Thursday 18 January 2024

अवधपुरी दर्शन को जाऊँ

खुश हूँ मैं बहुत सुनो खुशी का तुमको राज बताऊँ

आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ


सुनो अवधपुरी में आज सभी है देव पधारे

शिव इंद्र यक्ष गंधर्व आये हैं राम के द्वारे 

मन मेरा हुआ बेकरार राम के दर्शन पाऊँ

आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ


सुनो संत महात्मा व्यास और सभी विप्र पधारे

होंगी कथा और यज्ञ आज फिर राम के द्वारे

मन की उठती उत्कंठा की मैं प्यास बुझाऊँ

आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ


उस अवधपुरी में पावन सरयू माँ बहती

कल कल करके वो राम की सारी कथा कहती

मन करता आज ही जाकर उसमें डुबकी लगाऊँ

आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ


सुनो अवधपुरी के राजा हनुमति लाल हैं

जो करते राम नाम से मालामाल हैं

हनुमान गढ़ी का भी आज फिर आशिष पाऊँ

आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ


सुनो अवधपुरी में सुंदर है एक भवन सुहाना

जहाँ होता बिहारी जी का रोज ही आना जाना

उस कनकभवन में जाकर के मैं शीश नवाऊँ

आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ


अब सुनो खुशी की बात, जो अब तक, बतायी ना

हट गए सारे ही टाट, ठाठ में सोहें ललना

हुई जन्मभूमि तैयार बिराजें रामलला

हर्षित होंगे सब देव देख के बाल कला

मन में छाई उमंग लला के दर्शन पाऊँ

आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ



Wednesday 17 January 2024

मेरी पहली अयोध्या यात्रा

 मेरी पहली अयोध्या यात्रा-:

रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।

रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम:॥🙏

बात बचपन की है, जब टीवी पर सिर्फ दूरदर्शन यानी कि DD1 आता था,

औऱ रविवार के दिन हम सभी धारावाहिक जय श्री कृष्णा देखा करते थे।

अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद की रैली हजरत महल पार्क लखनऊ में होनी थी,

मेरे जीवन की ये पहली रैली थी जिसमें लगभग सभी वैश्य परिवारों ने भागीदारी की थी।

किशनी से 2बसें इस रैली में गयीं थी, और सभी ने ये तय किया हुआ था कि वापसी अयोध्या पुरी में रामलला के दर्शन करके ही होगी।


बचपन था,तो किसी बात की कोई फिक्र नहीं थी।

अयोध्या पहुंचने के बाद बिड़ला धर्मशाला में सभी के ठहरने की व्यवस्था की गई।

सबसे पहले सभी ने सरयू जी में स्नान किया, मेरी याद में किसी पवित्र नदी में वो मेरा पहला ही स्नान था।

उसके बाद हम सभी ने हनुमान गढ़ी में हनुमानजी के दर्शन किये, ततपश्चात कनकभवन बिहारी के,दशरथ महल, सीता रसोई, आदि के दर्शन किये।

यहीं कहीं मैंने और मेरी छोटी बहिन एक एक रील वाला कैमरा ख़रीद लिया। जेब में एक विक्स की डिब्बी भी थी।

अब हम सबकी अगली मंजिल थी रामजन्मभूमि के दर्शन।

हम सब जैसे ही परिसर में पहुंचे, तो वहां तलाशी बहुत ज्यादा चल रही थी।

एक लेडी कांस्टेबल ने मुझसे और मेरी बहिन से वो कैमरा जमा करने को कहा, मुझे आज भी याद है कि उसकी इस बात ने हमें कितना दुःखी कर दिया।

बचपन था, तब भगवान कम सामान ज्यादा प्रिय था,

हमने कहा हम जाएंगे ही नहीं अंदर,

ना जमा करेंगे।

फिर डैडी ने समझाया कि वापस आकर ले जाएंगे,अभी साथ चलो, यहां नहीं छोड़ सकते; फिर मन बस यही कहता रहा कि भगवान जी,कोई मेरा कैमरा ना ले जाये।

