Love,"The Feeling Of Heart
लव द फीलिंग ऑफ हार्ट का ये पाँचवां पोस्ट है,
जैसा कि प्रत्येक अंक में बताया कि प्यार कोई ढाई अक्षर का लिखा,पढ़ा या कहा गया शब्द नहीं है,
ये वो फीलिंग है जिसे बेजुबान जता सकता है,अंधा व्यक्ति भी महसूस कर सकता है,
यहां तक कि जानवर भी इंसान के प्यार को समझते हैं,जताते हैं,
पहले व दूसरे भाग में आपने क्रमशः माता के प्यार व पिता के प्यार के बारे में जाना।जहां माता की तुलना धरती व पिता की तुलना आकाश से की गई है।माँ-बाप अपनी पूरी जिंदगी अपनी औलाद को पढाने औऱ काबिल बनाने में लगा देते हैं।तीसरे भाग में आपने भाई-भाई/बहिन-बहिन/भाई-बहिन के प्यार के बारे में पढ़ा।
वहीं चौथे भाग में आपने पति-पत्नी के प्यार के बारे पढ़ा,जाना,समझा।।
दोस्तों आपने मेरे सभी पोस्ट्स को भरपूर प्यार दिया,इसके लिए हम आपके आभारी हैं।
आज के ब्लॉग में हम आपको उस प्यार के बारे में बताएंगे,जिसको आम बोलचाल की भाषा में कहा तो प्यार ही जाता है,
पर समझा गलत जाता है
जी हां,आज हम बात करेंगे एक लड़का और लड़की के प्यार के बारे में-:
ये वो विषय है,जिस पर जितना लिखा जाए कम है,क्योंकि हर किसी को इसके बारे कुछ न कुछ अवश्य पता होता है,
फिर वो कहीं से पढ़कर पता चला हो या सुनकर
स्वयं अनुभव किया हो या दोस्तों से जाना हो।।
चूंकि कई लोगों ने ट्विटर पर व कमेंट बॉक्स में इस विषय पर लिखने को कहा था,
इस पर एक ब्लॉग पहले भी लिख चुकी हूं,
इस पर एक ब्लॉग पहले भी लिख चुकी हूं,
जिसमें पहली नजर के प्यार के बारे में बताया गया है,
पहली नजर में प्यार का पहला उदाहरण रामायण से ही लिया,
राम-सीता का पुष्प वाटिका में मिलन।।
दूसरे भाग को हम आज के परिवेश पर लिखते,
पर मेरे एक मित्र व भाई ने चुनौती दे दी,कि दूसरे भाग के लिए आपको रामायण में उदाहरण नहीं मिल सकता।
उनकी चुनौती स्वीकार की।।
प्रस्तुत है एक तरफा प्यार की पहली कहानीसूपनखा रावन कै बहिनी।
दुष्ट हृदय दारुन जस अहिनी॥
पंचबटी सो गइ एक बारा।
देखि बिकल भइ जुगल कुमारा॥
रावण की बहिन थी सुपर्णखा, जो नागिन के समान विषैली व दुष्ट हृदय की स्वामिनी थी।
एक बार जब वो पंचवटी में गयी,तो राम-लक्ष्मण को देखकर मोहित हो गई।
उसने मन ही मन विचार किया,कि ये इतने सुंदर सुशील युवराज हैं क्यों न इनसे शादी कर ली जाए।
सुपर्णखा ने इसके लिए विधिवत योजना तैयार की,
और फिर
रुचिर रूप धरि प्रभु पहिं जाई।
बोली बचन बहुत मुसुकाई॥
तुम्ह सम पुरुष न मो सम नारी।
यह सँजोग बिधि रचा बिचारी॥
सुपर्णखा ने सुंदर रूप बनाया और मुस्कुराते हुए प्रभु श्री राम से बोली,
तुम्हारे समान पुरुष और मेरे समान नारी इस सम्पूर्ण श्रष्टि में नहीं है,
और यह संयोग विधि ने बहुत सोच विचार कर रचा है।
इसके बाद वो कहती है अब तक इस श्रष्टि में मेरे समान कोई पुरुष नहीं था,इसलिए मेरी अबतक शादी नहीं हुई,
पर अब मैं तुमसे शादी कर लूंगी।
यह सुनते ही प्रभु श्रीराम ने माता जानकी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि हे देवी मैं पहले से ही शादीशुदा हूँ
व मैंने एक पत्नी का व्रत लिया हुआ है।
पर आप चाहें तो मेरे अनुज लक्ष्मण से शादी कर सकती हैं।
चूंकि सुपर्णखा को दोनों ही मोहक लगे थे,
तो वो अब लक्ष्मण जी की तरफ गयी और शादी का प्रस्ताव लक्ष्मण जी के सामने रखा।
लक्ष्मण जी,जो स्वयं प्रभु राम की सेवा करने का वचन ले चुके थे,
जो अपनी पत्नी को भी साथ नही लाये थे,कहने लगे
कि मैं तो बस एक सेवक मात्र हूं,
आप प्रभु राम से ही शादी करें,वो कौशलपुर के राजा हैं।
सुपर्णखा पुनः राम जी के पास गई,
राम जी ने सीता माता की तरफ इशारा करके पुनः अपनी प्रतिज्ञा का स्मरण कराया,
इस पर सुपर्णखा क्रोधित होकर अपने असली रूप में आ गई।
