Friday, 27 December 2019

Conversation b/w PEN & MIND

कलम और दिमाग का वार्तालाप

आज मैंने जब लिखना चाहा
कलम बोली कुछ ऐसा लिख दे
मिट जाए सरहदें नफरत की
प्यार का खत कुछ ऐसा लिख दे

बोला तभी दिमाग मेरा
कब तक सच को झुठलायेगी
गंगा जमुनी तहजीब नाम पर
कब तक झूठ लिखायेगी

बोली कलम सुनो भाई अब ये
मैं नफरत नहीं सिखाती हूँ
अरुंधति की तरह कभी ना
समाज को मैं भड़काती हूँ

मैं तो हूँ सीधी सच्ची सी
कोई चाल कभी ना चलती हूँ
लिखने वाला चाहे प्यार लिखे
मैं तो उस समय भी घिसती हूँ

बोला ये सुनकर दिमाग मेरा
ये बात सही तुम बोली हो
खुरापात दिमाग ही करता है
तुम तो बाकई में भोली हो

मैं वादा तुमसे करता हूँ
अब और ना कुछ होने दूंगा
चाहे जितना हो बैर भाव
मैं आग नहीं लगने दूंगा
   जागृति गुप्ता✍️

Sunday, 8 December 2019

Rape,"A Heinous Crime

बलात्कार

यूँ तो काफी समय से व्यस्तता के चलते कुछ लिखा नहीं,
कभी अपनी समस्याएं कभी अपनों की।
चाहकर भी कुछ नहीं लिख पाए,उसके लिए आप सभी से माफ़ी चाहते हैं।।
पिछले दिनों मेरे कई जानने वालों ने कहा,कि मुझे #प्रियंका_रेड्डी के विषय पर कुछ अवश्य लिखना चाहिए,
कुछ ने कहा कि रेप पर भी आप कुछ लिखिए।
कुछ ये भी कह रहे थे कि प्रधानमंत्री जी आपको फ़ॉलो करते हैं, आप लिखिए तो आपकी बात उन तक पहुँचेगी,तो समाधान भी निकलेगा।।
दोस्तों मेरी बात आप तक पहुंचे,आप समझो,लोगों को समझाओ, मेरे लिए यही काफी है।।


मुझे लगता है कि रेप शब्द की परिभाषा बताने की कोई जरूरत नहीं,क्योंकि हर रोज कोई ना कोई इसका शिकार बनता है,और फिर वही परिभाषा दोहराई जाती है।
साधारण बोलचाल में,किसी के साथ उसकी सहमति के बिना,
ज़बरदस्ती शारिरिक संबंध बनाना,बलात्कार कहलाता है।
ये ऐसा शब्द है,जो कानों में पड़ता है तो एक अजीब सी सिहरन दौड़ जाती है शरीर में।
पिछले कुछ वर्षों से जितना टेक्नोलॉजिकल विकास हुआ,नेट पैक सस्ता हुआ,उसी दर से अपराध में भी इजाफा हुआ।।
जिन्हें ढंग से कपड़े पहनने नहीं आते,वो भी इस दुष्कर्म को अंजाम दे देते हैं।
डॉ दिशा रेड्डी,जो कि जानवरों की डॉ थी...अपनी स्कूटी से घर से निकलीं,और टोल प्लाजा के पास अपनी स्कूटी पार्क करके कैब से चलीं गयीं।
ये सब वो चार दरिंदे देख रहे थे,जिन्होंने उसी समय ये बलात्कार को अंजाम देने की साजिस रच डाली।
उनके जाने के बाद उनकी स्कूटी की हवा निकाल दी,जब डॉ वापस आयी,तो उन्होनें देखा कि उनकी स्कूटी पंचर है;वहीं पास खड़े उन दरिंदों ने मदद की पेशकश की।
जिसके लिए डॉ दिशा ने मना कर दिया।
रात के 9बज रहे थे,दिशा ने अपनी बहन को कॉल करके इसकी जानकारी दी; उन्होंने ये भी बताया कि कुछ लड़के मदद के लिए बोल रहे हैं, पर उन्हें डर लग रहा है।
इसके बाद वो फोन कट करती हैं,
कुछ मिनट बाद दिशा की बहन उन्हें कॉल करती हैं, पर फोन नहीं लगता।
इसके बाद कि घटना से आप सभी बाक़िफ़ हैं।
वो चारो दरिंदे गैंगरेप करके,उनकी बॉडी को जलाकर फेंक देते हैं।

क्या हो गया है समाज को😡
क्यों लड़कियों को ऐसी यातनाएं झेलनी पड़ती हैं,
क्यों इन राक्षसों का वध शीघ्र नहीं किया जाता,
क्यों कानून का कोई खौफ नहीं है दरिंदों में,
इन सभी के लिए जिम्म्मेदार कौन????

