सोशल मीडिया के दिखावटी रिश्ते
कुछ ही दिन पहले बात हुई थी उससे; कि ऐसा लगने लगा था मानो जन्म जन्मांतर का रिश्ता हो।।
पहले ही दिन दीदी कहा था उसने,उसके ये शब्द मेरे जीवन में इस तरह समाए कि लगा मानों मेरा कोई बिछड़ा हुआ छोटा भाई मिल गया हो।।
चूंकि मुझे चैटिंग की बहुत आदत नहीं थी,इसलिए मैं अपनी तरफ से कभी मैसेज ना करती,पर जब भी उसका कोई मैसेज आता तो बिना एक पल की देर किए मैं रिप्लाई कर दिया करती थी।।
मैं बात कर रही थी उसकी,जिससे कुछ समय पहले ही फेसबुक पर मिली थी,चूँकि पहले ही दिन से रिश्ता भाई-बहिन का जुड़ा तो भरोसा करना स्वाभाविक था।।
एक दिन भाई ने मेरा नम्बर मांगा तो मैंने बिना किसी देरी के नम्बर दे दिया; अब तक जो बात फेसबुक पर होती थी,वो फोनकॉल व व्हाट्सएप पर होने लगी।
इसी बीच भाई ने 4-6बार मिलने के लिए बोला,हालांकि ऑनलाइन रिश्तों पर भरोसा करना मेरे स्वभाव के विपरीत था,फिरभी 1महीने बाद मैंने मिलने की हाँ कर दी।
हम मिले तो ऐसा लगा ही नहीं कि पहली बार मिले हों,
मन में बार-2 एक ही बात कचोट रही थी कि क्यों पहले ही नहीं मिल लिए।
मिलने मिलाने का शिलशिला चालू हुआ,तो मुझे भी भाई के खाने-पीने आने जाने की फिक्र होने लगी।
अब वो मैसेज करे,उससे पहले ही हम उसके खाने पीने का पूछ लेते थे।।
हमारा रिश्ता किसी सगे भाई बहन से कम नहीं था,भाई किसी से मिलने जाते तो खुद ही बताते, मेरे खाने पीने का पूछते और दिन में कम से कम 2बार कॉल करते।
सब बहुत अच्छा चल रहा था,हम लगभग हर जगह साथ ही जाते,
इसी बीच भाई ने एक दो बार अपनी एक दोस्त(जिससे कुछ महीने पहले ही उनकी दोस्ती हुई थी) से बात करवाई।
फिर कुछ समय बाद उनकी एक और दोस्त(जिससे कई सालों से दोस्ती चल रही रही थी) उनसे मिलने आयी, जिससे भाई ने हमें भी 2 बार मिलवाया।
सब बढ़िया चल रहा था,कि तभी भाई की दोनों दोस्तों का आपस में झगड़ा हो गया,
इस झगड़े ने मानों हर रिश्ते को हिलाकर रख दिया।
आरोप प्रत्यारोप चले,अंत में कुछ महीने पुरानी दोस्ती ने 6साल पुरानी दोस्ती को ग्रहण लगा दिया,
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए,गलती किसकी ये भी समझ नहीं आ रहा था।
कि भाई की उस नई दोस्त ने हमारे रिश्ते में भी टांग अडानी शुरू कर दी।
व्हाट्सएप स्टेटस पर भी चर्चा करती,
भाई जो कभी स्टेटस नहीं देखते थे,उनके कहने पर स्टेटस देख लिया करते।
अब भाई को बहन के ना किसी मैसेज के रिप्लाई से मतलब था न कॉल से,
मन होता तो मैसेज/कॉल करते,
नहीं तो सिर्फ अपनी नई दोस्त को ही पूरा समय देते।।
एक दिन उनकी दोस्त का मेरे पास कॉल आया कि आपके भाई से मेरा झगड़ा हुआ है, उनको आप अपने यहाँ बुला लो।
झगड़े की बात सुनते ही मेरा दिमाग खराब हो गया।
वो इंसान जिसकी बजह से भाई ने सबसे रिश्ते लगभग खत्म कर दिए,वो अपने झगड़े की बात कर रही थी।
इसी गुस्से में मैंने उनको मैसेज करके बोल दिया कि अपनी समस्याओं को अपने तक रखो, हर समय भाई को इनवॉल्व मत किया करो।
भाई की कुछ दिनों से तबियत भी खराब चल रही थी।
मेरा इतना कहना था कि मेरे इंटेंशन को समझे बिना,भाई ने मुझे ही 4बातें सुना डाली,जबकि उनकी दोस्त पहले ही मुझे सुना चुकी थी।।
उस दिन के बात 8-10 दिनों तक मेरी भाई से कोई बात नहीं हुई।
फिर एक दिन भाई की कॉल आयी,तो सोचा गुस्से में बोल गए होंगे,सब नॉर्मल कर देते हैं।