लोहे के जाल से पूरा गलियारा ऊपर और साइड से पूरी तरह बंद था, डैडी ने बताया कि करो दर्शन तो बल्ब की रोशनी में टैंट में प्रभु के दर्शन किये,



खुशी अब भी अधूरी ही थी क्योंकि मन कैमरे में रखा था।

वापस आकर जब कैमरा मिला तब खुशी  मिली।


समय काफी बदल गया आज कैमरा नहीं राम जी से मिलने की उत्कंठा होती है,


राम जी ने पीली अक्षत तो भेज दिए,अब बस यही इंतजार है कि रामलला जल्द अयोध्यापुरी में बुला लें🙏


जय श्री राम🚩

Wednesday 20 October 2021

ऑनलाइन शॉपिग/ लोकल मार्केट

 दुनियाँ में आजकल ऐसा कुछ नहीं है,जिसकी जानकारी एक क्लिक पर ना मिल जाये,

ऐसा ना कोई ज्ञान है और ना कोई समान,जो आपको एक क्लिक पर उपलब्ध ना हो।।

हर छोटे से छोटे गांव में आजकल ऑनलाइन सामान जाता है,जाहिर सी बात है, इससे हमारे लोकल के मार्केट बहुत अधिक प्रभावित हुए हैं।


हम अधिकांश देखते हैं कि हमारे कुछ नेता,हमारे मार्गदर्शक;  आमजन से ये आग्रह करते हैं कि हम ऑनलाइन शॉपिंग करने के बजाय लोकल बाजारों से सामान खरीदें।

जबकि उनके स्वयं के परिवारों में भी लोग ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं; वैसे भी टेक्नोलॉजी के जमाने में ये आग्रह वैसा ही प्रतीत होता है,

"जैसे LPG गैस के बजाय मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाने की सलाह देना" या "मोबाइल के जमाने में लैंडलाइन की बात करना"

आखिर आप किसी को कितने दिनों तक टेक्नोलॉजी से बंचित रख सकते हैं?

किसी को कितने दिनों तक रोक सकते हैं?

बेहतर होगा, हम अपना तरीका बदलें,समाज के साथ चलें,

धीमें चले तो पीछे रह जाएंगे।

इसलिए हमें चाहिए कि हम अपने लोकल के दुकानदारों को ट्रेनिंग दिलवाएं,ताकि वो अपने व्यवसाय को ऑनलाइन जोड़ सकें,अपना चैनल बना सकें,अपने प्रोडक्ट को लोकल बाजार के साथ राष्ट्रीय बाजार में बेंच सकें।


स्वयं को आज के अनुरूप बनाइये,किसी अन्य को रुकने के लिए मत कहिए, आप स्वयं जमाने के साथ चलिए।।

- जागृति गुप्ता

Saturday 16 October 2021

राजनीति में महिलाओं की भागीदारी


यूँ तो राजनीति में महिलाओं की भागीदारी पर हर छोटे-बड़े,सत्ता पक्ष-विपक्ष के नेता, अभिनेता काफी कुछ बोलते हैं,

पर जब क्रियान्वन का नंबर आता है, तो सब भूल जाते हैं🙏🏻

नमस्कार, मैं जागृति गुप्ता; बात करने जा रही हूँ मौजूदा दौर में राजनीति में महिलाओं की भागीदारी पर। आप सभी अपने अपने गांव, कस्बा,तहसील,जिला, प्रदेश आदि में देखते होंगे कि लोग राजनीति में महिलाओं की भागीदारी पर बड़े-बड़े वक्तव्य देते हैं,पर वही लोग जब पद की बात आती है, तो महिलाओं का नाम लेना तक भूल जाते हैं, इतना ही नहीं, "महिला दिवस के अवसर पर भी महिलाओं को पीछे छोड़ स्वयं फीता काटने पहुंच जाते हैं।

और तो और यदि मंच पर कोई महिला है, तो उसको भी आगे नहीं बैठने देना चाहते,बोलने नहीं देना चाहते।और यदि कोई महिला बोल भी दे,तो उसको धीमे से किनारे कर दिया जाता है; ये बात अधिकांशतः लोगों पर सटीक बैठती है।