क्या करना चहिये समाज को-: 

शायद ही कोई ऐसा होगा,जिसके अपने क्षेत्र के छिछोरों और मनचलों केे बारे में जानकारी ना हो।
ऐसे लोगों के घरवालों को इनकी हरकतों से अवगत कराएं।
देर रात तक सड़क पर घूमने वाले लोगों पर भी समय सीमा का निर्धारण कराएं,
समाज में एक दूसरे की बेइज्जती करने के अवसर ढूंढ़ने के बजाय,समाज को जोड़ने के लिए प्रयासरत रहें।
जब आप इस तरह से करेंगे,तो समाज एक परिवार भी भांति लगेगा,और फिर अपराधों पर लगाम अपने आप लगने लग जाएगी।।

क्या करना चाहिए पुलिस को-:

पुलिस भी ऐसे लोगों को समय-समय पर ऐसे अपराध के दुष्परिणामों से अवगत कराए।
जैसे चुनाव से पूर्व कुछ लोग चिन्हित कर लिए जाते हैं, फिर उनको वार्निंग दे दी जाती है; उसी तरह से समय समय पर ऐसे मनचलों को चेतावनी दें।।
और एक निश्चित समय अंतराल पर इनकी परीक्षा भी ले लें।
महिला अधिकारी को साथ लेकर मॉक ड्रिल करें,
इससे मनचलों की हरकतें सामने आ जाएंगी।

क्या करना चाहिए लड़कियों को-:

बदलते परिवेश के हिसाब से लड़कियों को चाहिए, वो किसी भी कार्य के लिए किसी अन्य पर निर्भर ना हों,
आप घर से दूर रहती हो,घर पर ही रहती हो; दोनों परिस्थितियों में आप कहीं भी जाओ,घर बालों को बताकर ही जाओ,
अंधेरा होने से पहले घर आ जाओ।
यदि कहीं ज्यादा समय लगता है, तो घर के किसी सदस्य के साथ जाओ या वहां से किसी को घर तक साथ लेकर आओ।
कितना ही घनिष्ठ मित्र क्यों ना हो,कभी किसी एकांत वाली जगह पर ना मिलो,
पब्लिक प्लेस पर ही मिलो।
जैसे-जैसे माहौल बदल रहा है, उसके हिसाब से ही चलो,
अपनी लोकेशन घर के किसी सदस्य,किसी मित्र से शेयर करें।
आँख बंद करके किसी पर भरोसा ना करें,
आपकी सतर्कता ही आपको आज के परिवेश में इंसानी भेड़ियों से बचा सकती है।।

क्या करना चाहिए लड़को को-:

मैं नहीं कहती कि लड़कों के साथ कभी गलत नहीं होता,
पर इतना जरूर कहेंगे कि लड़कियों की अपेक्षा ये नगण्य है।।
भगवान ने आपको मानव बनाकर भेजा है,तो मानवता ही सीखो,
दानव ना बनो।
कई बार ऐसा होता है कि लड़के-लड़कियों के अफेयर में लड़की, लड़के को छोड़ देती है; ऐसे में आप पागलपन में ऐसा कुछ कर जाते हैं, जो आपकी ही नहीं बल्कि आपके परिवार की भी जिंदगी नर्क बना देता है।
जिसने छोड़ दिया,उसको जाने दो।।

कई बार लड़के दूसरे दोस्तों की बातों में आकर लड़कियों पर कमेंट करते हैं,उनके कपड़ों पर कमेंट करते हैं, ये भी ना करें।।

कई बार आप प्यार में सारी सीमाएं लांघ जाते हो,वो भी ना करो।
यदि बाकई किसी से प्यार करते हो,तो एक सामाजिक बंधन में बंधो, रीति रिवाज के साथ अपनाओ,
मर्यादा का हनन कभी भी ना करो,
क्योंकि 2लोगों की गलतियां 2खानदानों को भुगतनी पड़तीं हैं।।

