दुनियां के तमाम देशों का गुरु है भारत,
हर भारतीय का गुरुर है भारत,
जहां रहते हैं सब प्यार और स्नेह से,
विभिन्नता में एकता का विज्ञान है भारत।।
पर कहते हैं न,जहां चार बर्तन होते हैं,वहां आवाज होती ही है।
भारत के बदलते परिवेश के हाल भी कुछ ऐसा ही है।
भारतीय राजनीति-
1947 में भारत आजाद हुआ,पर आजादी से पहले ही भारत में एक पार्टी बन चुकी थी,जिसका नाम था कांग्रेस।।
इंडियन नेशनल कांग्रेस;हर भारतीय जो भारत को आजाद कराने का सपना देखता था, कांग्रेस को अपना मानता था।
समय-2 पर कांग्रेस के अध्यक्ष बदले जाते रहे,पार्टी चलती रही।
भारत आजाद हो गया।।
अब समय था,भारत में लोकतंत्र स्थापित करने का।
जिसके लिए कांग्रेस की मीटिंग हुई।
देश का पहला प्रधानमंत्री चुनने के लिए कांग्रेस ने वोटिंग की।
जिसमें सबसे अधिक मत सरदार पटेल को मिले।
नियमानुसार पटेल जी को प्रधानमंत्री बनाया जाता,पर नेहरू को ये बात अच्छी नहीं लगी,
और नेहरू ने अपने नाम का प्रस्ताव पहले रखा।
तमाम लोगों के विरोध व गाँधी जी की सहमति से नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री बन गए।
कुछ बाद गांधी जी की हत्या कर दी गयी,कहा जाता है कि ये हत्या नाथूराम गोडसे ने की थी,
पर दुःख की बात है गांधी जी का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया;जो कि विवादास्पद है।
शास्त्री जी प्रधानमंत्री बने,
1965 में भारत ने पाकिस्तान को युद्ध में मात दी थी। इसके बाद साल 1966 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ था जिसे ताशकंद समझौता कहा जाता है। इसी के बाद ही लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हो गई थी।
ऐसा कहा जाता है कि शास्त्री जी की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई थी,
जबकि उनकी मृत्यु के बाद उनके शरीर पर नीले चिकत्ते पड़ गए थे,जिससे साफ लग रहा था कि ये प्राकृतिक मृत्यु नहीं अपितु हत्या थी।
शास्त्री जी का भी पोस्टमार्टम कांग्रेस सरकार ने नही कराया।
"वैसे जब कर नहीं तो डर कैसा"
मेरी समझ में नहीं आयी ये पोस्टमार्टम न कराने की राजनीति।
कुछ वर्षों के बाद कांग्रेस पार्टी पर नेहरू खानदान का अधिपत्य हो गया,
जब विचारधारा बदली तो एक नई विचारधारा ने जन्म दिया।
जनता पार्टी
जिसे आज सब भारतीय जनता पार्टी के नाम से जानते हैं।
धीमे-२ राज्यों में अलग-2 पार्टियां बनी,
कुछ जाति विशेष के आधार पर,
कुछ धर्म के आधार पर।
मौजूदा राजनीतिक परिवेश आप सब देख ही रहे हैं।
राजनीति का स्तर गिरता ही जा रहा है।
राजनीति एक जिम्मेदारी कम,
नौकरशाही ज्यादा हो गयी है।
दोषारोपण, इस्तीफा,हर रोज का काम है।
नैतिक जिम्मेदारी नाम की चीज ही नहीं बची।
पर शुक्र है, ऐसे दौर में भारत को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला,जिन पर आजतक भ्र्ष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा,
जिन्होंने सबका साथ,सबका विकास की नीति को अपनाया।
खाऊंगा न खाने दूँगा की बाात को बल दिया।।
अगर मेरा ब्लॉग अच्छा लगे तो अपनी प्रतिक्रिया कमेंट में दें।
कुछ गलत लगे तो भी बताएं।।
धन्यवाद।।
हर भारतीय का गुरुर है भारत,
जहां रहते हैं सब प्यार और स्नेह से,
विभिन्नता में एकता का विज्ञान है भारत।।
पर कहते हैं न,जहां चार बर्तन होते हैं,वहां आवाज होती ही है।
