई डॉ अरविंद जी ने,जिन्होंने कहा कि अगर रात में कोई दिक्कत होती है, तो उनके बताए अस्पताल में एडमिट किया जा सकता है, मुसीबत के वक्त अपनों का साथ और उनके शब्द ही ताकत देते हैं।

उसके बाद हमने हमारे कजिन से बात की,फिर हम लखनऊ से कानपुर भैया के पास आ गये,जहां डैडी के सभी टेस्ट दोवारा कराए,CT, ECG, ECHO और पूरा हिमोग्राफ।सभी रिपोर्ट्स नॉर्मल आईं,तब जाकर हमने कहीं खाना खाया।

9दिन बाद हम घर वापस आ गए और ऐसे करीब 2महीने बाद डैडी पूरी तरह स्वस्थ हुए, इन दो महीनों में हम सभी का बजन कम हो चुका था, 5KG WEIGHT टेंशन के चलते कम हो गया।

इस मुसीबत में मेरे कुछ दोस्तों ने और मेरे परिवार ने मेरा बहुत साथ निभाया,

मेरी दोस्त डॉक्टर वर्षा, डॉक्टर अरविंद,तरस,आदि ने मुझे बहुत हिम्मत दी।

मेरे चाचा डॉ लक्ष्मीकांत गुप्ता,मेरे कजिन भाई भावनात्मक रूप से मेरे साथ हर समय खड़े रहे।।

वक्त बीतता गया,हिम्मत आती गयी और अब आप सबके बीच हूँ। सोशल मीडिया पर कई ऐसे लोगों ने ट्वीट करके मेरे हालचाल पूछे,जिनका मैं नाम तक नहीं जानती थी,पर यकीन मानिए आपके शब्दों ने मुझे बहुत हिम्मत दी,आप सभी के इतना कहने और याद करने की बजह से ही हम 2महीने बाद सोशल मीडिया पर लौटे थे।

सोशल मीडिया से ही भाई रोहित सरदाना जी की ईमेल और उनकी पत्नी प्रमिला दीक्षित जी के संदेश ने भी एक अपनेपन का एहसास कराया,

सोशल मीडिया के कई साथी तो इस बजह से ये सब जान पाए क्योंकि उन्हें मेरा कोई पोस्ट नही दिखा था,फिर उन्होंने कारण जानने के लिए सारे प्लेटफॉर्म पर जाकर देखा,अन्ततः उन्हें जानकारी मिली,और उनके संदेश मुझे मिले।

जिंदगी में हर रिश्ते की अपनी जगह होती है, इसीलिए सभी को प्यार और सम्मान से पोषित करते रहो।

माँ की जगह जिंदगी में कभी कोई नहीं भर सकता,उनकी याद में जब आंसू निकलते हैं,तो भावनाओं का वो ज्वार आज भी संभाले नहीं संभलता।

अभी तो पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के साथ,आप सबसे भी जुड़ पाने का समय निकाल लेते हैं,

अपना प्यार और साथ यूँ ही बनाये रखिये🙏

Saturday, 10 October 2020

Maa

मेरी माँ
जन्म लेने के बाद जिसने सबसे पहले अपने सीने से लगाया,वो थी मेरी माँ😍
एक बेटी होने के बावजूद मुझे प्यार और स्नेह भरपूर मिला,सब मुझे बेहद प्यार करते थे।
पर मैं सबसे अधिक प्यार अपनी माँ से ही करती थी।
मैं उनको कहती भी थी,कि दुनियाँ में आपसे अधिक प्यार मैं कभी किसी को नहीं कर सकती।
बचपन के 3साल तो मुझे याद नहीं,पर उसके बाद का सब कुछ याद है।
मेरी माँ ने अपने जीवन में कभी मुझे डांटा नहीं,मारा नहीं।
वो मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी,मुझसे जुड़ी,मेरे दोस्तों से जुड़ी सारी बातें मैं मेरी माँ से शेयर करती थी।।
मेरा मेरी माँ से कनेक्शन जुड़वा बहनों जैसा था,
अगर उनको कोई शारिरिक-मानसिक परेशानी होती थी,तो वो मुझे भी होती थी,
जैसे यदि माँ को सरदर्द है, तो मुझे भी होगा
मेरी माँ को पेट दर्द है, तो मुझे भी होगा
यदि वो कुछ करवाना चाहती थीं,तो मैं उनके बोलने से पहले कर चुकी होती थी।
मेरे दोस्त हमारे इस कनेक्शन से परिचित थे,वो कभी कभी मजाक में कहते भी,कि तुम्हारे जैसा कनेक्शन नहीं देखा।
मैं खुद भी मम्मी से कहती थी,कि तुम दवाई खा लो,
मैं अपने आप ही ठीक हो जाऊँगी।