सबसे महत्वपूर्ण बात,"आप बहुत शरीफ हो और आपके सामने कोई अन्य लड़का किसी लड़की को छेड़ रहा है, तो ऐसे में आप आवाज उठाओ,चुप चाप अन्याय होते ना देखो।

वैसे रेप जैसी बारदात को अंजाम देने वाले मानसिक विक्षिप्त ही होते हैं, जो सामने वाले कि चीख पुकार भी नहीं सुनते,
सुनते हैं तो सिर्फ अपने दिमाग की हवस😡

मर्द हो तो मर्द बनकर रहो,
किसी महिला को दर्द तो ना दो।।


दोस्तों कभी किसी लड़की को बदनीयती से छूने से पहले ये सोचो कि उसको कैसा लगा होगा, उसकी मानसिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा होगा, कितनी बद्दुआएं दी होंगीं उसने,बस नहीं चलता वरना ऐसी हरकत के बाद ऐसे लड़को के हाथ धड़ से अलग ही कर दें लड़कियां।।

एक महिला ही पुरूष को जन्म देती है, पर इसलिए कतई नहीं कि वो किसी अन्य महिला की अस्मत लूटे।

क्या करना चाहिए सरकार को-: 

सरकार को चाहिए,वो न्यायायिक प्रक्रिया को सरल बनाये,
पीड़ित पक्ष को सुरक्षा प्रदान करे,
वकील दे,
पर धनराशि कदापि ना दे।
क्योंकि इस तरह से लोग गलत आरोप लगाकर फंसा भी सकते हैं।
सरकार को चाहिए,
आरोपी/आरोपियों का नार्कोटेस्ट,पॉलीग्राफ,ब्रेनमेपिंग अवश्य कराए,ताकि किसी निर्दोष को ऐसे जघन्य अपराध की सजा ना मिले।।
यदि कोई आरोपी इन टेस्ट में निर्दोष पाया जाता है, तो पीड़िता के भी यही टेस्ट कराए,ताकि पता चल सके,कि आरोप निराधार तो नहीं हैं, और सच सामने लाया जा सके।।


नोट-:हैदराबाद केस के चारो आरोपियों की पुलिस एनकाउंटर में मृत्यु हो चुकी है।।

यदि आपके पास कोई अन्य सुझाव है, तो कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें।
इस लेख से यदि किसी को कोई कष्ट पहुंचा हो,तो क्षमा प्रार्थी हूँ🙏
कृपया अपनी राय कमेंट बॉक्स में अवश्य दें।।
धन्यवाद🙏

Saturday, 6 July 2019

Social Media, "A Platform Of Comments & Complements"

सोशल मीडिया,एक ऐसा मीडियम है जो आपको समाज के हर आयु वर्ग से एक साथ जोड़ता है,
यहां आपको हर तरह के लोग मिलते हैं,जिनमें कुछ अच्छे होते हैं, तो कुछ बहुत अच्छे।।
हम यहां किसी को खराब इसलिए नहीं कह रहे,क्योंकि जिसको आप खराब कहोगे,वो भी यहां किसी न किसी से अपनी तारीफ करवा ही रहा होगा।।

तो दोस्तों आज का विषय यही है,
सोशल मीडिया,"कमेंट और कॉम्प्लीमेंट" 

आज से 12-13 वर्ष पूर्व जब orkut का जमाना था,जब फेसबुक नया नया ही आया था,उस समय लोग सोशल मीडिया का उपयोग आपसी दोस्ती, रिश्ते, आदि के लिए ही करते थे।
Orkut को लोग चैटिंग,जन्मदिन की बधाई,टेस्टीमोनियल आदि भेजने के लिए ज्यादा उपयोग करते थे।।
फिर धीमे धीमे फेसबुक का विस्तार हुआ,
उसका व्यवसायीकरण शुरू हुआ,तो लोगों ने रिश्तों में भी वही सबकुछ शुरू कर दिया।।
यहाँ लोग मिलते तो बड़े ही अपनत्व के साथ हैं,पर धीमे धीमे "love in the Air" से "प्यार हवा हो गया" में परिवर्तित हो जाते हैं, हम ये कतई नहीं कह रहे कि हर कोई ऐसा ही होता है, पर 95% लोग ऐसे ही होते हैं।।
मेरा अपना तजुर्बा तो बहुत ज्यादा नहीं, क्योंकि मैंने फेसबुक से आजतक किसी को दोस्त भी नहीं बनाया।।इसका कारण कुछ ये भी है कि मेरा अपना एक्सपीरिएंस रियल लाइफ का ही कोई बहुत अच्छा नहीं रहा, जो मैं किसी से ऑनलाइन वाली दोस्ती करती।।

