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Thursday, 4 October 2018
Monday, 1 October 2018
राजनीति;तब और अब
दुनियां के तमाम देशों का गुरु है भारत,
हर भारतीय का गुरुर है भारत,
जहां रहते हैं सब प्यार और स्नेह से,
विभिन्नता में एकता का विज्ञान है भारत।।
पर कहते हैं न,जहां चार बर्तन होते हैं,वहां आवाज होती ही है।
भारत के बदलते परिवेश के हाल भी कुछ ऐसा ही है।
भारतीय राजनीति-
1947 में भारत आजाद हुआ,पर आजादी से पहले ही भारत में एक पार्टी बन चुकी थी,जिसका नाम था कांग्रेस।।
इंडियन नेशनल कांग्रेस;हर भारतीय जो भारत को आजाद कराने का सपना देखता था, कांग्रेस को अपना मानता था।
समय-2 पर कांग्रेस के अध्यक्ष बदले जाते रहे,पार्टी चलती रही।
भारत आजाद हो गया।।
अब समय था,भारत में लोकतंत्र स्थापित करने का।
जिसके लिए कांग्रेस की मीटिंग हुई।
देश का पहला प्रधानमंत्री चुनने के लिए कांग्रेस ने वोटिंग की।
जिसमें सबसे अधिक मत सरदार पटेल को मिले।
नियमानुसार पटेल जी को प्रधानमंत्री बनाया जाता,पर नेहरू को ये बात अच्छी नहीं लगी,
और नेहरू ने अपने नाम का प्रस्ताव पहले रखा।
तमाम लोगों के विरोध व गाँधी जी की सहमति से नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री बन गए।
कुछ बाद गांधी जी की हत्या कर दी गयी,कहा जाता है कि ये हत्या नाथूराम गोडसे ने की थी,
पर दुःख की बात है गांधी जी का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया;जो कि विवादास्पद है।
शास्त्री जी प्रधानमंत्री बने,
1965 में भारत ने पाकिस्तान को युद्ध में मात दी थी। इसके बाद साल 1966 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ था जिसे ताशकंद समझौता कहा जाता है। इसी के बाद ही लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हो गई थी।
ऐसा कहा जाता है कि शास्त्री जी की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई थी,
जबकि उनकी मृत्यु के बाद उनके शरीर पर नीले चिकत्ते पड़ गए थे,जिससे साफ लग रहा था कि ये प्राकृतिक मृत्यु नहीं अपितु हत्या थी।
शास्त्री जी का भी पोस्टमार्टम कांग्रेस सरकार ने नही कराया।
"वैसे जब कर नहीं तो डर कैसा"
मेरी समझ में नहीं आयी ये पोस्टमार्टम न कराने की राजनीति।
कुछ वर्षों के बाद कांग्रेस पार्टी पर नेहरू खानदान का अधिपत्य हो गया,
जब विचारधारा बदली तो एक नई विचारधारा ने जन्म दिया।
जनता पार्टी
जिसे आज सब भारतीय जनता पार्टी के नाम से जानते हैं।
धीमे-२ राज्यों में अलग-2 पार्टियां बनी,
कुछ जाति विशेष के आधार पर,
कुछ धर्म के आधार पर।
मौजूदा राजनीतिक परिवेश आप सब देख ही रहे हैं।
राजनीति का स्तर गिरता ही जा रहा है।
राजनीति एक जिम्मेदारी कम,
नौकरशाही ज्यादा हो गयी है।
दोषारोपण, इस्तीफा,हर रोज का काम है।
नैतिक जिम्मेदारी नाम की चीज ही नहीं बची।
पर शुक्र है, ऐसे दौर में भारत को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला,जिन पर आजतक भ्र्ष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा,
जिन्होंने सबका साथ,सबका विकास की नीति को अपनाया।
खाऊंगा न खाने दूँगा की बाात को बल दिया।।
अगर मेरा ब्लॉग अच्छा लगे तो अपनी प्रतिक्रिया कमेंट में दें।
कुछ गलत लगे तो भी बताएं।।