हर भाई बहन में झगड़ा होता है।
15दिन बाद मेरा जन्मदिन था, भाई की रात को कॉल आयी; हम काफी खुश थे,सोचा जन्मदिन भाई के साथ ही सेलेब्रेट करेंगे.,
पर जैसा सोचो,वैसा होता कहां है।
मेरे कहने पर भाई उस दिन एक प्रोग्राम में आये पर मुझसे ठीक से बात तक नहीं की,
मेरी किसी बात का कोई सीधा जबाव तक नहीं दिया।
उस दिन लगा मानों जिस रिश्ते को हम सहेजने की कोशिश कर रहे थे,वो शायद उस दिन पूरी तरह बिखर चुका था।
रोते गाते हम घर पहुंच गए,पर आज ना कोई मैसेज था,
ना कॉल।।
पहले जो कमरे तक छोड़ने आते थे,आज बीच रास्ते छोड़ चुके थे।
कुछ मैसेज हमने कर दिए तो कुछ उनके आ गए,
लिखित में तो वो लास्ट मैसेज थे।
अगले दिन भाई की छोटी फेसबुक बहन ने मुझे और भाई को मिलने बुलाया,सोचा शायद ये रिश्ता बच जाए,इस उम्मीद से वहाँ पहुँचे।
पर हम वहां भी गलत साबित हुए।
इस बार भाई ने उस छोटी बहन का लिहाज किये बिना,
उसके सामने ही हमारे रिश्ते की बैंड बजा दी।
रिश्ता तोड़ने का कारण,मेरा खाने पीने के लिए पूछना,
उनका समय से घर आना जाना,इत्यादि बताया।
उस दिन ना मेरी कसम की कोई कीमत थी,ना मां की कसम की।
न रिश्ते की कोई मर्यादा।
वो बातें जिनकी बजह से रिश्ता जुड़ा था,
वही केयर आज रिश्ता टूटने की बजह बनी थी...
Note- ये कोई कहानी नहीं, बल्कि वो सच है,जिसे लोग आजकल जी रहे हैं।।
और इससे मुझे या मेरे किसी रिश्ते को ना जोड़कर ना देखें।
और इससे मुझे या मेरे किसी रिश्ते को ना जोड़कर ना देखें।
एक और सच्ची कहानी के साथ फिर हाजिर होंगे🙏
अपनी प्रतिक्रिया इस विषय पर अवश्य दें।।
अपनी प्रतिक्रिया इस विषय पर अवश्य दें।।
To be continued...

समय देने के लिए,कमेंट करने के लिए धन्यवाद🙏
ReplyDelete💐 काफी महीनों बाद ब्लॉग पर लौटने के लिये धन्यवाद और बधाई।
ReplyDeleteलेख को पढ़कर थोड़ा दुःख हुआ.. लेकिन यही दुनिया है।
ऐसा तो बहुत rarely होता है कि दो अनजान लोग मिलें और दोनो एक दूसरे पर समान रूप से भरोसा करें या समान इज्जत दें।
उन भाई की नई मित्र उनके प्रति आकर्षित रही होगी और उसे उनका किसी अन्य महिला से मिलना जुलना पसंद नहीं होगा.. भले ही अन्य महिला उनकी मुँहबोली बहन ही क्यों ना हो। क्योंकि पुरुष - महिला का अगर खून का रिश्ता ना हो तो समाज उसे संदेह की निगाह से ही देखता है।
शायद भाईसाहब अपनी बहन की अपने प्रति care दिखाने को उसी महिला के बहकावे में आकर ग़लत अर्थ में समझ बैठे और एक अमूल्य रिश्ते से किनारा कर लिये।
ये सिर्फ़ सोशल मीडिया नहीं.. बल्कि वास्तविक जीवन में भी होता है। सोशल मीडिया बस एक माध्यम था।
लोग अगर किसी से रिश्ता जोड़ते हैं तो उन्हें उस पर पूरा भरोसा होना चाहिये।
खैर... इस कहानी के अगले पार्ट की प्रतीक्षा में 🙏
9/10 marks
— Kush
बहुत बहुत धन्यवाद कुश😊
Deleteतुम्हारे valuable Response की हमेशा ही प्रतीक्षा रहती है,
हमेशा की तरह आज भी तुमने बारीकी से इसको पढ़ा, समझा और निष्कर्ष भी निकाला।।
लौटे हैं ब्लॉग पर वापस,
तो अब लिखना जारी रहेगा।।
9 नम्बर पाकर मन हो गया खुश😊
ध्यान रखो अपना।।
😊😊☕
Deleteबहन मैं तो पढ़कर निशब्द हूँ����
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद, समय देने के लिए🙏
DeleteTc
Wao very sad story
ReplyDeleteIt's neither wow,
DeleteNor sad..