फेसबुक चल ही रहा था कि माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर आ गई, यहां शुरुआती दिनों में सेलेब्स ही छाये रहते थे,क्योंकि आम जन को इसकी जानकारी कम थी।
पर आज के समय में ये हर जगह,हर आयुवर्ग के बीच छाया हुआ है, इसके कई कारण हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण तुरत समस्या समाधान भी है।।
आजकल कोई भी ट्विटर से अंजान नहीं है।

सोशल मीडिया एक बेहद खूबसूरत माध्यम होता है, हर एक तक अपनी बात पहुंचाने का।कुछ लोग इसका उपयोग अच्छी बातों को साझा करने में करते हैं,
वहीं कुछ लोग यहां भी गंदगी ही परोसते हैं।।
गली,अपशब्द मानो फैशन बन गया है।
ना किसी को किसी से भय है,ना ही किसी तरह की रोकथाम
जिसकी जो मर्जी लिखता है, फिर वहां उस बात की जरूरत हो या ना हो।
धीमे-2 ये एक अभिशाप बनता जा रहा है।
हालांकि गलत शब्दों की रोकथाम के लिए ट्विटर व फेसबुक दोनों ने ही रिपोर्ट एकाउंट का ऑप्शन खोल रखा है, जहां जांच के बाद कार्यवाही भी की जाती है।
पर सोचने वाली बात ये है कि आखिर इतना पढ़-लिखकर भी हमारा समाज जा किस ओर रहा है🤔
कुछ शब्दों के अर्थ आप समझ भी नहीं सकते परन्तु उनका उपयोग होते अवश्य देखते होंगे।।
ऐसे ही कुछ शब्द हैं, जो मुझे अतिघटिया लगते हैं-

ले ली,
फट गई,
तेरी मां का,
तेरी बहन का,
विशेष लोग,
बुद्धिजीवी,
और तमाम गालियां,जिन्हें हम यहां लिख भी नहीं सकते।।
आखिर क्यों हम अपने बौद्धिक स्तर को इतना गिराते जा रहे हैं,
क्यों हम संयमित व मर्यादित भाषा का उपयोग नहीं करते,
क्यों हमें अपने माँ-बाप व भाई-बहन के लिए अलग से शब्दकोश खंगालना पड़ता है,
दोस्तों जिस प्रकार कही हुई बात अमर हो जाती है,उसी प्रकार लिखी हुई बात भी अमिट होती है।
इसलिये जितना संभव हो,शब्दों का चयन सोच समझकर करें।
क्योंकि शब्द अमर होते हैं।।
वैसे आजकल सोशल मीडिया सेल काफी एक्टिव हो चुकी है, इसलिए अच्छा ही लिखें,अन्यथा जेल जाने को भी तैयार रहें।।

अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंर बॉक्स में अवश्य दें।।
धन्यवाद🙏

Monday, 3 June 2019

6Part "The Feeling Of Heart "

Love,"The Feeling Of Heart"

दोस्तों प्यार पर तक 5 ब्लॉग लिखे,जिनमें लगभग हर रिश्ते के बारे में बताया।
हर रिश्ते को रामायण के दृष्टांत से समझाने की कोशिश की।
पर अब बात करेंगे,आधुनिक समय के प्यार की।
अमूमन जिसे लोग प्यार कहते हैं,क्योंकि आजकल के माहौल को देखते हुए लोगों की सोच भी बदल चुकी है,
आज हम किसी लड़का-लड़की को एक साथ देखकर,सिर्फ यही अनुमान लगाते हैं,कि ये चक्कर चला रहे।
फिर भले ही वो दोनों सिर्फ दोस्त हों,या भाई-बहिन।।
तो कुछ ऐसे ही चक्कर/प्यार की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं।।