धन्यवाद।।
हर भारतीय का गुरुर है भारत,
जहां रहते हैं सब प्यार और स्नेह से,
विभिन्नता में एकता का विज्ञान है भारत।।
पर कहते हैं न,जहां चार बर्तन होते हैं,वहां आवाज होती ही है।
भारत के बदलते परिवेश के हाल भी कुछ ऐसा ही है।
भारतीय राजनीति-
1947 में भारत आजाद हुआ,पर आजादी से पहले ही भारत में एक पार्टी बन चुकी थी,जिसका नाम था कांग्रेस।।
इंडियन नेशनल कांग्रेस;हर भारतीय जो भारत को आजाद कराने का सपना देखता था, कांग्रेस को अपना मानता था।
समय-2 पर कांग्रेस के अध्यक्ष बदले जाते रहे,पार्टी चलती रही।
भारत आजाद हो गया।।
अब समय था,भारत में लोकतंत्र स्थापित करने का।
जिसके लिए कांग्रेस की मीटिंग हुई।
देश का पहला प्रधानमंत्री चुनने के लिए कांग्रेस ने वोटिंग की।
जिसमें सबसे अधिक मत सरदार पटेल को मिले।
नियमानुसार पटेल जी को प्रधानमंत्री बनाया जाता,पर नेहरू को ये बात अच्छी नहीं लगी,
और नेहरू ने अपने नाम का प्रस्ताव पहले रखा।
तमाम लोगों के विरोध व गाँधी जी की सहमति से नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री बन गए।
कुछ बाद गांधी जी की हत्या कर दी गयी,कहा जाता है कि ये हत्या नाथूराम गोडसे ने की थी,
पर दुःख की बात है गांधी जी का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया;जो कि विवादास्पद है।
शास्त्री जी प्रधानमंत्री बने,
1965 में भारत ने पाकिस्तान को युद्ध में मात दी थी। इसके बाद साल 1966 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ था जिसे ताशकंद समझौता कहा जाता है। इसी के बाद ही लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हो गई थी।
ऐसा कहा जाता है कि शास्त्री जी की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई थी,
जबकि उनकी मृत्यु के बाद उनके शरीर पर नीले चिकत्ते पड़ गए थे,जिससे साफ लग रहा था कि ये प्राकृतिक मृत्यु नहीं अपितु हत्या थी।
शास्त्री जी का भी पोस्टमार्टम कांग्रेस सरकार ने नही कराया।
"वैसे जब कर नहीं तो डर कैसा"
मेरी समझ में नहीं आयी ये पोस्टमार्टम न कराने की राजनीति।
कुछ वर्षों के बाद कांग्रेस पार्टी पर नेहरू खानदान का अधिपत्य हो गया,
जब विचारधारा बदली तो एक नई विचारधारा ने जन्म दिया।
जनता पार्टी
जिसे आज सब भारतीय जनता पार्टी के नाम से जानते हैं।
धीमे-२ राज्यों में अलग-2 पार्टियां बनी,
कुछ जाति विशेष के आधार पर,
कुछ धर्म के आधार पर।
मौजूदा राजनीतिक परिवेश आप सब देख ही रहे हैं।
राजनीति का स्तर गिरता ही जा रहा है।
राजनीति एक जिम्मेदारी कम,
नौकरशाही ज्यादा हो गयी है।
दोषारोपण, इस्तीफा,हर रोज का काम है।
नैतिक जिम्मेदारी नाम की चीज ही नहीं बची।
पर शुक्र है, ऐसे दौर में भारत को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला,जिन पर आजतक भ्र्ष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा,
जिन्होंने सबका साथ,सबका विकास की नीति को अपनाया।
खाऊंगा न खाने दूँगा की बाात को बल दिया।।
अगर मेरा ब्लॉग अच्छा लगे तो अपनी प्रतिक्रिया कमेंट में दें।
कुछ गलत लगे तो भी बताएं।।
धन्यवाद।।
Impact of food on your family
जैसा खाओ अन्न,वैसा बने मन0
कहा जाता है,
जैसा खाओ अन्न वैसा बने मन।
जैसा पियोगे पानी वैसी होगी वाणी।।