जिंदगी इतनी अच्छी चल रही थी, कि मुझे कभी किसी चीज की चाहत ही ना थी,जो था मेरे पास,मैं उसी में बेहद खुश थी।
मेरी माँ धार्मिक प्रवत्ति की,अनुशासित व बेहद सुलझी हुई महिला थी।
मैं,मेरे भाई बहिन शुरू से बाहर ही पढ़े,पर ऐसा कभी कोई त्यौहार नहीं गया, जब हम घर पर ना आये हों।
मेरा परिवार पूरी खुशहाली के साथ जीवन को बेहतर ढंग से जी रहा था,साल बीतते देर नहीं लगती।
31 दिसम्बर 2019 को हम अपने घर से दिल्ली के लिए रवाना हुए और 15जनवरी को बैंगलोर,पहुंच गए।

आगमन हुआ साल 2020 का-:

साल की शुरुआत अच्छी थी,फरवरी 2020 में दीदी ने बेटे को जन्म दिया,और हमारे परिवार की खुशियां बढ़ा दी।
मार्च में घर वापसी के ठीक 2दिन पहले ही लॉक डाउन हो गया,फ्लाइट्स कैंसल हो गयीं,
और हम बैंगलोर में कैद हो गए।
लंबे अंतराल के बाद जब ये खुला तो 2जून को मेरी दिल्ली वापसी हुई,औऱ नियम के हिसाब से हम 14जून को घर वापस आये।
मेरी माँ मुझे देखकर बेहद खुश थीं,
हालांकि इन 6महीनों में ऐसा कोई दिन नहीं गया,जब हमने माँ से दिन में 3-4बार वीडियो कॉल ना की हो।

घर में बिल्कुल त्यौहार वाला माहौल रहता था,क्योंकि हम सब भाई-बहन लंबे समय बाद एक साथ थे; ऐसा अधिकांश त्यौहारों पर ही संभव होता था।

30 जुलाई को मेरा जन्मदिन था,
मेरी माँ ने मेरा केक कटवाया और मुझे तिलक करके 500₹ दिए,
पूरे परिवार के साथ हँसी-खुशी ये दिन गुजरा।

आगे भी सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था, हम सब पूरे टाइम हँसी-मजाक,खाने पीने में लगे रहते।
मम्मी जन्माष्टमी के लिए मेवे खरीद लायी थी,
उनको हर चीज करीने से और समय से करने की आदत जो थी।

9अगस्त को मेरे छोटे भाई का जन्मदिन था, मम्मी ने हम सभी को तैयार होने के लिए बोला,मेरी बहन और मुझसे कहा कि हम दोनों साड़ी पहनें, पर हम दोनों ने ही मना कर दिया,
और कहा कि साड़ी नहीं पहनेंगे,पर वैसे तैयार होंगे,कुछ और पहन लेंगे।
हमें नहीं पता था कि ये बात मम्मी जिंदगी में कभी दोवारा कहेंगी ही नहीं।
मम्मी ने जन्मदिन पर दही की गुजिया,पूरी,कचौरी,खीर,पनीर,पुआ सब बनाया।
शाम को हम सब को तैयार होने को कहा,तो हम सब तैयार हुए,पर मम्मी उस दिन कुछ ज्यादा ही तैयार हुई,ऐसे वो किसी के जन्मदिन पर तो पहले कभी तैयार ही नहीं हुई थी।
उनको उसदिन देखकर मेरे मन में कुछ सेकंड के लिए अंजान सा भय आ गया,और हमने मन में ही ये कहा,"भगवान अगले जन्मदिन पर भी मेरी मम्मी,मेरे भाई का इसी तरह से जन्मदिन मनाएं"