कॉलेज में एडमिशन हुए कुछ ही समय हुआ था,सब एक दूसरे के बारे ज्यादा से ज्यादा जानने को उत्सुक रहते थे।
कुछ ही समय हुआ था कि सभी के अपने-2 दोस्त बन गए,ग्रुप बन गए,फेसबुक पर भी दोस्त बन गए।
ये सिलसिला चलता जा रहा था,कुछ की दोस्ती और प्रगाढ़ हो रही थी,तो वही कुछ की दोस्ती प्यार में बदलने लगी थी।।
कॉलेज से हॉस्टल तक सबका अपना-अपना रंग ढंग नजर आने लगा था।
सब आपस में अपनी-अपनी बातें शेयर करने लगे थे,
इसी बीच मुझे पता चला कि मेरी दोस्त भी किसी को पसंद करती है,हालांकि वो जिसको पसंद करती थी,वो हमारे कॉलेज का विद्यार्थी नहीं था।फिर भी उनके प्यार के चर्चे जब कभी सुनने को मिल ही जाते थे,पर इधर उधर की बातों पर हम कभी प्रतिक्रिया नहीं देते थे।।
दोनों अलग-अलग शहरों में होने के कारण मिल तो नहीं पाते थे,पर फोन पर लम्बी बात किया करते थे।
एक दिन मैंने अपनी दोस्त से उसके तथाकथित दोस्त के बारे में पूछ लिया,पूछने पर उसने बताया कि पिछले कुछ सालों से वो एक दूसरे को चाहते हैं,पढ़ाई खत्म करते ही शादी कर लेंगे।
सुनकर अच्छा लगा कि रिश्ता टाइमपास के लिए नहीं बल्कि एक-दूसरे के साथ के लिए बना है।
समय बीतता गया,2 सेमेस्टर खत्म हो चुके थे,तीसरा चल रहा था,
और अब उनके बीच बातें होना थोड़ी कम हो गयी थी,
मेरी दोस्त इसको लेकर काफी परेशान रहने लगी थी,पर सामने से रिस्पांस कम होता जा रहा था।
अब तक मेरी दोस्त मुझसे अपनी हर बात शेयर करने लगी थी।।
तीसरे सेमेस्टर के एग्जाम शुरू हुए,उसी बीच पता चला कि वो श्रीमान जी,जिनसे मेरी दोस्त बात करती थी;वो आने वाले हैं।।
दोनों मिलने का प्लान कर रहे थे,जब मुझे पता चला।।
मैंने अपनी दोस्त को समझाया कि परीक्षा खत्म होने के बाद मिले,
पर कहते हैं ना,"इश्क का पागलपन सिर्फ एक ही चीज से उतरता है,-:धोखा।।
वो मेरी बात समझी नहीं,या समझकर भी नासमझ बन गयी।।
अंततः वो दिन आ गया,जब उनको मिलना था।
आज शाम मिलने का निश्च्य किया,जबकि कल सुबह को एग्जाम था।
दोनों कॉलेज कैंटीन में मिले,7:30बजने को थे,पर मेरी दोस्त अब तक हॉस्टल नहीं आयी थी,
मैंने बॉर्डन को झूठ बोलकर उसकी परमिशन टाइम बढवाई।
अभी वो लौटकर वापस आ चुकी थी,
पर जो खुशी उसके चेहरे पर,जाने से पहले थी,वो आने के बाद नहीं दिखी।।
मैंने अभी उससे इस बारे में कुछ नहीं पूछा था।
अगले दिन सुबह एग्जाम देकर वापस आये,तो मेरी दोस्त ने रोना शुरू कर दिया,
काफी पूछने के बाद उसने बताया कि उसका वो दोस्त उससे ब्रेकअप करने के लिए आया था,
क्योंकि उसको कोई और पसंद आ गयी थी।।
एग्जाम के समय इतना डिस्टर्बेंस,समझ नहीं आ रहा था कि पढ़ाई की जाए,या उस तथाकथित दोस्त से लड़ाई की जाए,
जो पिछले काफी समय से किसी की फीलिंग्स के साथ खेल रहा था।।
रोने के चक्कर में मेरी दोस्त को फीवर हो गया,
डिप्रेशन में खाना नहीं खा पा रही थी,
और उसकी ये दशा मुझसे देखी नहीं जा रही थी।।
किसी तरह उसको समझाया कि जो अभी छोड़ गया, उसके लिए क्या रोना,और क्यों रोना।।
खुद को कमजोर कभी मत होने दो,और किसी से प्यार की भीख तो कभी मत मांगों।
कुछ दिन मेडिटेशन कराया,धीमे-धीमे सब नॉर्मल हो गया
आज उन बातों को सोचकर,मेरी दोस्त बहुत हंसती है,
पर उस समय वो किसी मेंटल ट्रॉमा से कम नहीं था।।