भारत के बदलते परिवेश के हाल भी कुछ ऐसा ही है।
भारतीय राजनीति-
1947 में भारत आजाद हुआ,पर आजादी से पहले ही भारत में एक पार्टी बन चुकी थी,जिसका नाम था कांग्रेस।।
इंडियन नेशनल कांग्रेस;हर भारतीय जो भारत को आजाद कराने का सपना देखता था, कांग्रेस को अपना मानता था।
समय-2 पर कांग्रेस के अध्यक्ष बदले जाते रहे,पार्टी चलती रही।
भारत आजाद हो गया।।
अब समय था,भारत में लोकतंत्र स्थापित करने का।
जिसके लिए कांग्रेस की मीटिंग हुई।
देश का पहला प्रधानमंत्री चुनने के लिए कांग्रेस ने वोटिंग की।
जिसमें सबसे अधिक मत सरदार पटेल को मिले।
नियमानुसार पटेल जी को प्रधानमंत्री बनाया जाता,पर नेहरू को ये बात अच्छी नहीं लगी,
और नेहरू ने अपने नाम का प्रस्ताव पहले रखा।
तमाम लोगों के विरोध व गाँधी जी की सहमति से नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री बन गए।
कुछ बाद गांधी जी की हत्या कर दी गयी,कहा जाता है कि ये हत्या नाथूराम गोडसे ने की थी,
पर दुःख की बात है गांधी जी का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया;जो कि विवादास्पद है।
शास्त्री जी प्रधानमंत्री बने,
1965 में भारत ने पाकिस्तान को युद्ध में मात दी थी। इसके बाद साल 1966 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ था जिसे ताशकंद समझौता कहा जाता है। इसी के बाद ही लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हो गई थी।
ऐसा कहा जाता है कि शास्त्री जी की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई थी,
जबकि उनकी मृत्यु के बाद उनके शरीर पर नीले चिकत्ते पड़ गए थे,जिससे साफ लग रहा था कि ये प्राकृतिक मृत्यु नहीं अपितु हत्या थी।
शास्त्री जी का भी पोस्टमार्टम कांग्रेस सरकार ने नही कराया।
"वैसे जब कर नहीं तो डर कैसा"
मेरी समझ में नहीं आयी ये पोस्टमार्टम न कराने की राजनीति।
कुछ वर्षों के बाद कांग्रेस पार्टी पर नेहरू खानदान का अधिपत्य हो गया,
जब विचारधारा बदली तो एक नई विचारधारा ने जन्म दिया।
जनता पार्टी
जिसे आज सब भारतीय जनता पार्टी के नाम से जानते हैं।
धीमे-२ राज्यों में अलग-2 पार्टियां बनी,
कुछ जाति विशेष के आधार पर,
कुछ धर्म के आधार पर।
मौजूदा राजनीतिक परिवेश आप सब देख ही रहे हैं।
राजनीति का स्तर गिरता ही जा रहा है।
राजनीति एक जिम्मेदारी कम,
नौकरशाही ज्यादा हो गयी है।
दोषारोपण, इस्तीफा,हर रोज का काम है।
नैतिक जिम्मेदारी नाम की चीज ही नहीं बची।
पर शुक्र है, ऐसे दौर में भारत को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला,जिन पर आजतक भ्र्ष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा,
जिन्होंने सबका साथ,सबका विकास की नीति को अपनाया।
खाऊंगा न खाने दूँगा की बाात को बल दिया।।
अगर मेरा ब्लॉग अच्छा लगे तो अपनी प्रतिक्रिया कमेंट में दें।
कुछ गलत लगे तो भी बताएं।।
धन्यवाद।।
Nice blog
ReplyDeleteThanks🙏
Deleteएक हूक सी दिल में उठती है।
ReplyDeleteएक दर्द जिगर में होता है।।
हम रात को उठकर रोते हैं।
जब सारा आलम होता है।।
*ऐसी ही भावनाएं हमारे प्रधानमंत्री के है*
जो "सबका साथ सबका विकास"नीति को अपनानये।
बहुत अच्छा ब्लॉग लिखीं है दी ऐसे ही आगे लिखते रहिए, आपके ज्ञान से मैं भी अपना ज्ञान बढ़ाता रहू, बहुत शुभकामनाएं...