हालांकि इस डर को मैंने किसी के सामने कहा नहीं,क्योंकि ये मन का भय था,और फिर हम तिलक करने और फोटो आदि लेने में व्यस्त हो गए।
जन्मदिन के खूब सारे फोटो वीडियो हम सब ने लिए।
काफी सारी फोटो लेने के बाद मम्मी ने छोटे भाई से कहा,कि एक फोटो वो उनके साथ अलग से ले ले,कभी कहीं लगानी पड़े,उसके लिए।
उनकी ये बात सुनकर, मुझे और मेरे भाई, हम दोनों को ही लगा कि मम्मी ऐसे क्यों बोल रहीं।
जबकि वो बहुत खुश और स्वस्थ थी।।
फिर रात को डिनर करके,हम सब हँसी खुशी सो गए।

9अगस्त 2020 की रात-:
रात करीब 1 बजे मम्मी के रोने की आवाज से मैं और मेरा भाई जागे,हम मम्मी को बहुत चुप करा रहे थे,पर वो सिर्फ रोये जा रही थी,
इतनी तेज और इतना दुःखी होकर,वो हमारे सामने कभी नहीं रोयीं थीं।
हम सब भाई बहन व डैडी उनको चुपाने में लगे थे, पर वो चुप ही नहीं हो रहीं थीं,
फिर मैंने उनसे पूछा कि क्या कोई बुरा स्वप्न देख लिया,
तो बोलीं हाँ,
मैंने उनको समझाया,कि स्वप्न था,
अब चुप हो जाओ,
औऱ देखो सब तुम्हारे सामने ही बैठे हैं।
पर वो फिर भी चुप नहीं हुईं,
फिर मैंने पूछा कि आखिर क्या स्वप्न देखा?
स्वप्न-:
उन्होंने बताया कि मम्मी के साथ डैडी,दीदी व छोटा भाई है,
कोई महिला उन लोगों पर कोई पीले रंग का पदार्थ डालने के लिए दौड़ रही है,
वो उससे सभी को बचाना चाहती हैं, और सभी को तेज चलने को कहतीं हैं।
डैडी को वो वहां से पहले निकाल देतीं हैं, पर दीदी और भाई नहीं निकल पाते,तब तक वो महिला वो पीला पदार्थ डाल देती है।
इसके बाद एक गद्दा फोल्ड किया हुआ रखा है, जिसको वो सीधा करतीं हैं, तो उसमें डेड बॉडी रखीं हैं,
उनको वो खोलकर देखतीं हैं,
तो कोई भी घर का सदस्य नहीं होता है।
वो करीब 2बजे तक रोयीं,फिर उनको समझाकर, चुप कराकर सुला दिया।

10अगस्त 2020-:
सुबह सभी लोग जागे, अच्छे से पूजा पाठ किया।
सोमवार था,तो मेरा और मेरी सिस्टर का उपवास था,
उस दिन खाना मम्मी ने ही बनाया,हम दोनों से कहा कि हम भी कुछ व्रत वाला खा लें,
हम दोनों ने मना किया,तो वो नाशपाती काटकर ले आयीं,
केले मंगवाए,हम दोनों ने ही सबकुछ उनके कहने से खाया।
शाम को भी मम्मी ने हम दोनों को खाना नहीं बनाने दिया।
हमसे थाली लगवाई और रोटियां स्वयं ही बनाई।
सभी लोग खाना खाकर लेट गए।
हम सब इधर उधर की बातें करते रहे,
फिर मम्मी छोटे भाई के पास अंदर लेटने चलीं गयीं।

हम लोग डैडी के साथ लॉबी में लेट गए।
तब 10:30 पर मम्मी बाहर आयी औऱ बोली,खीर नहीं दी किसी को तुमने,
मैंने बोला नहीं,
तो माँ बोली कल जन्माष्ठमी का व्रत रहेगा,तो आज ही सभी को खिला दो।
हमने बोल दिया,अब तुम ही दे दो।
मम्मी ने सभी को खीर खिलाई,और खुद भी खाकर लेट गयीं।