दोस्तो दुनियां में बहुत से गेम हैं, उनसे खेलो पर कभी किसी के दिल से ना खेलो।।क्योंकि जरूरी नहीं होता कि सामने वाले के पास कोई समझाने वाला हो।।
हो सकता है कि वो इंसान अपनी पूरी जिंदगी संभल ही न पाए।।
आज मेरी दोस्त की शादी हो चुकी है,
और वो अपने हसबैंड के साथ काफी खुश है।।क्योंकि अतीत की बुरी यादों के अलावा बुरे इंसान का साथ भी काफी पीछे छूट चुका था।।
ये एक रियल लाइफ की रियल कहानी है,
इसलिए इसमें किसी का नाम नहीं लिख सकते थे।।
आपको ये कहानी कैसी लगी,ये तो नहीं पूछेंगे,
पर आप ऐसा किसी के साथ नहीं करेंगे,ये अपेक्षा जरूर करते हैं।।
धन्यवाद🙏
यदि आप इस ब्लॉग को पढ़े,तो कमेंट बॉक्स में अपना नाम,व अपनी राय अवश्य दें।।

Sunday, 10 February 2019

5(2) Love,"The Feeling Of Heart"

Love,"The Feeling Of Heart

लव द फीलिंग ऑफ हार्ट का ये पाँचवां पोस्ट है,
जैसा कि प्रत्येक अंक में बताया कि प्यार कोई ढाई अक्षर का लिखा,पढ़ा या कहा गया शब्द नहीं है,
ये वो फीलिंग है जिसे बेजुबान जता सकता है,अंधा व्यक्ति भी महसूस कर सकता है,
यहां तक कि जानवर भी इंसान के प्यार को समझते हैं,जताते हैं,
हले व दूसरे भाग में आपने क्रमशः माता के प्यार व पिता के प्यार के बारे में जाना।जहां माता की तुलना धरती व पिता की तुलना आकाश से की गई है।माँ-बाप अपनी पूरी जिंदगी अपनी औलाद को पढाने औऱ काबिल बनाने में लगा देते हैं।तीसरे भाग में आपने भाई-भाई/बहिन-बहिन/भाई-बहिन के प्यार के बारे में पढ़ा।
वहीं चौथे भाग में आपने पति-पत्नी के प्यार के बारे पढ़ा,जाना,समझा।।
दोस्तों आपने मेरे सभी पोस्ट्स को भरपूर प्यार दिया,इसके लिए हम आपके आभारी हैं।
आज के ब्लॉग में हम आपको उस प्यार के बारे में बताएंगे,जिसको आम बोलचाल की भाषा में कहा तो प्यार ही जाता है,
पर समझा गलत जाता है
जी हां,आज हम बात करेंगे एक लड़का और लड़की के प्यार के बारे में-:

ये वो विषय है,जिस पर जितना लिखा जाए कम है,क्योंकि हर किसी को इसके बारे कुछ न कुछ अवश्य पता होता है,

फिर वो कहीं से पढ़कर पता चला हो या सुनकर

स्वयं अनुभव किया हो या दोस्तों से जाना हो।।

चूंकि कई लोगों ने ट्विटर पर व कमेंट बॉक्स में इस विषय पर लिखने को कहा था,
इस पर एक ब्लॉग पहले भी लिख चुकी हूं,
जिसमें पहली नजर के प्यार के बारे में बताया गया है,
पहली नजर में प्यार का पहला उदाहरण रामायण से ही लिया,
राम-सीता का पुष्प वाटिका में मिलन।।
दूसरे भाग को हम आज के परिवेश पर लिखते,
पर मेरे एक मित्र व भाई ने चुनौती दे दी,कि दूसरे भाग के लिए आपको रामायण में उदाहरण नहीं मिल सकता।
उनकी चुनौती स्वीकार की।।
प्रस्तुत है एक तरफा प्यार की पहली कहानी


