LOVE,"THE FEELING OF HEART"
दोस्तो "द फीलिंग ऑफ हार्ट" के पहले भाग को आप सभी का भरपूर प्यार मिला।
"पहले भाग में माँ के प्यार का वर्णन सीता माता के लव-कुश प्रेम व माता सती के गणेश प्रेम के माध्यम से किया गया था।
हालांकि माता के प्रेम औऱ स्नेह की और भी सच्ची कहानियां हैं,
पर यहां सभी के बारे में एक साथ लिखना सम्भव नहीं है"
इसी कड़ी में आज हम पिता के प्रेम के बारे में बताने जा रहे हैं।
दोस्तो जिस तरह धरती को माता कहा गया है,उसी प्रकार आकाश को पिता।
अर्थात पिता शब्द एक विशालता का परिचायक है, जिस प्रकार आकाश का कहीं अंत नहीं;उसी प्रकार पिता के प्रेम की विशालता का कोई अंत नहीं है।
जिस प्रकार आकाश पृथ्वी को एक आवरण की तरह ढके रहता है,
उसी प्रकार पिता; अपनी पत्नी,अपनी संतान की रक्षा के लिए हर परिस्थिति में डटा रहता है।
आपने देखा होगा कि कैसे पिता घर की बागडोर को सम्भाले रहता है।
यद्यपि कई जगह इसके अपर्याय भी देखने को मिल जाते हैं,
जैसे धरती कहीं ऊंची-नीची होती है,
जैसे आकाश के ऊपर बादल छा जाते हैं,
उसी प्रकार कभी-2 कुछ एक मां-बाप भी समय के हाथ की कठपुतली बन के रह जाते हैं,फिर वो अपनी संतान को उस तरह का प्यार-दुलार नहीं दे पाते,जैसा उनके बच्चे चाहते हैं।
पिता प्रेम की कहानी देखिये
1-
राजा दशरथ के चार पुत्र थे,जिनमें ज्येष्ठ पुत्र श्री राम थे।
राजा दशरथ के चार पुत्र थे,जिनमें ज्येष्ठ पुत्र श्री राम थे।
महाराज को अपने चारों ही पुत्रों से अगाध प्रेम था,
जब रानी कैकेयी ने राम के लिए वनवास मांगा,तो राजा दसरथ ने उन्हें वो वरदान दे दिया।क्योंकि
"रघुकुल रीति सदा चल आयी,प्राण जाएं पर वचन न जाई"
चूंकि राजा दशरथ जानते थे कि राम के वन जाते ही उनके प्राण निकल जाएंगे,फिर भी उन्होंने पहले अपने कुल की गरिमा का मान रखा,अपने वचन को निभाया
यही पिता के ह्रदय की विशालता होती है।
एक तरफ अपार प्रेम,दूसरी तरह उसे जाहिर भी न होने देना।।
आज भी कई घरों में ऐसी विषम परिस्थितियां सामने आ जाती है, जिनका हल पिता को ही निकालना होता है।।
2-
कंश की बहन थी देवकी,
जिनका विवाह कंश ने वशुदेव जी के साथ कर दिया था,
यूं तो कंश राक्षस था,जिसने अपने पिता को भी कारागार में डाल दिया था,किन्तु अपनी बहन देवकी से बहुत प्रेम करता था।
देवकी की विदाई के समय हुई एक भविष्यवाणी ने कंश और देवकी के प्रेम में एक खाई खोदने का कार्य किया।
उस भविष्यवाणी के अनुसार देवकी वशुदेव की आठवीं सन्तान,कंश का बध करने वाली थी,इसी डर से कंश ने देवकी को मारने की ठान ली,परन्तु वशुदेव जी ने कंश से इस वादे के साथ देवकी को बचा लिया,कि वो अपनी पहली से आठवीं तक सभी सन्तान कंश को दे देंगे।
वादानुसार वशुदेब जी ने ऐसा ही किया।
आठवीं सन्तान के रूप में स्वयं भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ।
चूंकि कृष्ण विष्णु के अवतार हैं, कंश का बध करने के लिए ही धरती पर आए थे,तो उनके अनुसार ही वशुदेव जी,
कृष्ण को गोकुल लेकर गए,
भादौं की काली रात,
उस पर भी घनघोर बारिश,
जमुना भी उफान पर थी,
पर एक पिता न डरा,न डर के पीछे हटा,
जिसकी सन्तान स्वयं विधाता बनकर आये, उनकी रक्षा के लिए एक पिता ने न सिर्फ अपने प्राण संकट में डाले,अपितु अपने पुत्र की रक्षा भी की।
यही होता है पिता का प्रेम,
जो बिना कुछ कहे सबकुछ कर जाता है।
युग बदलते हैं, स्वरूप बदलते हैं,
पर भावनाएं हमेशा वही रहती हैं,
