दुनियाँ में आजकल ऐसा कुछ नहीं है,जिसकी जानकारी एक क्लिक पर ना मिल जाये,
ऐसा ना कोई ज्ञान है और ना कोई समान,जो आपको एक क्लिक पर उपलब्ध ना हो।।
हर छोटे से छोटे गांव में आजकल ऑनलाइन सामान जाता है,जाहिर सी बात है, इससे हमारे लोकल के मार्केट बहुत अधिक प्रभावित हुए हैं।
हम अधिकांश देखते हैं कि हमारे कुछ नेता,हमारे मार्गदर्शक; आमजन से ये आग्रह करते हैं कि हम ऑनलाइन शॉपिंग करने के बजाय लोकल बाजारों से सामान खरीदें।
जबकि उनके स्वयं के परिवारों में भी लोग ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं; वैसे भी टेक्नोलॉजी के जमाने में ये आग्रह वैसा ही प्रतीत होता है,
"जैसे LPG गैस के बजाय मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाने की सलाह देना" या "मोबाइल के जमाने में लैंडलाइन की बात करना"
आखिर आप किसी को कितने दिनों तक टेक्नोलॉजी से बंचित रख सकते हैं?
किसी को कितने दिनों तक रोक सकते हैं?
बेहतर होगा, हम अपना तरीका बदलें,समाज के साथ चलें,
धीमें चले तो पीछे रह जाएंगे।
इसलिए हमें चाहिए कि हम अपने लोकल के दुकानदारों को ट्रेनिंग दिलवाएं,ताकि वो अपने व्यवसाय को ऑनलाइन जोड़ सकें,अपना चैनल बना सकें,अपने प्रोडक्ट को लोकल बाजार के साथ राष्ट्रीय बाजार में बेंच सकें।
स्वयं को आज के अनुरूप बनाइये,किसी अन्य को रुकने के लिए मत कहिए, आप स्वयं जमाने के साथ चलिए।।
- जागृति गुप्ता
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