अब आप लोग कहेंगे कि राजनीति में महिलाएं तो काफी हैं, सभी पार्टियों में भी हैं, फिर हम ऐसी बात क्यों बोल रहे,तो दोस्तों हमने ये बात इसलिए कही है, क्योंकि हम राजनीति को काफी करीब से देख रहे हैं।

दरअसल राजनीति में महिलाओं की भागीदारी नहीं अपितु भाग्यदारी चलती है, अब आप सोचेंगे वो कैसे; तो वो ऐसे कि अधिकांशतः वो महिलाएं राजनीति में हैं, जिनके पिता,पति,ससुर आदि पहले से राजनीति में हैं।उनको सभी पार्टियां सीधे ही या चुनाव के माध्यम से पदासीन कर देतीं हैं।

यही कारण है कि राजनीति में महिलाओं का आरक्षण होने के बावजूद अपना अलग से कोई बजूद नहीं बना पाया।

98% सीटों पर महिलाएं चुनाव तब लड़तीं हैं,जब महिला सीट हो, और उसमें भी टिकट वो ही लोग ले जाते हैं, जिनके पति,पिता या ससुर उस सीट पर चुनाव लड़ते,यदि वो जनरल होती।

यही कारण है कि जब कोई महिला चुनाव जीतती है, तो कहा जाता है कि ये तो बस हस्ताक्षर करेंगी,राजनीति तो इनके परिजन ही करेंगे।

इसके उलट जो महिलाएं स्वयं निर्णय ले सकतीं हैं, जो कुछ अच्छा कर सकतीं हैं, वो कभी परिवार के कारण,कभी धन के अभाव के कारण, और अधिकतर पार्टियों में कोई पद व टिकट न मिल पाने के कारण पीछे रह जातीं हैं।

राजनीति में महिलाओं के पद देखिए, 40 लोगों की लिस्ट में 4श्रीमती होतीं हैं, और कहीं 400 से अधिक में देखने पर,2 नाम के आगे सुश्री दिखेगा,मतलब लड़कियों को राजनीति में पद न के बराबर दिया जाता है, यही कारण है कि राजनीति में आजतक महिलाओं का प्रतिशत बहुत कम है।।

इंसान ईश्वर की पूजा अर्चना तो करता है, परन्तु ईश्वर से कुछ सीखना नहीं चाहता। ब्रह्मांड में सभी प्रमुख पदों की जिम्मेदारियां देवियां ही उठा रही हैं।

क्या कहीं कुछ गड़बड़ हुई?

नहीं ना,

देवी लक्ष्मी हो,सरस्वती हों या देवी पार्वती, सभी अपने-अपने उत्तरदायित्व समान रूप बखूबी  निभा रहीं हैं। हर महिला अपने घर, परिवार, समाज आदि की जिम्मेदारी बखूबी निभाती है,

इसके बाबजूद जब उसकी उपेक्षा की जाती है, तो उसका दुःखी होना स्वाभाविक ही है

जिस भारत ने दुनियाँ को नारी शक्ति से परिचित कराया,उसी देश में नारी की उपेक्षा  की जाती है।जर्मनी जैसे विकासशील देश की चांसलर महिला है,बंग्लादेश जैसे कट्टर मुस्लिम देश की प्रधानमंत्री महिला है।

मौजूदा सरकार में भी महिलाएं अच्छे पदों पर है और नैतिकता के साथ अपनी जिम्मेदारी निभा रहीं हैं, इसलिए महिलाओं को कमतर मत समझिए,उनकी भागीदारी बढ़ाइए,उनके भाग्य विधाता मत बनिये।।

समय रहते सुधार कीजिये, ईश्वर आपका सहयोग करेंगे।।

-जागृति गुप्ता

प्रदेश सचिव(ABVEP)

Saturday 29 May 2021

रोहित सरदाना "मेरे भाई जी"