आज #WorldVegetarianDay" यानी विश्व शाकाहारी दिवस है।
दोस्तों सात्विक भोजन का महत्व हमारे ऋषी मुनियों ने बहुत ही सहजता से बताया है।
तामसी भोजन से आपकी सोच राक्षसी बनेगी,
आज जो समाज में अत्याचार,हत्या,रेप से मामले बढ़े हैं उसमें वातावरण,शिक्षा,संस्कारों के अलावा खान-पान का भी महत्व पड़ता है।
सोचो जो लोग जीभ के स्वाद के लिए मासूम जीव की हत्या कर देते हैं, वो अन्य चीजों के लिए किस हद तक गिर सकते हैं,इसकी कल्पना कीजिये।
कुछ लोग कुतर्क करते हैं कि अंडा मांसाहारी नहीं होता,
या नॉनवेज में अधिक ताकत होती है,
तो दोस्तों अगर ऐसा होता,
तो ताकत की इकाई हॉर्स पॉवर न होती।
शेर कितना ही शिकार क्यों न कर ले,
मरने के वाद उसको खींचने के लिए बैलों का सहारा ही लिया जाता है।जो घास खाते हैं।
शाकाहार भोजन दिमाग के साथ दिल के लिए भी अच्छा होता है।।
जैसा पियोगे पानी वैसी होगी वाणी।।
आज #WorldVegetarianDay" यानी विश्व शाकाहारी दिवस है।
दोस्तों सात्विक भोजन का महत्व हमारे ऋषी मुनियों ने बहुत ही सहजता से बताया है।
तामसी भोजन से आपकी सोच राक्षसी बनेगी,
आज जो समाज में अत्याचार,हत्या,रेप से मामले बढ़े हैं उसमें वातावरण,शिक्षा,संस्कारों के अलावा खान-पान का भी महत्व पड़ता है।
सोचो जो लोग जीभ के स्वाद के लिए मासूम जीव की हत्या कर देते हैं, वो अन्य चीजों के लिए किस हद तक गिर सकते हैं,इसकी कल्पना कीजिये।
कुछ लोग कुतर्क करते हैं कि अंडा मांसाहारी नहीं होता,
या नॉनवेज में अधिक ताकत होती है,
तो दोस्तों अगर ऐसा होता,
तो ताकत की इकाई हॉर्स पॉवर न होती।
शेर कितना ही शिकार क्यों न कर ले,
मरने के वाद उसको खींचने के लिए बैलों का सहारा ही लिया जाता है।जो घास खाते हैं।
शाकाहार भोजन दिमाग के साथ दिल के लिए भी अच्छा होता है।।
शायद आपको पता न हो,पर आज #International_Day_of_Older_Persons यानी अंतराष्ट्रीय बृद्धा दिवस भी है।
सनातन धर्म में तो अनुशासन और सम्मान पर बहुत बल दिया गया है।वैसे कोई भी धर्म ऐसा नहीं होगा जो बुजुर्गों का अपमान करना सिखाता हो,
पर आज के बदलते परिवेश में लोग अपनी संस्कृति/सभ्यता ताक पर रख देते हैं,
और अपने परिजनों/बर्द्धजनों के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं,जिसकी एक समय में कल्पना भी नहीं कि जा सकती थी।
"जो उनका आज है वही हमारा कल होगा"
इस सिद्धांत पर चलिए।
पर आज के बदलते परिवेश में लोग अपनी संस्कृति/सभ्यता ताक पर रख देते हैं,
और अपने परिजनों/बर्द्धजनों के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं,जिसकी एक समय में कल्पना भी नहीं कि जा सकती थी।
"जो उनका आज है वही हमारा कल होगा"
इस सिद्धांत पर चलिए।
आज एक अक्टूबर को ये दोनों दिन मनाए जाते हैं।
अच्छा खाओ,
अच्छा व्यवहार करो।
अपनों के साथ से,सपनों के साकार होने की उम्मीद बढ़ जाती है।।
धन्यवाद।।
अच्छा खाओ,
अच्छा व्यवहार करो।
अपनों के साथ से,सपनों के साकार होने की उम्मीद बढ़ जाती है।।
धन्यवाद।।
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अवधपुरी दर्शन को जाऊँ
खुश हूँ मैं बहुत सुनो खुशी का तुमको राज बताऊँ आये हैं अक्षत अवधपुरी दर्शन को जाऊँ सुनो अवधपुरी में आज सभी है देव पधारे शिव इंद्र यक्ष गंधर्व...



