खुश हूँ मैं बहुत सुनो खुशी का तुमको राज बताऊँ
आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ
सुनो अवधपुरी में आज सभी है देव पधारे
शिव इंद्र यक्ष गंधर्व आये हैं राम के द्वारे
मन मेरा हुआ बेकरार राम के दर्शन पाऊँ
आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ
सुनो संत महात्मा व्यास और सभी विप्र पधारे
होंगी कथा और यज्ञ आज फिर राम के द्वारे
मन की उठती उत्कंठा की मैं प्यास बुझाऊँ
आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ
उस अवधपुरी में पावन सरयू माँ बहती
कल कल करके वो राम की सारी कथा कहती
मन करता आज ही जाकर उसमें डुबकी लगाऊँ
आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ
सुनो अवधपुरी के राजा हनुमति लाल हैं
जो करते राम नाम से मालामाल हैं
हनुमान गढ़ी का भी आज फिर आशिष पाऊँ
आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ
सुनो अवधपुरी में सुंदर है एक भवन सुहाना
जहाँ होता बिहारी जी का रोज ही आना जाना
उस कनकभवन में जाकर के मैं शीश नवाऊँ
आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ
अब सुनो खुशी की बात, जो अब तक, बतायी ना
हट गए सारे ही टाट, ठाठ में सोहें ललना
हुई जन्मभूमि तैयार बिराजें रामलला
हर्षित होंगे सब देव देख के बाल कला
मन में छाई उमंग लला के दर्शन पाऊँ
आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