 भाई जी

कहाँ से शुरू करूँ, कुछ समझ ही नहीं आ रहा😥सोचते थे आपकी बायोग्राफी हम लिख देंगे,आपके लिए कुछ लाइंस तो कई बार लिखीं,पर ब्लॉग पहली बार लिखेंगे😥

चैट पर एक बार किसी ने कहा था आपसे,कि जागृति जी बहुत अच्छा लिखतीं हैं; आपने पढ़ा क्या" तो आपने कहा था कि उसने कभी भेजा ही नहीं,"भेजेगी तो पढ़ लेंगे"

हम सोच रहे थे कुछ आपके लिए लिखेंगे,तो सब एक साथ भेज देंगे,पर नियती को कुछ और ही मंजूर था😭

आपको पहली बार जी न्यूज के "ताल ठोक के" प्रोग्राम में देखा था, धीमे धीमे उसे देखने की आदत बन गयी थी, फिर ट्विटर पर आपको फॉलो कर लिया,क्योंकि आपको देखना,सुनना दिनचर्या का अहम हिस्सा बन चुका था,

कुछ रोज आप "जी न्यूज पर नहीं दिखाई दिए,

आपके ट्वीट्स को स्वेता जी ने लाइक किया,तो मामला थोड़ा कम समझ आया,पहले लगा कि शायद अच्छे पत्रकार हैं आप,इसलिए आजतक के पत्रकार भी आपका ट्वीट लाइक कर रहे हैं।

फिर अगले ही दिन आपका ट्वीट आया

"अफवाहों का दौर था कल तक,अब देखिए आजतक"

इस ट्वीट से प्रथम दृष्टया ये लगा कि आपने जी न्यूज को अफवाह वाला बता दिया, पर फिर समझ आया कि आपके टीवी पर न दिखने पर लोग जो कयास लगा रहे थे,वो सब अफवाहें थी,

आपने "आजतक" ज्वाइन कर लिया है।

कार्यक्रम का नाम "दंगल" चूंकि हम चैनल के बजाय आपके फैन थे,इसलिए सीधा चैनल बदलकर आपको देखना शुरु कर दिया।हम हमेशा कहते थे कि डिबेट आपसे बेहतर, आपकी तरह बेबाक होकर,कोई नहीं करा सकता।

5बजे का अलार्म सेट था, दंगल के साथ शाम की चाय, ये रूटीन बन गया था मेरे परिवार का।

पहले लगा कि कहीं आप आजतक में आकर बदल ना जाओ,सच कहना ना बंद कर दो,पर कुछ एक एपिसोड से समझ आ गया,कि आप वो सूर्य हैं, जो अपनी स्थिति ग्रहण के समय भी नहीं बदलता।आपके प्रति प्यार और सम्मान समय के साथ बढ़ता गया।फिर आजतक ने आपसे हमारा सीधे बात चीत का रास्ता बनाया-लाइव चैट

ये वो माध्यम था, जहां अब आप हमसे सीधे जुड़े थे,औऱ हम आपके समक्ष अपनी बात रख सकते थे।

भारत तक:-

आजतक ने दर्शकों के सवाल जवाब के लिए एक यूट्यूब चैनल बनाया, जिसमें एंकर दर्शकों के सवालों का सीधे जवाब देते थे।ये मेरे लिए किसी जैकपॉट से कम नहीं था,

अपने चहेते पत्रकार से आखिर कौन नहीं जुड़ना चाहता है।

शुरुआत के दिनों में भारततक पर आप,स्वेता सिंह व गौरव सावंत जी आये,जिसमे आपकी टीम के कोई सदस्य आपको सवाल पढ़कर सुनाते,और फिर आप विस्तार से उसका जवाब देते। पर तब सवाल शामिल होना किसी लकी ड्रा जैसा होता था।

कुछ ही दिनों में आप मेरे नाम व मेरी विचारधारा से बाकिफ हो गए,

और आपने चैनल पर सभी को बोला, कि जागृति गुप्ता का तो मुझे नाम भी याद हो गया,ये हमारी पक्की वाली दर्शक है,जिस पर स्वेता जी ने भी हामी भरी।