Thanks 🙏
Deleteपूरा इतिहास ही बता दिया है इस ब्लॉग में
ReplyDeleteअच्छा है अच्छा है
धन्यवाद देवेंद्र जी🙏
Deleteबहुत अच्छा है
ReplyDeleteधन्यवाद जी
Deleteशानदार
ReplyDeleteधन्यवाद🙏
Delete6 marks in 10.
ReplyDeleteYou have ability to get 9 or 10 marks in your coming blogs.
Right now.. a nice starting of Blog.
...- Kush
Thanks Kush🙏
Deletekya baat boli hai ji.......maja aa gya
ReplyDeleteThanks😊
DeleteCongratulations bahut khoob 😊
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice di
ReplyDeleteBe happy
ReplyDeleteNarendra Modi is a business agent of ambani, adani, tata, Bharati, groups.... नीरव मोदी , ललित मोदी, विजय माल्या, मेहुल चौकसी, चंदा कोचर, सब ने भारत की जनता का खून पसीने का पैसा लूटा और उनका कुछ भी नहीं बिगडा.....
ReplyDeleteत्यागी जी,जिनके भी नाम आपने लिखे हैं, उनको पालने,पोसने का काम कांग्रेस ने किया है,
Deleteमोदी जी की बदौलत इनकी संपत्ति जप्त हो रही है।
कभी चिदम्बरम,सोनिया की भी सम्पत्ति के बारे में विचार कीजिये।
क्या फायदा हुआ जनता को नोटबंदी से ब्लकि नुकसान ही हुआ । शादी-ब्याह का सीजन अपने चरम पर था और मोदीजी अचानक रात को आठ बजे नोटबंदी की घोषणा कर देते हैं... यह नोटबंदी की घोषणा केवल गरीब की कमर तोडने व अपने अमीर बिजनेसमैन दोस्तों के लिए देश में मुद्रा प्रवाह को रोकने का प्रयास था । जनता इस बार पूरी तरह से भरी हुई है जल्दी ही मोदीजी के धनाढ्य लोगों के समूह को जनता की नाराजगी से अप्रत्याशित जवाब मिल जायेगा ।
ReplyDeleteनोटबन्दी से कई तरह के फायदे हुए हैं।
Deleteनुकसान सिर्फ इतना कि,नोट छपने में समय लगा, और नोटबन्दी कि घोषणा पहले हो गयी।
वरना रट तो सिर्फ वो,जिनके पास अपार ब्लैक मनी थी।
फिर भी गरीब खुश हुआ,क्योंकि उनके पास 500/1000 के नोट नहीं थे,महीने भर की सैलरी एक दिन में मिली, इतना ही नहीं पैसे बदलवाने के नाम पर भी उनको पैसे दिए गए।
दुखी सिर्फ कांग्रेस हुई,क्योंकि उनका काफी पैसा बर्बाद हुआ
जी प्रणाम शुभरात्रि
ReplyDelete7060737201
खुश रहो।।
Deleteये फोन नम्बर क्यों लिख दिया?
नाम लिखना है
mai chahta hu ki political post aap kisi political ideology se affected hoker na likhiye . Esase apke post ki repsectkm hoti h , So better be neutral.
ReplyDeleteआपका सुझाव अच्छा है,
Deleteपर धर्म व राजनैतिक धर्म में हम सेक्युलर नहीं हो सकते।।
धर्म सनातन व राजनीति में BJP ही मेरा धर्म है।