It's just a real and factual story
Good one ...
ReplyDeleteOur relationship with each other has god's creation bond ... Life has to move with god's script ...
Yeah😊
DeleteBut sometimes we think that we are the controller,
But we forget that we are just the driver,leader is someone else
Good one ...
ReplyDeleteOur relationship with each other has god's creation bond ... Life has to move with god's script ...
बहुत दुख हुआ पूरा ब्लॉक पढ़कर चौंक गया
ReplyDeleteओहो..,
Deleteदुखी मत हो,
सब तरह के लोग होते हैं
रिश्ते/संबंध....
ReplyDeleteसंबंधों का सम्मान करना ही उन संबंधों को मजबूत करने की पहली कड़ी होती है।
जगत का सारा व्यवहार संबंधों पर टिका है। कहीं पारिवारिक संबंध होते है,तो कहीं कारोबार का संबंध होता है। मित्रों के संबंध में और कारोबार के संबंध में भेद दिखाई देता है और फिर भी सभी संबंधों में एक समानता होती है। पहले मधुर और प्रिय लगाने वाले संबंध बहुत जल्दी कड़वे प्रतीत होने लगते है। क्या ऐसा नहीं होता...? विचार कीजिए। क्या हमारे अधिकतर संबंध बोझ नहीं बन जाते हमारे जीवन में? परन्तु ऐसा होता क्यूं है? क्या आपने बिचार किया है...?
वास्तव में संबंध /रिश्ते क्या है...?
कुछ संबंधों का आधार प्रेम होता है तो अन्य संबंधों का आधार लाभ पर होता है,फिर भी सारे संबंध अंत में टूटने क्यों लगते है...? विचार कीजिए!
संबंध/रिश्ते का अर्थ उस शब्द को समझने से ही मिलता है। जैसे एक व्यक्ति जब दूसरे व्यक्ति से बंधता है या बंध जाता है तो उसे बंधन कहते है,जब दो व्यक्ति एक दूसरे से बंधे होते है तो उसे संबंध कहते है। सम अर्थात समान और और बंध अर्थात बंधन। चलिए अब थोड़ा और समझते हैं इसे। घोड़े और उसके सवार के बीच संबंध नहीं होता,केवल घोड़ा बंधन में होता है,और सवार मुक्त होता है। संबंध में दो व्यक्ति एक ही प्रकार से बंधे होते है। अर्थात प्रत्येक संबंध में दोनों व्यक्ति कुछ प्राप्त करते है। वास्तव में जहां असमानता नहीं होती,वहीं संबंध होता है। और संबंध में कड़वाहट का कारण भी इसी से समझ में आता है..कैसे...? जब भी दो में से कोई एक भी व्यक्ति अपने अदन का महत्व अधिक मानने लगता है तो संबंध कच्छा हो जाता है। अपने सारे संबंधों को देखिए और परखिए यदि कड़वाहट है तो आप अवश्य ही यह जान पाएंगे कि आपका अपना अहंकार बढ़ गया है। जब भी संबंध में किसी एक का अहंकार बढ़ जाता है तो वह संबंध दूसरे के लिए बोझ बं जाता है। जैसे प्रेम के लिए मांग विश है। हमारे द्वारा किए गए विचारों के इस मंथन से समझने का प्रयास अवश्य कीजिएगा की आपका अपना संबंध कैसा है? विचार अवश्य कीजिएगा।।।
बुरा समय एक अच्छे कल के लिए उतना ही आवश्यक है जितना जीवन के लिए जल। वैसे मुझे ज्यादा अंग्रेजी और हिंदी बोलने नहीं आती। मेरी मातृभाषा मराठी है। लिखने में कुछ गलतियां हुई है तो क्षमा कर देना।
बेहतरीन हिंदी लिखी आपने🙏
Deleteसही लिखा है,
संबंध विच्छेद होता ही तब है,
जब कोई एक प्रेम के अनुबंध को तोड़ता है।
अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए धन्यवाद🙏
Thanks A Lot 🙏 Radhe Radhe 🙏
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