कुछ दिन बाद "राष्ट्रहित विथ रोहित" आपके लिए व स्वेत पत्र स्वेता जी के लिए निर्धारित कर दिया गया।

अभी फिर कुछ समस्या आयी,चैनल ने भारत तक पर चैट को बंद कर दिया।उस समय परिवारिक कार्यक्रम में मेरी भी व्यस्तता रही,

जब फ्री हुए तो देखा कि लाइव चैट बंद हो गयी,पर कुछ ही दिनों बाद लाइव चैट का स्वरूप बदल गया,

यूपी तक-: 

अब लाइव चैट वेब चैट में परिवर्तित हो चुकी थी,और ये यूट्यूब के यूपीतक पर भी लाइव रहती थी,आपके कहने पर सभी ने बड़ी संख्या में यूपी तक को सब्सक्राइब किया,

और यूपीतक को गोल्डन बटन मिला,

इस पर जब मैंने इस जीत का श्रेय आपको दिया,तो आपने बड़ी सहजता से कहा कि इसमें पूरी टीम की मेहनत लगती है, सबके प्रयास से ये बटन मिला; आपकी ये सादगी ही तो आपको महान बनाती थी।कई बार लोगों ने मुझे मेरे सवालों को लेकर आपसे सवाल किये, पर आपने उन्हें भी अच्छे से ही समझाया


आपके ऐसे जवाब ही थे,जिन्होंने आपको मेरी जिंदगी का अहम हिस्सा बना दिया था।अब तक आप मेरे लिये कोई न्यूज एंकर या कोई सेलिब्रिटी ही नहीं थे,बल्कि मेरे भाई बन चुके थे।

मेरे भाई जी बोलते हुए जब एक वर्ष पूर्ण हुआ,तो मैंने बताया कि आज एक वर्ष पूर्ण हो गया आपको भाई जी बोलते हुए,

तो आपकी जो प्रतिक्रिया थी,उसे हम आजीवन नहीं भूल सकते


कुछ दिनों बाद यूपी तक भी चला गया,परंतु चैट चलती रही।

वेब चैट-:

अब न भारत तक न यूपीतक,

बस इतना ही नाम था, आजतक वेब चैट विथ रोहित सरदाना"

चैट निरंतर चलती रही, पुराने लोग गए,नए आये; इस दौरान यदि कोई नहीं बदला तो वो थे हम और रोहित भाई जी।

कितने बार लोगों ने कम्पेयर किया,कितने ही बार बोला कि जागृति बस करो, तुम्हारे सवाल बहुत हो गए,वहीं कुछ लोग ये भी कहने आते कि लाइव चैट में आपके सवालों का और रोहित जी के जवाबों का इंतजार रहता है।

चूंकि आपने ही सिखाया था कि टॉलरेंट होना बहुत जरूरी है, इसलिए कभी किसी से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं की चैट में।

बहुत खुशी होती थी,जब आप मेरे सवालों की सराहना करते,जब आप बताते कि आपने मेरा ट्वीट देखा था, आप मेरे वीडियो देखते हो,

पर ये खुशी इतने कम दिन चलेगी,ये स्वप्न में भी नहीं सोचा था।

मेरी माँ का निधन-: 

पिछले वर्ष कोरोना की बजह से जब लाइव चैट बंद चल रही थी,उसी दौरान 11 अगस्त 2020 को पूर्णतयः स्वस्थ मेरी माँ का अचानक ह्र्दयगति रुकने से निधन हो गया😥

हम पूरी तरह टूट चुके थे,पर जब आपको लाइक चैट के कुछ सदस्यों की मदद ये बात पता लगी,तो आपने मुझे ईमेल की,जिसमें आपने लिखा था,कि "इस दुःख की घड़ी में मुझे अपने साथ समझो" इन शब्दों ने बहुत हिम्मत दी थी मुझे।

कुछ दिन बाद ही प्रमिला जी का भी संदेश मिला,तो कभी ऐसा लगा ही नहीं कि हम को फैन या फॉलोवर हैं, क्योंकि इतना पारिवारिक स्नेह सिर्फ कोई अपना ही दे सकता है।