सूपनखा रावन कै बहिनी।
दुष्ट हृदय दारुन जस अहिनी॥
पंचबटी सो गइ एक बारा।
देखि बिकल भइ जुगल कुमारा॥
रावण की बहिन थी सुपर्णखा, जो नागिन के समान विषैली व दुष्ट हृदय की स्वामिनी थी।
एक बार जब वो पंचवटी में गयी,तो राम-लक्ष्मण को देखकर मोहित हो गई।
उसने मन ही मन विचार किया,कि ये इतने सुंदर सुशील युवराज हैं क्यों न इनसे शादी कर ली जाए।
सुपर्णखा ने इसके लिए विधिवत योजना तैयार की,
और फिर
रुचिर रूप धरि प्रभु पहिं जाई।
बोली बचन बहुत मुसुकाई॥
तुम्ह सम पुरुष न मो सम नारी।
यह सँजोग बिधि रचा बिचारी॥
सुपर्णखा ने सुंदर रूप बनाया और मुस्कुराते हुए प्रभु श्री राम से बोली,
तुम्हारे समान पुरुष और मेरे समान नारी इस सम्पूर्ण श्रष्टि में नहीं है,
और यह संयोग विधि ने बहुत सोच विचार कर रचा है।
इसके बाद वो कहती है अब तक इस श्रष्टि में मेरे समान कोई पुरुष नहीं था,इसलिए मेरी अबतक शादी नहीं हुई,
पर अब मैं तुमसे शादी कर लूंगी।
यह सुनते ही प्रभु श्रीराम ने माता जानकी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि हे देवी मैं पहले से ही शादीशुदा हूँ
व मैंने एक पत्नी का व्रत लिया हुआ है।
पर आप चाहें तो मेरे अनुज लक्ष्मण से शादी कर सकती हैं।
चूंकि सुपर्णखा को दोनों ही मोहक लगे थे,
तो वो अब लक्ष्मण जी की तरफ गयी और शादी का प्रस्ताव लक्ष्मण जी के सामने रखा।
लक्ष्मण जी,जो स्वयं प्रभु राम की सेवा करने का वचन ले चुके थे,
जो अपनी पत्नी को भी साथ नही लाये थे,कहने लगे
कि मैं तो बस एक सेवक मात्र हूं,
आप प्रभु राम से ही शादी करें,वो कौशलपुर के राजा हैं।
सुपर्णखा पुनः राम जी के पास गई,
राम जी ने सीता माता की तरफ इशारा करके पुनः अपनी प्रतिज्ञा का स्मरण कराया,
इस पर सुपर्णखा क्रोधित होकर अपने असली रूप में आ गई।
और माता सीता को मारने के लिए दौड़ी,
लक्ष्मण जी ने इस पर उसके नाक कान काट दिए,
दोस्तो लक्ष्मण जी उसको खत्म भी कर सकते थे,पर उन्होंने ऐसा नहीं किया,क्योंकि वो सिर्फ उसे सबक सिखाना चाहते थे।
कई बार विवाहित पुरुष व महिलाएं
अविवाहित पुरुष व महिलाएं भी इस तरह के एक तरफा प्यार में पड़ जाते हैं,
औऱ फिर उसे पाने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं,
उन्हें रामायण के इस दृष्टांत से शिक्षा लेनी चाहिए।
आपका प्रपोजल मंजूर न होना,नाक कान कटने से कम नहीं।
पर उसके लिए राक्षस बन जाना, स्वयं व परिवार के अंत का कारण भी बन जाता है।
राम-रावण के युद्ध की सूत्रधार सुपर्णखा ही थी।।

दोस्तो आपको ये कहानी कैसी लगी,
कृपया कमेंट बॉक्स में अपने नाम के साथ प्रतिक्रिया अवश्य दें।
धन्यवाद।।

Thursday, 17 January 2019

5th Part The Feeling Of Heart

Love,"The Feeling Of Heart"

