Sunday, 16 December 2018

निर्भया 16/12/12

16 दिसम्बर

समय कब करवट ले ले,पता ही नहीं चलता।
शायद इसीलिए कहा जाता है,
किस घड़ी क्या घटना है,ये उस घड़ी को भी पता नहीं होता।।
प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक के लिए अयोध्या में तैयारियां होनी शुरू ही हुई थी,
कि तभी घड़ी बदली और प्रभु श्री राम को,
राजसी वस्त्रों की जगह,मुनियों के वस्त्र पहनने पड़े
राजसिंहासन की जगह,कुसासन पर बैठना पड़ा।
एक ही तारीख में,एक ही पल में कब क्या हो जाये इसका किसी को भान नहीं होता।
वही समय किसी के जीवन में खुशियों की सौगात लेकर आता है,
तो किसी अन्य के जीवन में अभिशाप।।

16/12/1971 इतिहास में वर्णित वीरता का वह स्वर्णिम इतिहास,जिसे विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
क्योंकि इस दिन भारतीय सेना ने अपने पराक्रम व शौर्य से पाकिस्तानी सेना को आत्मसमर्पण के लिए घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था,और बंग्लादेश को आजाद करा दिया था।।
भारत की सेना समय-समय पर अपने अदम्य साहस का परिचय देती रही है।।

तारीख वही पर घटना नई

16/12/12
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी हम विजय दिवस की बधाइयां दे रहे थे,पूरा दिन हँसी-खुशी गुजरा था,क्योंकि रविवार था,तो सब पूरा दिन साथ में ही रहे।।
शाम को न्यूज देखने के लिए जैसे ही टीवी खोली,
सब चैनलों पर एक ही खबर चल रही थी,
"दिल्ली के मुनीरका में सामूहिक बलात्कार"
हर चैनल अपनी-अपनी तरह से खबर को दिखा रहा था,
लोग अपनी तरह से घटना को देख रहे थे,
जहां कुछ लोग बलात्कारियों को दोषी ठहरा रहे थे,वहीं कुछ निर्भया व उसके दोस्त के साथ घूमने को,
कुछ निर्भया के कपड़ो पर टिप्पड़ी कर रहे थे,तो कुछ दोषियों के पकड़े जाने की दुआ कर रहे थे।
जैसे जैसे पुलिस व अस्पताल से रिपोर्ट सामने आ रही थी,
रौंगटे खड़े हो रहे थे,
एक छोटी सी रिपोर्ट संलग्न कर रहे हैं,जो कि जांच के मुख्य पहलू रहे-

आज इस घटना को 6वर्ष पूरे हो गए।।
हर कोई उस घटना की निंदा करता है,
हर कोई आरोपियों को फांसी पर देखना चाहता है,
फिर समझ में ये नहीं आता,कि ऐसी घटनायें आजतक रुक क्यों नहीं पा रही?
क्यों दानव खुले घूम रहे?
ऐसी घटनाएं मन मस्तिष्क पर ऐसा आघात पहुंचाती हैं,जिनसे निकलना मुश्किल हो जाता है,
एक अजीब सी सिहरन होती है सोचकर।
घटना के बाद कैंडल मार्च होता है,
जिसका औचित्य मुझे आजतक समझ नहीं आया।
लोग 1-2घण्टे का समय निकालकर कैंडल मार्च में जाते हैं,और सोच लेते हैं कि उनकी जिम्मेदारी समाप्त।।
दोस्तों ये कैंडल मार्च अपने आसपास के अंधेरे को भी नहीं मिटा पाता।
इससे बेहतर होगा कि आप अपना वो समय लोगों को जागरूक करने में लगाएं।
तब जो प्रकाश होगा,वो हजारों कैंडल के प्रकाश से भी अधिक होगा।
एक कोशिश कीजिये,
अपने आसपास के हर खुराफाती इंसान पर नजर रखिये,
कोशिश कीजिये कि वो नेक रास्ता अपना सके।
दोस्तों जब हम अपने आसपास से अंधकार को समाप्त करने की कोशिश करेंगे,शायद तब ही 
बुराईयों की रात छंटेगी,
अच्छाईयों का सूर्य उदय होगा,
न फिर कोई निर्भया होगी,
न फिर कोई समय कलंकित होगा।।

प्रकाश का दीप जलाइए,
अफसोस की कैंडल नहीं!!
समाज सुधार में अपना योगदान दीजिये,
अपने लिए तो सभी जीते हैं,
जीवन के कुछ क्षण परोपकार में भी लगाइए,
आइये ये शपथ लें,कि किसी भी लड़की को उपभोग की नजर से नहीं देखेंगे,
इंसानियत की नजर से देखिये,फिर देखिए जीवन स्वयं सुखमय बन जायेगा।
जो कहते हैं,"जीवन में सुकून नहीं है"
एक बार कुछ अच्छा करके देखिए,
सुकून चलके आपके पास आएगा।।

वैसे भी गलत नजर से किसी को देखकर बद्दुआएं देने से बेहतर है,
इज्जत देकर दुआएं लेना।।
और दुआओं का असर तो आपको दुआएं मिलने के बाद ही समझ आएगा।।

धन्यवाद🙏
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13 comments:

  1. This comment has been removed by the author.

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    1. कमेंट क्यों डिलीट कर दिया वरुण जी?

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    2. मै लिख रहा था कि आप इतना time कैसे निकाल लेती हो ब्लॉग लिखने के लिये ! मै भी लिखता था पहले लेकिन समय नहीं मिल पाता अब !वैसे आप बहुत अच्छा लिखती हो. क्या और भी कुछ करती हो आप लिखने के अलावा?
      बस यहीं सवाल था आपसे और कुछ नहीं !

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    3. फिलहाल कुछ और नहीं

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  2. Sunil modanwal
    आपने सही कहा तारीख एक है 16/12/71 वीरता गौरवशाली इतिहास है तो वही दूसरी तरफ 16/12/12 का दिन याद करके शर्मिन्दगी होता है और डर लगा रहता है कि अपने बहन बेटी को लेकर । और आपने बहुत अच्छा लिखा है ।

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  3. 16/12/1971 के बाद देश के लिए सम्मान दुनिया में बहुत बढ़ गया।
    और 16/12/2012 के बाद लोगों ने सोचना शुरू किया कि लड़की भी इंसान होती है ना कि भोग की वस्तु।

    जितनी इज्जत हम लड़कियों को सोशल मीडिया पर देते हैं उतनी ही अगर सड़कों पर भी देने लगें तो हम खुद को सभ्य कहने के काबिल हो जायेंगे।
    Very good article. ����
    Once again 10/10 Marks.

    - Kush

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    1. बिल्कुल सही कहा,
      आपका व्यवहार अगर अच्छा होगा,तो वो आपको समाज में तो सम्मान दिलाएगा ही,साथ ही आप अपनी नजरों में भी सिर उठाकर चलेंगे

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  4. धन्यवाद दीदी,ऐसे ही हम लोगो को जागरूक करते रहियेगा

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  5. धन्यवाद दीदी,ऐसे ही हम लोगो को जागरूक करते रहियेगा,क्योंकि न्यूज और राजनीति नेता ये सब नहीं बताएंगे

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  6. आपकी बातें अति उत्तम एवं सभी देशवासी को सोचने योग्य है।।

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  7. जितनी इज्जत हम लड़कियों को सोशल मीडिया पर देते हैं उतनी ही अगर घर समाज सड़कों पर भी देने लगें तो हम खुद को सभ्य कहने के काबिल हो जाएंगे

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Thanks a-lot

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