बदलता है तो सिर्फ उन्हें दर्शाने का तरीका।।
माता-पिता के प्रेम से बढ़कर कुछ हो ही नहीं सकता,क्योंकि वो अनमोल है, इसलिए हमेशा उनका सम्मान करें,
पता नहीं कब तक का साथ ईश्वर ने आपको दिया है।।
दोस्तो अपनी राय हमें नीचे👇कमेंट बॉक्स में अवश्य दें
धन्यवाद🙏
"रघुकुल रीति सदा चल आयी,प्राण जाएं पर वचन न जाई"
चूंकि राजा दशरथ जानते थे कि राम के वन जाते ही उनके प्राण निकल जाएंगे,फिर भी उन्होंने पहले अपने कुल की गरिमा का मान रखा,अपने वचन को निभाया
यही पिता के ह्रदय की विशालता होती है।
एक तरफ अपार प्रेम,दूसरी तरह उसे जाहिर भी न होने देना।।
आज भी कई घरों में ऐसी विषम परिस्थितियां सामने आ जाती है, जिनका हल पिता को ही निकालना होता है।।
2-
कंश की बहन थी देवकी,
जिनका विवाह कंश ने वशुदेव जी के साथ कर दिया था,
यूं तो कंश राक्षस था,जिसने अपने पिता को भी कारागार में डाल दिया था,किन्तु अपनी बहन देवकी से बहुत प्रेम करता था।
देवकी की विदाई के समय हुई एक भविष्यवाणी ने कंश और देवकी के प्रेम में एक खाई खोदने का कार्य किया।
उस भविष्यवाणी के अनुसार देवकी वशुदेव की आठवीं सन्तान,कंश का बध करने वाली थी,इसी डर से कंश ने देवकी को मारने की ठान ली,परन्तु वशुदेव जी ने कंश से इस वादे के साथ देवकी को बचा लिया,कि वो अपनी पहली से आठवीं तक सभी सन्तान कंश को दे देंगे।
वादानुसार वशुदेब जी ने ऐसा ही किया।
आठवीं सन्तान के रूप में स्वयं भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ।
चूंकि कृष्ण विष्णु के अवतार हैं, कंश का बध करने के लिए ही धरती पर आए थे,तो उनके अनुसार ही वशुदेव जी,
कृष्ण को गोकुल लेकर गए,
भादौं की काली रात,
उस पर भी घनघोर बारिश,
जमुना भी उफान पर थी,
पर एक पिता न डरा,न डर के पीछे हटा,
जिसकी सन्तान स्वयं विधाता बनकर आये, उनकी रक्षा के लिए एक पिता ने न सिर्फ अपने प्राण संकट में डाले,अपितु अपने पुत्र की रक्षा भी की।
यही होता है पिता का प्रेम,
जो बिना कुछ कहे सबकुछ कर जाता है।
युग बदलते हैं, स्वरूप बदलते हैं,
पर भावनाएं हमेशा वही रहती हैं,
बदलता है तो सिर्फ उन्हें दर्शाने का तरीका।।
माता-पिता के प्रेम से बढ़कर कुछ हो ही नहीं सकता,क्योंकि वो अनमोल है, इसलिए हमेशा उनका सम्मान करें,
पता नहीं कब तक का साथ ईश्वर ने आपको दिया है।।
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To Be Continued
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ReplyDeleteहर एक रिस्ते अनमोल होते हैं.... जिनमे सबसे पहले वाला कदम माता/पिता के साथ होता हैं... इसकी संभालने की खूबसूरतीजिसे जिसे आ जाये उसे फिर बाकी के रिश्ते स्वयं संभाल लेते है....
ReplyDeleteबिल्कुल सही,
Deleteओलम सीखने के बाद,पढ़ना स्वतः ही आ जाता है
Very beautiful explanation of a father's love.☺️☺️
ReplyDeleteIt is heart touching.
Thanks for the awesome article ☺️🙏
9/10 Marks
- Kush
Thanks alot kush ji😊
DeleteHappy Dassehra 🎉🎊🎈
Thanks and same to you 🙏
Deletemadam jazz please also write in english i can read hindi but it takes more time...u write good...will u write novel...who is your favorite novelist
ReplyDeleteI'll write novel definitely..,well you can translate my blog in english too..Even I added translated on my blog
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