माँ के जाने के करीब 3माह बाद हम लाइव चैट से पुनः जुड़े,और वह क्रम निरंतर चल रहा था,कि तभी ध्यान गया कि आप चैनल पर नहीं आ रहे हो

20 अप्रैल 2021

जब आपको 3दिन लगातार चैनल पर नहीं देखा,तो पहले लगा कि शायद आप छुट्टी पर हैं, फिर चैट के ही हमारे एक साथी के ट्वीट से मन इतना विचलित हुआ कि मैंने मैसेज करके आपसे कुशल मंगल व चैनल पर न आने का कारण पूछा,

आपने बताया सब ठीक है, अगले हफ्ते से आएंगे।

मन को तसल्ली हो गयी कि सब ठीक है।

फिर 2-3दिन बाद आपने अपने स्वास्थ्य के बारे में ट्वीट किया कि आपके CT-SCAN में कोविड़ की पुष्टि हुई है।

मन फिर से घबरा गया,आपको फिर से मैसेज करके ठीक से खाने पीने आदि की सलाह दे डाली।

चूंकि आप उस समय भी कोविड़ पेसेंट की मदद के लिए ट्वीट करते रहते थे, तो लगता था कि आप जल्द हमारे बीच पूर्णतयः स्वस्थ होकर लौटेंगे।

28 अप्रैल 2021 को फिर से मैसेज करके आपके हाल चाल पूछे,आपने कहा "पहले से बेहतर"

मन में खुशी थी,निश्चिंत थे हम।

30 अप्रैल 2021-:

हम अस्पताल गए थे, वापस आकर पास ही मौसी के घर चले गए,फोन रख दिया था।

कुछ देर बाद मेरा कजिन बोला, दीदी "रोहित सरदाना नहीं रहे"ये सुनकर हमने उसपर गुस्सा किया,कहा फालतू बातें मत करो,वो बोला, दीदी मजाक नहीं कर रहे, आपके भाई की पोस्ट है,इतना सुनते ही दिमाग सुन्न हो गया,आँखों से बस आंसू आ रहे थे,फिर फोन देखा,तो ट्विटर,मैसेंजर,व्हाट्सएप सभी पर एक ही खबर,

कई लोग कंफर्म करने के लिए मैसेज कर रहे थे,पर होश कहाँ था कि किसी को ज्यादा कुछ बोलते।

एक सूर्य सा चमकता सितारा अस्त हो चुका था, पूरा भारत शोक में था, एक उभरते व्यक्तित्व ,बेहतरीन इंसान का इस तरह से जाना हर किसी को खल गया,

वो बुलंद आवाज,जो न जाने कितनों को न्याय दिला चुकी थी,न जाने कितनों के जीवन को रोशनी से भर चुकी थी,अब हमेशा के लिए खामोश हो गई

मेरे जीवन की ये अपूर्णीय क्षति है😥भाई जी जैसा कोई कभी नहीं हो सकता।

न जाने क्यों ईश्वर तूने ये दिन दिखाया,

मासूम से बच्चों का यूँ दिल दुखाया

रोता है परिवार संग सब यार दोस्त भी

क्या दोष था इनका,तूने कभी न बताया😭😥


हमेशा याद आओगे भाई जी🙏🏻😥


Wednesday 10 February 2021

Life After Maa

                   6महीने बाद

कभी सोचा ही नहीं था,कि जिंदगी माँ के बिना कैसी होगी?कैसे रहेंगे उस घर में,जिसमें माँ ही नहीं होगी😢

आज 6महीने हो माँ को दुनियाँ से गए,पर ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात हो,जैसे अभी वो हमें आवाज देकर बुलायेंगी, जैसे अभी कहीं से आकर पूछेंगी,कि क्या कर रही,जैसे अभी आकर कहेंगी,तुमने तो आज सब काम कर लिया😢

पर ये मन के वहम से ज्यादा कुछ नहीं,दिल की चाहत से ज्यादा कुछ नहीं.!