लव द फीलिंग ऑफ हार्ट का ये पाँचवां पोस्ट है,
जैसा कि प्रत्येक अंक में बताया कि प्यार कोई ढाई अक्षर का लिखा,पढ़ा या कहा गया शब्द नहीं है,
ये वो फीलिंग है जिसे बेजुबान जता सकता है,अंधा व्यक्ति भी महसूस कर सकता है,
यहां तक कि जानवर भी इंसान के प्यार को समझते हैं,जताते हैं,
हले व दूसरे भाग में आपने क्रमशः माता के प्यार व पिता के प्यार के बारे में जाना।जहां माता की तुलना धरती व पिता की तुलना आकाश से की गई है।माँ-बाप अपनी पूरी जिंदगी अपनी औलाद को पढाने औऱ काबिल बनाने में लगा देते हैं।तीसरे भाग में आपने भाई-भाई/बहिन-बहिन/भाई-बहिन के प्यार के बारे में पढ़ा।
वहीं चौथे भाग में आपने पति-पत्नी के प्यार के बारे पढ़ा,जाना,समझा।।
दोस्तों आपने मेरे सभी पोस्ट्स को भरपूर प्यार दिया,इसके लिए हम आपके आभारी हैं।
आज के ब्लॉग में हम आपको उस प्यार के बारे में बताएंगे,जिसको आम बोलचाल की भाषा में कहा तो प्यार ही जाता है,
पर समझा गलत जाता है।
जी हां,आज हम बात करेंगे एक लड़का और लड़की के प्यार के बारे में-:
ये वो विषय है,जिस पर जितना लिखा जाए कम है,क्योंकि हर किसी को इसके बारे कुछ न कुछ अवश्य पता होता है,
फिर वो कहीं से पढ़कर पता चला हो या सुनकर
स्वयं अनुभव किया हो या दोस्तों से जाना हो।।
चूंकि कई लोगों ने ट्विटर पर व कमेंट बॉक्स में इस विषय पर लिखने को कहा,तो कोशिश कर रही हूँ-

देखन मिस मृग बिहग तरु,फिरइ बहोरि बहोरि।
निरखि निरखि रघुबीर छबि,बाढ़इ प्रीति न थोरि॥I
इसका अर्थ है-
मृग,पक्षी और वृक्षों को देखने के बहाने सीताजी बार-बार घूम जाती हैं और श्री रामजी की छबि देख-देखकर उनका प्रेम कम नहीं,बढ़ रहा है। (अर्थात्‌ बहुत ही बढ़ता जाता है)॥
तभी राम जी को कंकन,करधनी व नूपुर की आवाज सुनाई देती है, वो लक्ष्मण जी से उस बारे में पूछते हैं कि क्या उन्होंने वो ध्वनि सुनी,लक्ष्मण जी कहते हैं;उन्होंने कुछ नहीं सुना
अस कहि फिरि चितए तेहि ओरा,सिय मुख ससि भए नयन चकोरा।।भए बिलोचन चारु अचंचल। मनहुँ सकुचि निमि तजे दिगंचल॥ 
राम जी फिर पलटते हैं और सीता जी के मुख की तरफ देखते हैं
राम-सीता की नजरें मिलती हैं,
और वो एक टक एक-दूसरे को देखते रह जाते हैं,
यहां तक कि उनकी पलकें भी नहीं झपकती।
दोनों को ही एक-दूसरे से प्यार हो गया,
इसके बाद जानकी माता ने गौरी जी की पूजा की,उनसे अपने मन की बात कही,उनसे कहा कि जो छवि उनके मन में बस गयी है,वही उन्हें पति के रूप में मिलें,
पर राम जी ने अपने मन की बात भी किसी से नहीं कही।
ये होता है पहली नजर का प्यार।।
यहाँ दोनों ने ही एक-दूसरे को पूरी शिद्दत से चाहा,और पूरी कायनात उन्हें मिलाने में लग गयी।।
दोस्तों आजकल जो बॉलीबुड में दिखाते हैं,सिर्फ तरीका बदलते हैं,
सीखते यहीं से हैं।।6

To Be Continued-
दोस्तों इस भाग का अभी आध्यात्मिक स्वरूप वर्णित किया है,
आज के परिवेश के बारे में चर्चा,इसके अगले भाग में होगी।।
आप अपने विचार कमेंट बॉक्स में अपने नाम के साथ अवश्य रखें।।
धन्यवाद🙏

अवधपुरी दर्शन को जाऊँ

खुश हूँ मैं बहुत सुनो खुशी का तुमको राज बताऊँ आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ सुनो अवधपुरी में आज सभी है देव पधारे शिव इंद्र यक्ष गंधर्व...