और माता सीता को मारने के लिए दौड़ी,
लक्ष्मण जी ने इस पर उसके नाक कान काट दिए,
दोस्तो लक्ष्मण जी उसको खत्म भी कर सकते थे,पर उन्होंने ऐसा नहीं किया,क्योंकि वो सिर्फ उसे सबक सिखाना चाहते थे।
कई बार विवाहित पुरुष व महिलाएं
अविवाहित पुरुष व महिलाएं भी इस तरह के एक तरफा प्यार में पड़ जाते हैं,
औऱ फिर उसे पाने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं,
उन्हें रामायण के इस दृष्टांत से शिक्षा लेनी चाहिए।
आपका प्रपोजल मंजूर न होना,नाक कान कटने से कम नहीं।
पर उसके लिए राक्षस बन जाना, स्वयं व परिवार के अंत का कारण भी बन जाता है।
राम-रावण के युद्ध की सूत्रधार सुपर्णखा ही थी।।
दोस्तो आपको ये कहानी कैसी लगी,
कृपया कमेंट बॉक्स में अपने नाम के साथ प्रतिक्रिया अवश्य दें।
धन्यवाद।।
😃 😃 अब ये ब्लॉग पढ़कर उस मित्र को पुनः चुनौती देने का साहस नहीं हो रहा।
ReplyDeleteआज के परिवेश पर उदाहरण तो हजारों मिल जाते। लेकिन रामायण का उदाहरण देना इसलिए जरूरी था ताकि हम अपनी भावनाओं को भगवान से जुड़ा हुआ महसूस कर सकें।
और आपने अपने ब्लॉग के विषय के साथ पूरा न्याय किया है।😊👌👍
सूर्नपरखा के विवाह प्रस्ताव को जिस शालीनता से श्री राम और लक्ष्मण ने ठुकराया उसे पढ़कर मजा आया।😊😊
सूर्नपरखा की भी तारीफ करनी पड़ेगी कि उसमें इतनी हिम्मत थी कि सीधे जाकर प्रपोज कर दिया।😃 किसी को प्रपोज करना आसान काम नहीं होता।
मैं अपनी ही बात करूं तो जब मैंने अपने प्यार को प्रपोज किया था तो ऐसा करने में मुझे 4 महीने लग गए थे 😅 हिम्मत नही हो रही थी। 😊 मैं लकी था कि मेरा प्रपोजल स्वीकार हुआ। लेकिन शायद इतना लकी भी नहीं था क्योंकि उसकी शादी किसी और से हो गई। 😔 Some people are meant to fall in love with each other... But not to be together.😔
खैर... 10/10 Marks 😊😊👌
- Kush
Thanks Kush..😊
ReplyDeleteतुम्हारा कमेंट बहुत मायने रखता है,
क्योंकि हम बड़ा सा ब्लॉग भले ही लिख देते हों,
पर उसका सार तुम लिखते हो,
After getting 10/10,josh is so high..Above the sky.
वैसे सुपर्णखा के बाद से ही महिलाओं से प्रपोज करना बंद कर दिया,
क्योंकि अब कोई नाक-कान नहीं कटवा सकती😝
भगवान तुम्हे अच्छा लाइफ पार्टनर दे।।
Hahaha 😅 Josh is above the sky 🤣 there is space above the sky... It means Josh is travelling in a spaceship 🙃.
Delete🤣 हां शायद सूर्णपर्खा वाले केस का असर युगों युगों के बाद भी बना हुआ है... 😅
Thanks for the lovely wishes.💐😊😊
-Kush
Movement is necessary..So yeah Josh is traveling 😝
ReplyDeleteअसुर is just like Virus..It never die & replicate itself in the favorable condition.😜
Be Happy 😊
Yeah 😊
Delete🙏 जो परिस्थिति उस समय थी वही आज भी हैं... अंतर केवल चरित्रिक निर्माण का हैं.. मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू भी हमारा चरित्र ही हैं। श्री राम चरितमानस में एक नर आपने कर्मो से कैसे नारायण की उपाधि प्राप्त कर लेता हैं जिसकी सहायता स्वयं सारे देवी देवता कर रहे हैं। आज हमारे समाज मे चारित्रिक कमी ही ज्यादा देखने को मिलेगी...सूपनखा तो औरत थी किन्तु आज उसका रोल औरतों के साथ पुरुष भी कर रहे हैं...
ReplyDeleteमेरे ख्याल में श्री राम और लक्छ्मण का एक मजबूत चरित्र के वजह से ही आज भी इनकी गुणगान गाये जाते हैं।
🙏🙏
जी बिल्कुल सही कहा आपने,
Deleteइंसान अपने गुणों से ही महान बनता है।
Waah...Jagratig Bahot-bahot Badhiya 😊😍😀👏👍
ReplyDeleteधन्यवाद🙏
Deleteअपना नाम भी लिखिए
नई सोच नई उम्मीद
ReplyDeleteबोहत खूब
धन्यवाद🙏
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