आज बताते हैं आपको कि आखिर माँ के बिना,ये 6महीने कैसे गुजरे

10 अगस्त की रात हमारी जिंदगी में ग्रहण बनकर आयी,प्रकृति भी रोयी माँ को अलविदा कहते समय; उस रात जैसी बारिस पूरे सीजन में कभी नहीं हुई।

11 अगस्त 2020 को माँ का अंतिम संस्कार हो गया और हमारी जिंदगी का बुरा समय शुरू हो गया,हम सब बीमार पड़ गए, किसी को वायरल,किसी को टायफाइड हो गया,थोड़ा संभल पाते कि उससे पहले ही एक बार फिर किस्मत ने अपना घटिया खेल खेला,मेरे डैडी को कोरोना हो गया☹️

हम सब अभी ना मन से स्वस्थ हुए थे और ना ही तन से🙄

डॉ के अनुसार डैडी को अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए था,पर हमारी मनोस्थिति ऐसी नहीं थी,जिसमें हमारे परिवार का एक भी सदस्य हमसे दूर रहता,डैडी की तबियत देख हम सब अंदर से इतने डरे हुए थे कि पचासों बार ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन रेट चेक करते,दवाई और खबाई सब करने में इतना व्यस्त हो गए जैसे कोई और काम ही नहीं हमारे पास,मेरा फीवर ठीक हुआ,फिर सिस्टर और भाई का।

दोवारा कोविड़ टेस्ट कराया गया सभी निगेटिव आ गए,पर भाई की तबियत थोड़ी बिगड़ी,उसको दिखाने लखनऊ चले गए, तो डॉ ने फिर से कोविड़ टेस्ट कराने को बोला,इस बार फिर भाई की रिपोर्ट निगेटिव पर डैडी की RT-PCR पॉजिटिव आ गयी,

आज माँ को गए ठीक एक महीना पूरा हुआ था,डॉक्टर ने कहा कि तुरंत भर्ती कराओ।

रात का वक्त,वही तारीख,वही समय,अंदर से इतना डर कि कहीं कुछ अनहोनी ना हो जाये,कहीं पिछले माह जैसा कुछ ना हो जाये,मैंने खुद को थोड़ा संभाला और अपने दोस्तों को कॉल की,जो कि डॉक्टर हैं, सभी ने कहा कि जब कोई लक्षण नहीं हैं, जब कोरोना का ट्रीटमेंट चल चुका,तो सावधानी रखो,और खाने पीने का ध्यान रखो,ऑक्सीजन रेट चेक करते रहो।।हमने ठीक वैसा ही किया,

उस रात सबसे ज्यादा हिम्मत बंधाई डॉ अरविंद जी ने,जिन्होंने कहा कि अगर रात में कोई दिक्कत होती है, तो उनके बताए अस्पताल में एडमिट किया जा सकता है, मुसीबत के वक्त अपनों का साथ और उनके शब्द ही ताकत देते हैं।

उसके बाद हमने हमारे कजिन से बात की,फिर हम लखनऊ से कानपुर भैया के पास आ गये,जहां डैडी के सभी टेस्ट दोवारा कराए,CT, ECG, ECHO और पूरा हिमोग्राफ।सभी रिपोर्ट्स नॉर्मल आईं,तब जाकर हमने कहीं खाना खाया।

9दिन बाद हम घर वापस आ गए और ऐसे करीब 2महीने बाद डैडी पूरी तरह स्वस्थ हुए, इन दो महीनों में हम सभी का बजन कम हो चुका था, 5KG WEIGHT टेंशन के चलते कम हो गया।

इस मुसीबत में मेरे कुछ दोस्तों ने और मेरे परिवार ने मेरा बहुत साथ निभाया,

मेरी दोस्त डॉक्टर वर्षा, डॉक्टर अरविंद,तरस,आदि ने मुझे बहुत हिम्मत दी।

मेरे चाचा डॉ लक्ष्मीकांत गुप्ता,मेरे कजिन भाई भावनात्मक रूप से मेरे साथ हर समय खड़े रहे।।