करीब 11 बजे अचानक तेज बारिश आ गयी,
हम सब बिस्तर लेकर अंदर आ गए।
मम्मी ने अपने बेड की डायरेक्शन बदली और लेट गयीं।
हल लोग कमरे में सोने चले गए।
11:15 बज चुके थे कि तभी मेरी छोटी सिस्टर कमरे स्व बाहर निकली, तो देखा कि मम्मी बैठी हुई हैं,
उसने पूछा कि क्या हुआ,क्यों बैठ गयी,तो उन्होंने पानी देने के लिए इशारा किया।
तुरंत ही हम बाहर आ गए,मैंने देखा तो मम्मी के हाथ एकदम ठंडे हो चुके थे,फिर मैंने पूछा कि क्या हुआ है,
तो बोली,"लगता है खीर नुकसान कर गयी,
हमने उनसे कहा,क्या बात करती हो मम्मी,खीर नुकसान नहीं करेगी,
बताओ अब क्या लेकर आएं,
तो बोली कि चाय ले आओ।
हम चाय बनाने गए,तो बहन से बोली, वॉशरूम जाना है, वो लेकर गयी,तो वापस आते ही मम्मी को तेज दर्द शुरू हो गया।
वो बोली कि पेट में दर्द है,
तो हमने कहा,डॉक्टर को बुला लेते हैं, तब तक लो चाय पिओ,
उन्होंने मना किया,पर हमने 2शिप  चाय उनको पिला दी।
उस रात हमारे फैमिली डॉक्टर बाहर थे,तो हम दूसरे डॉक्टर के यहाँ गाड़ी से पहुंचे,
तब तक दर्द बहुत तेज और ऑक्सीजन रेट कम हो गया था,
ऐसी हालत में मम्मी सिर्फ "हे राम!" कह रहीं थी,
और फिर अचानक बोलीं कि "अब नहीं बचेंगे"
ये सुनते ही हम सब रोने लगे,
उस क्लीनिक में ऑक्सीजन खत्म थी,हम दूसरे अस्पताल पहुंचे,जहां ऑक्सीजन लगाकर,डॉक्टर ने सैफई के लिए रैफर कर दिया।
एम्बुलेंस आ चुकी थी,
हम सैफई के लिए निकले,तो भी मम्मी दर्द से तड़प रहीं थी,
40 मिनट में हम सैफई पहुंच गए।
सैफई में डॉक्टर्स को पहले ही इन्फॉर्म कर चुके थे, तो डॉक्टर की टीम तैयार खड़ी थी,
पर ऑक्सीजन का सिलेंडर वहां जो आया,वो खाली था,
फिर दूसरा सिलेंडर आया,
ये सब होने में 10मिनट लग चुके थे,
घड़ी की सुइयाँ 1बजा चुकी थी,कि हम इमरजेंसी के गेट पर पहुंचे,
हम अंदर जा पाते,डॉक्टर कुछ कर पाते कि तभी मम्मी ने तेज गहरी सांस के साथ शरीर छोड़ दिया।
पर कहते हैं ना कि जब अपना कोई होता है, तो उम्मीद बनी ही रहती है।
डॉक्टर ने सीपीआर दिया,EGC किया और सीवियर हार्ट अटैक बताकर, माँ को मृत घोषित कर दिया😢😭

अचानक ही मेरे हँसते खेलते परिवार में मातम छा गया,
अभी माँ के उस दुःस्वप्न्न को ठीक 24घण्टे हुए थे,
अब रोने की बारी हमारी थी,
वो जिंदगी में एक ऐसा खालीपन दे गयीं,जिसकी क्षति अपूर्णनीय है।

मेरी माँ का नाम राधा था,और जन्माष्टमी पर वो कृष्ण में विलय हो गईं।
जिंदगी में उनके दिए संस्कारों का आकार कोई बदल नहीं सकता🙏
उन्होंने कभी किसी से वैर भाव नहीं रखा, वो हर किसी से प्रेम भाव रखतीं थीं,
यही कारण है कि ऐसे कई मिलने वाले और रिश्तेदार ये कहते हैं कि उनके जाने से,उनका भी परिवार टूट गया।
ईश्वर से बस यही शिकायत है कि उन्हें असमय मेरी माँ को अपने पास नहीं बुलाना चाहिए था😭
वो अब जहां भी रहें,सकुशल रहें😍
नमन आपको🙏
अश्रुपूरित श्रद्धांजलि😥💐

अवधपुरी दर्शन को जाऊँ

खुश हूँ मैं बहुत सुनो खुशी का तुमको राज बताऊँ आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ सुनो अवधपुरी में आज सभी है देव पधारे शिव इंद्र यक्ष गंधर्व...