Saturday, 6 June 2020

Lock Down

ज़िन्दगी हमेशा की तरह चली जा रही थी,
वही रास्ते,
वही रोज के काम,
वही सोना
वही जगना
कि अचानक कोरोना नामक वायरस ने चीन में दस्तक दे दी।
देश-दुनियाँ की खबरों के माध्यम से हम सभी चीन में इस वायरस के फैलने और उससे होने वाली मौतों के बारे में सुन रहे थे।
इस भय से अंजान कि आखिर हमारे देश की सीमा भी चीन से मिलती है,हम बिना किसी चिंता-आशंका के अपने जीवन में व्यस्त थे।।
कि तभी देश की तरफ तेजी से आते कोरोना नामक खतरे को हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने भांपा और सभी एयरपोर्ट पर थर्मल स्क्रीनिंग शुरू कर दी।
पर कहते हैं ना कि किस्मत चार पैर आगे चलती है, जिसको हम एयरपोर्ट पर ही रोकने का प्रयास कर रहे थे,वो तो पहले ही देश के अंदर आ चुके थे।
जी हाँ, जब तक प्रधानमंत्री जी ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक लगाई,तब तक कोरोना देश की वित्तीय राजधानी में दस्तक दे चुका था।
अब बारी थी इसे घर में ही रोकने की,
इसलिए सबसे पहली बार जनता कर्फ्यू का आवाहन किया गया; जिसे हँसी खुशी हम सभी ने माना और सांय 6बजे ताली थाली घण्टा, शंख आदि से अपने देश के वीर सैनिकों,डॉक्टरों व अन्य सेवा कर्मियों का धन्यवाद किया।।

अभी आमजन इसकी भयाभयता से अंजान ही थे,
कोरोना के मामले बढ़ते देख माननीय प्रधानमंत्री जी ने देश मे पहले लॉक डाउन वन की घोषणा कर दी।।
लॉकडाउन होते ही राज्यों ने अपनी सीमाएं लॉक कर दी,
रेलवे,एयरवेज, सब बन्द कर दिए गए,
जो जहां था वहीं फंसा, लॉक डाउन खुलने का इंतजार कर रहा था।।

Sunday, 19 January 2020

30Years Of KashmiriPandit Exodus

कश्मीरी पंडित
दोस्तों आज कश्मीर से कश्मीरी पंडितों को निकले 30 साल पूरे हो गए,पर अफसोस कि उन्हें उनका घर आजतक वापस ना मिला,
उनको न्याय नहीं मिला।।
इसके पीछे राजनैतिक कारण ही रहे।
पर दोस्तो क्या अपने कभी सोचा कि क्यों भारत में हिंदू ही सताया गया,कैसे हम गुलाम बने।
यदि नहीं सोचा तो अब सोचिए

1990 में कश्मीर की मस्जिदों से ये एलान किया गया कि या तो कश्मीरी पंडित अपना धर्म बदल लें,या घर छोड़ दें।।
उस समय जम्मू कश्मीर में फारुख अब्दुल्ला मुख्यमंत्री थे,
और देश में कांग्रेस की सरकार थी,सत्ताधारी पार्टी के किसी नेता ने इसका विरोध नहीं किया।
नतीजा ये निकला कि तमाम कश्मीरी पंडितों का कत्ल कर दिया गया,महिलाओं का बलात्कार किया गया,
किसी को जिंदा ही तेजाब में डाल दिया गया।
पर अफसोस इतने वर्षों तक सरकारों ने कुछ ना किया
अफसोस हिन्दू सब देखकर सोता रहा।।

1992 में जब आपने बाबरी विध्वंस किया,तभी यदि कश्मीर की तरफ भी कूच कर जाते,
तो आज देश को CAA की जरूरत ना रह जाती,
आज सब अपने घरों में होते,
और किसी भी इस्लामिल संगठन की हिम्मत ना होती हम पर गुर्राने की।
उस समय इंटरनेट की सुविधा नहीं थी,
सोशल मीडिया नहीं था,
अखबार में वो आता,जो सरकार या मालिक चाहता
और चैनल का भी वही हाल था।