वक्त बीतता गया,हिम्मत आती गयी और अब आप सबके बीच हूँ। सोशल मीडिया पर कई ऐसे लोगों ने ट्वीट करके मेरे हालचाल पूछे,जिनका मैं नाम तक नहीं जानती थी,पर यकीन मानिए आपके शब्दों ने मुझे बहुत हिम्मत दी,आप सभी के इतना कहने और याद करने की बजह से ही हम 2महीने बाद सोशल मीडिया पर लौटे थे।

सोशल मीडिया से ही भाई रोहित सरदाना जी की ईमेल और उनकी पत्नी प्रमिला दीक्षित जी के संदेश ने भी एक अपनेपन का एहसास कराया,

सोशल मीडिया के कई साथी तो इस बजह से ये सब जान पाए क्योंकि उन्हें मेरा कोई पोस्ट नही दिखा था,फिर उन्होंने कारण जानने के लिए सारे प्लेटफॉर्म पर जाकर देखा,अन्ततः उन्हें जानकारी मिली,और उनके संदेश मुझे मिले।

जिंदगी में हर रिश्ते की अपनी जगह होती है, इसीलिए सभी को प्यार और सम्मान से पोषित करते रहो।

माँ की जगह जिंदगी में कभी कोई नहीं भर सकता,उनकी याद में जब आंसू निकलते हैं,तो भावनाओं का वो ज्वार आज भी संभाले नहीं संभलता।

अभी तो पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के साथ,आप सबसे भी जुड़ पाने का समय निकाल लेते हैं,

अपना प्यार और साथ यूँ ही बनाये रखिये🙏

Wednesday 13 January 2021

MakarSankranti

मकर संक्रांति

कुछ दिन पहले ट्विटर पर राय मांगी थी कि मुझे किस विषय पर ब्लॉग और कविता लिखनी चाहिए,कई टॉपिक मिले,

उन पर आगे विस्तार से लिखेंगे,

पर फिलहाल हमारे एक मित्र ने सुझाव दिया था कि मुझे मेरी जिंदगी का कोई संस्मरण लिखना चाहिए,चूंकि आज संक्रांति है, तो मुझे मेरे जीवन से जुड़ा एक बाकया याद आ गया, सोचा आप सभी के साथ साझा करूँ।


बात उन दिनों की है, जब हम ग्रेजुएशन कर रहे थे,हमारे क्लास के सहपाठी बेहद सुलझे हुए थे,क्लास के दौरान हमारी आपस में बातचीत होती थी।

हम जो भी लंच में ले जाते थे, उसे बांटकर खाया करते थे।

बात संक्रांति की है,उस दिन हमारे टीचर्स की ट्रेन लेट थी,

हम सभी टीचर्स का इतंजार कर रहे थे,

सर्दी का समय,कड़कड़ाती ठंड,और आंवले का सीजन,

संक्रांति की बजह से सब लोग आपस में गजक,चिक्की, पट्टी,तिलकुट, इत्यादि चीजें शेयर कर रहे थे, तभी मेरी एक दोस्त ने मुझे कच्चा आँवला खाने को दिया,मैंने आँवला खाया और उसकी गुठली को टॉफी के रैपर में रैप कर लिया,

तभी मेरा एक बैचमेट आया,औऱ उसने मेरे हाथ से वो रैप की हुई गुठली टॉफी समझ के ले ली,

मैंने उससे वो वापस लेने का प्रयास किया,बोला वापस दे दो,पर उसने एक ना सुनी और टॉफी को डायरेक्ट मुंह के अंदर ही खोला,

बस फिर क्या था,वो आँवले की गुठली उसके मुँह में,

ये देख हम सबका का हँस हँस के बुरा हाल हो गया,

आज भी जब संक्रांति आती है, तो हमे वो वाकया याद आ ही जाता है।।



अवधपुरी दर्शन को जाऊँ

खुश हूँ मैं बहुत सुनो खुशी का तुमको राज बताऊँ आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ सुनो अवधपुरी में आज सभी है देव पधारे शिव इंद्र यक्ष गंधर्व...