हमारे देश के गुलाम होने के पीछे भी यही कारण था,
अलग अलग राज्य मुगलों से लड़ते रहे,
संगठित होकर नहीं लड़े,
यदि हम संगठित होकर लड़ते,तो कोई भी देश समुद्री सीमा पार करके हमारे देश पर आक्रमण ही नहीं कर पाते।।

हम अपने अपनों को बचाते रहे,और एक दिन अपनों को भी गंवा बैठे।

इतिहास फिर से दोहरा रहा है,
हम पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को जो 31/दिसंबर/2014 के पहले भारत में आ गए,भारत उन्हें नागरिकता दे रहा है
यहां हम सब एक ही तरह के लोग अपनी जान बचाने के खातिर एक ही जगह(भारत) एकत्र हो जाएंगे,
फिर एक दिन या तो आक्रमण हो जाएगा,
या उड़ा दिए जाएंगे।
बेहतर होगा यदि हम संगठित रहें,किसी भी देश में क्यों ना हो,हम अपनों की मदद करें,क्योंकि हिंदुओं का कोई देश नहीं बचा विश्व में,क्योंकि भारत भी सेक्युलर है।
सच पूछो तो विश्व पटल पर हिंदू ही अल्पसंख्यक है।।

हमें सीखना होगा त्रेतायुग से,
राम जी ने सुग्रीव की मदद करके पंपापुर को बाली से मुक्त कराया और सुग्रीव को वहां का राजा बना दिया।
यही लंका में किया,रावण को मारकर शांति स्थापित की और विभीषण को वहां का राजा बनाया।
वही आज की सरकार करे,
बेशक 2014 से पहले आये लोगों को नागरिकता दे;
पर साथ ही पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश पर ऐसी कार्यवाही भी करे,ताकि वहां के किसी अल्पसंख्यक को फिर भारत में शरण लेने के लिए ना सोचना पड़े।
वो जहां रहें,ससम्मान रहें,हक से रहें।।

मोदी जी ने इस तरफ सुधार का कदम बढ़ाया है,पर कांग्रेस जैसी पार्टियों ने विरोध शुरू कर दिया।
कश्मीरी पंडितों को उनका घर दिलवाए,उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे।।

अपनी राय कमेंट बॉक्स में अवश्य दें।।

Friday, 27 December 2019

Conversation b/w PEN & MIND

कलम और दिमाग का वार्तालाप

आज मैंने जब लिखना चाहा
कलम बोली कुछ ऐसा लिख दे
मिट जाए सरहदें नफरत की
प्यार का खत कुछ ऐसा लिख दे

बोला तभी दिमाग मेरा
कब तक सच को झुठलायेगी
गंगा जमुनी तहजीब नाम पर
कब तक झूठ लिखायेगी

बोली कलम सुनो भाई अब ये
मैं नफरत नहीं सिखाती हूँ
अरुंधति की तरह कभी ना
समाज को मैं भड़काती हूँ

मैं तो हूँ सीधी सच्ची सी
कोई चाल कभी ना चलती हूँ
लिखने वाला चाहे प्यार लिखे
मैं तो उस समय भी घिसती हूँ

बोला ये सुनकर दिमाग मेरा
ये बात सही तुम बोली हो
खुरापात दिमाग ही करता है
तुम तो बाकई में भोली हो

मैं वादा तुमसे करता हूँ
अब और ना कुछ होने दूंगा
चाहे जितना हो बैर भाव
मैं आग नहीं लगने दूंगा
   जागृति गुप्ता✍️

अवधपुरी दर्शन को जाऊँ

खुश हूँ मैं बहुत सुनो खुशी का तुमको राज बताऊँ आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ सुनो अवधपुरी में आज सभी है देव पधारे शिव इंद्र यक्ष गंधर्व...